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Bilaspur जिले के 161 स्कूलों में टॉयलेट नहीं, 200 की स्थिति खराब, High Court ने लिया संज्ञान

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हाईकोर्ट

Bilaspur News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के 161 स्कूलों में टॉयलेट की बड़ी समस्या है. 200 से ज्यादा ऐसे विद्यालय है, जहां शौचालय की स्थिति बेहद खराब है. बच्चे और शिक्षक इससे त्रस्त है और लगातार स्कूल शिक्षा विभाग से इसकी मांग कर रहे हैं. ऐसा नहीं होने की स्थिति में आज उन्हें शारीरिक तकलीफ भी हो रही है. स्कूलों में टॉयलेट नहीं होने का खामियाजा बच्चों और शिक्षकों को यूरिन इन्फेक्शन के रूप में भुगतना पड़ रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि अब इस पूरे मामले में हाई कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है और स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव और शासन को नोटिस भेज कर इसकी स्थिति स्पष्ट करने की बात कही है.

बिलासपुर के 161 स्कूलों में टॉयलेट नहीं

बिलासपुर जिले के 161 स्कूलों में टॉयलेट की बड़ी समस्या है. 200 से ज्यादा ऐसे विद्यालय है, जहां शौचालय की स्थिति बेहद खराब है. यह स्थिति बिलासपुर के बेलतरा सीपत मस्तूरी तखतपुर और कोटा क्षेत्र में व्याप्त है. जिसके कारण ही कई बच्चे पानी नहीं पीते हैं। ताकि उन्हें स्कूल में टॉयलेट जाना नहीं पड़े.

इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा समस्या

जिन स्कूलों में सबसे ज्यादा समस्या है उनमें बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के स्कूल शामिल हैं. इनमें बिरकोना स्थित महामाया नगर वार्ड के प्राइमरी स्कूल की स्थिति और भी चिंता जनक है. इसी तरह घुटकू में बच्चे और शिक्षक दोनों ही शौचालय की समस्या से जूझ रहे हैं. कुछ जगह सिर्फ बच्चियों को टॉयलेट उपलब्ध कराया जाता है जबकि बच्चे बहार बड़ी में यूरिन करने जाते हैं.

हाईकोर्ट ने मामले में लिया संज्ञान

इस स्थिति के बदलाव को लेकर शिक्षक और बच्चे दोनों मुखर हैं. स्कूल शिक्षा विभाग को इसकी जानकारी भी भेज दी गई है, लेकिन अधिकारी फिलहाल मामले को हाई कोर्ट पहुंचने की बात कहकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. हाई कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेकर स्कूल शिक्षा विभाग से इसकी पूरी रिपोर्ट देने की बात कही है और इस मामले में कलेक्टर को भी अपना पक्ष रखने कहा गया है. हाई कोर्ट के मामले में संज्ञान लेने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की तरफ से कार्यवाही की गतिविधि आगे बढ़ रही है जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है जिसे अगली सुनवाई में पेश किया जाएगा.

बिरकोना में स्कूलों की स्थिति खराब

बिरकोना स्कूल में स्थिति यह है कि यहां स्कूल तक पहुंचाने के लिए सड़क तक नहीं है जबकि यह जगह नगर निगम का इलाका है. नगर निगम के महामाया नगर वार्ड का हिस्सा है, और स्कूल खेत में बनाया गया है. यही कारण है कि प्राइमरी के कुल 26 बच्चे हर दिन जान जोखिम में डालकर स्कूल आते हैं. इस स्कूल में कुछ दिन पहले मरम्मत का काम किया गया है लेकिन दीवार जर्जर हो गई है. इससे शिक्षक भी डरे समय रहते हैं कि कभी कोई हादसा ना हो जाए.

स्कूलों में पढ़ाई लिखाई को लेकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने जिन शिक्षकों को यहां ट्रेनिंग के लिए भेजा है वह भी जर्जर भवन में बैठकर इसकी ट्रेनिंग ले रहे हैं. बिरकोना के मुख्य गांव में मिडिल स्कूल है जहां उन्हें यहां ट्रेनिंग लेते देखा जा सकता है जिसकी शिकायत भी स्थानीय स्तर पर की गई है लेकिन कोई इसकी और ध्यान देने को तैयार नहीं है.

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