2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले, आम आदमी पार्टी ने सिंबल पॉलिटिक्स की शुरुआत की थी. पार्टी ने अपने पोस्टरों में भगत सिंह और बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीरें दिखाई. इसका उद्देश्य था भगत सिंह के समर्थकों और अंबेडकर के अनुयायियों को एक साथ जोड़ना.
इससे पहले, डॉक्टरों ने बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग की मांग की थी, जिसे राज्य सरकार ने खारिज कर दिया था. इस कारण पिछले प्रयास विफल रहे थे. बाद में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने अपनी मांग में थोड़ी नरमी लाते हुए केवल बैठक की बातचीत और उसकी हस्ताक्षरित प्रति प्रदान करने की मांग की.
तेजी से विकसित हो रहा बिजनेस हब गुरुग्राम बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है. इस शहर ने हाल ही में 2,600 करोड़ रुपये का एक्साइज रेवेन्यू उत्पन्न किया है, जो हरियाणा के कुल राजस्व का एक बड़ा हिस्सा है. बीजेपी की हार की स्थिति में इस क्षेत्र का नुकसान पार्टी के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है.
कांग्रेस की मुश्किलें इस समय दोहरी हैं. एक ओर पार्टी अपने अस्तित्व की लड़ाई दिल्ली में लड़ रही है, वहीं दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता ने उसे गोवा, गुजरात, पंजाब जैसे राज्यों में भी कड़ी टक्कर दी है.
उन्होंने कहा, "आज पाक अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान में भारत से जुड़ने की मांग उठ रही है. पाकिस्तान की मौजूदगी मानवता के लिए खतरा बनी हुई है. इसका इलाज समय रहते करना होगा और इसके लिए दुनियाभर की ताकतों को मिलकर काम करना होगा."
गडकरी ने कहा, "सिस्टम में कई ऐसे लोग हैं जो सड़कों पर गड्ढा भरने जैसे छोटे काम के लिए भी आदेश का इंतजार करते हैं. अगर काम करने की भावना को सही से नहीं समझा जाएगा, तो नियमों का पालन करने का क्या मतलब है?"
इस संभावित मुलाकात से पहले अरविंद केजरीवाल के निवास पर आज आम आदमी पार्टी (AAP) की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (PAC) की बैठक हुई. इस बैठक में पार्टी के सभी बड़े नेता मौजूद रहे.
हरियाणा में कांग्रेस को सरकार बनाने की उम्मीद है, लेकिन नेताओं के बीच इस आपसी खींचतान से पार्टी को नुकसान हो सकता है. खासकर तब, जब पार्टी को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की जरूरत है. वहीं, बीजेपी में भी मुख्यमंत्री पद को लेकर अनबन देखने को मिल रही है.
जनगणना के तहत घरों की सूची तैयार करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने का काम 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक पूरे देश में किया जाना था, लेकिन कोविड-19 के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था.
इस प्रस्ताव का लक्ष्य है कि देशभर में लोकसभा, राज्य विधानसभाएं, नगरपालिकाएं और पंचायत चुनाव सभी एक ही समय पर आयोजित किए जाएं. इससे चुनावी प्रक्रिया को व्यवस्थित और कम खर्चीला बनाया जा सकता है. यदि यह योजना साकार होती है, तो चुनावी मतदाता लिस्ट, प्रचार, और मतदान की प्रक्रिया में एक नई सुव्यवस्थितता आ सकती है.