जेडीयू ने पटना में अपने दफ्तर के बाहर बड़े-बड़े पोस्टर लगाए हैं, जिन पर लिखा है- '25 से 30, फिर से नीतीश'. मतलब साफ है, नीतीश कुमार 2025 से 2030 तक बिहार की सत्ता पर काबिज रहने का इरादा रखते हैं.
विक्की कौशल की फिल्म छावा फरवरी 2025 में रिलीज हुई. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल तो मचाया ही, साथ में एक बड़ा विवाद भी खड़ा कर दिया. फिल्म में दिखाया गया है कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज को कैसे साजिश के तहत प्रताड़ित किया और उनकी हत्या करवाई. इस कहानी ने कई हिंदू संगठनों का खून खौला दिया.
अगर कांग्रेस अपने इस अभियान में कामयाब रही, तो नीतीश कुमार की 20 साल पुरानी बादशाहत को बड़ा झटका लग सकता है. बिहार की आधी आबादी यानी महिलाएं अगर कांग्रेस की ओर मुड़ीं, तो ये 2025 के विधानसभा चुनाव में गेम-चेंजर साबित हो सकता है.
JNU का छात्रसंघ चुनाव हमेशा से चर्चा में रहा है. यहां फीस वृद्धि, छात्रवृत्ति, हॉस्टल सुविधाओं जैसे मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय और वैश्विक मसले भी जोर-शोर से उठते हैं. SFI और AISA जैसे वामपंथी संगठनों का दबदबा रहा है, लेकिन ABVP हर बार कड़ी टक्कर देता है.
युवक की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शिवधारा-आजमनगर सड़क को जाम कर दिया और जमकर हंगामा किया. मामला इतना गर्माया कि SSP जगुनाथ रेड्डी को तुरंत कार्रवाई करनी पड़ी. मब्बी थाने के थानेदार दीपक कुमार को निलंबित कर दिया गया.
पीड़ित परिवार का आरोप है कि कुणाल की हत्या विशेष समुदाय के लोगों ने की, जिसमें साहिल नाम का शख्स शामिल था. उनका कहना है कि यह हमला पुरानी रंजिश से कहीं ज्यादा, सामुदायिक तनाव का नतीजा है.
भारत का संविधान ऐसा बना है कि कोई भी संस्था "सुपर बॉस” न बने. राष्ट्रपति, सरकार, संसद, और सुप्रीम कोर्ट—सबके पास अपनी-अपनी ताकत और सीमाएं हैं. तमिलनाडु केस में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की रक्षा के लिए कदम उठाया, लेकिन कुछ लोग इसे 'ज्यादा दखल' मान रहे हैं.
यह कमाई सिर्फ़ फरवरी 2025 तक के आंकड़ों पर आधारित है, यानी अंतिम आंकड़ा और भी बड़ा हो सकता है. दिल्ली सरकार के चार निगमों ने 700 से ज्यादा शराब की दुकानों से यह कमाल कर दिखाया.
सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई इसलिए अहम है क्योंकि याचिकाकर्ताओं को साबित करना होगा कि यह कानून संविधान की बुनियाद को कमजोर करता है. अगर वे यह साबित कर देते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट कानून पर रोक लगा सकता है या उसे पूरी तरह रद्द कर सकता है. कोर्ट यह भी देखेगा कि क्या यह कानून वाकई किसी के मौलिक अधिकारों का हनन करता है.
गर निगम ने कोर्ट के आदेश पर 1 अप्रैल को दरगाह को नोटिस भेजा था, जिसमें अवैध निर्माण हटाने को कहा गया था. दरगाह कमेटी का दावा है कि यह ऐतिहासिक स्थल है, जबकि सकल हिंदू समाज इसे हटाकर वहां हनुमान मंदिर बनाने की मांग कर रहा है.