हालांकि, अब शिवकुमार ने खबरों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा है कि यह उनकी निजी यात्रा है. उन्होंने कहा, "मैं अपने परिवार के साथ 15 सितंबर तक यूएसए की यात्रा कर रहा हूं."
वहीं डॉ कुमार विश्वास ने इस धमकी को लेकर एक्स पर ट्वीट कर लिखा-"जैसे इन जैसे खर-दूषणों के धमकाने से देश “राघवेंद्र राम का गुणगान” सुनना बंद कर देगा और हम करना “सीताराम चरित अति पावन. मधुर सरस अरु अति मनभावन, पुनि पुनि कितनेहू सुनत सुनाये. हिय की प्यास बुझत न बुझाए.”
रक्षा मंत्री ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में अगली सरकार बनाने के लिए भाजपा का समर्थन करें ताकि हम इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विकास कर सकें. इतना विकास होगा कि पीओके के लोग इसे देखकर कहेंगे कि हम पाकिस्तान के साथ नहीं रहना चाहते और इसके बजाय भारत चले जाएंगे."
राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं के बाद भाजपा शासित राज्यों के सीएम से इस्तीफा मांगने वाली पहली पार्टी रही है. हालांकि, जब कांग्रेस या उसके सहयोगियों द्वारा शासित अन्य राज्यों में इसी तरह के मामलों की बात आती है तो वही नेतृत्व दूसरी तरफ देखने लगते हैं.
2014 में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 25 सीटें जीती थीं और इस बार वह कांग्रेस से चुनौती का सामना करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, जिसने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है.
पुनिया ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी जॉइन की है और संगठन में उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं. इस नई स्थिति में उनके खिलाफ ऐसा धमकी भरा संदेश आना सियासी और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से चिंताजनक है.
WHO ने 14 अगस्त 2024 को एमपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता बताते हुए स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था. वैश्विक प्रकोप की पहली घोषणा 2022 में की गई थी, जब दुनिया भर से मामले सामने आने लगे थे.
बृज भूषण शरण सिंह ने कहा, "मेरे खिलाफ तीनों मामलों में मैं बाहर हूं. लखनऊ में दो मामले चल रहे हैं. गतिविधियों के क्रम से पता चलता है कि जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने किया था. गतिविधियों का क्रम कांग्रेस के खिलाफ है. विरोध महिलाओं की गरिमा के लिए नहीं था."
पश्चिम बंगाल में ममता को बड़ा झटका, कोलकाता कांड के विरोध में TMC सांसद ने दिया इस्तीफा
Haryana Election 2024: पिछले विधानसभा चुनाव में सात निर्दलीय उम्मीदवार जीतकर सदन पहुंचे थे. इनमें से कई विधायकों ने समय-समय पर मौजूदा सरकार को बचाया है. पिछली बार के जीते कुछ निर्दलीय विधायकों को अब भाजपा और कांग्रेस से भी टिकट मिले हैं.