Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार की एक और योजना में बड़ी गड़बड़ी के आरोप, मंत्री विजय शर्मा ने कहा- 3 महीने में होगी जांच पूरी

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस सरकार की एक और योजना रीपा में गड़बड़ी का आरोप लगा है.
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छत्तीसगढ़ का रीपा योजना

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ विधानसभा में लगातार कांग्रेस सरकार की योजनाओं पर जांच का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में गुरुवार को एक और योजना की जांच होने जा रही है. विधानसभा में आज रीपा योजना में गड़बड़ी का मामला सत्र के 9 वें दिन सदन में उठा. पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने ये मुद्दा उठाया है. रीपा की एडवोकेट जनरल के जरिए ऑडिट कराने और चीफ सेक्रेटी की अध्यक्षता में समिति बनाकर जांच कराई जाएगी. इसकी घोषणा पंचायत मंत्री विजय शर्मा ने सदन में की. इसकी जांच 3 महीने में पूरी कराई जाएगी.

विधानसभ में रीपा योजना में गड़बड़ी का आरोप

दरअसल पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पिछली सरकार के दौरान रीपा निर्माण का मामला प्रश्नकाल में उठाया. मंत्री विजय शर्मा ने बताया कि 300 रीपा बनाए जाने थे, सभी बन गए. पिछली बार 441 करोड़ का बजट स्वीकृत था, जिसमें 260 करोड़ का भुगतान हुआ है और बाकी बचा है. विधायक धरमलाल कौशिक ने पूछा कि किस-किस मद से राशि गई है? तो मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि विभिन्न मदों से गई है, डीएमएफ सहित अन्य कई मदों की राशि है.

प्रदेश भर के रीपा में ताले लटके है

इस मामले पर विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश में 500 करोड़ की लागत से 300 रीपा स्थापित किए गए हैं. प्रदेश भर के रीपा में ताले लटके हुए मिलेंगे, मशीनें बंद पड़ी हैं. 2 करोड़ के योजना में 80 लाख के मशीन खरीदे गए. इस मामले से स्पष्ट हुआ कि डीएमएफ की राशि से कैसे बंदरबांट किया गया. उपमुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमिटी बनाकर जांच के निर्देश दिए हैं. 3 माह के भीतर जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाएगी.

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क्या है रीपा योजना?

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से कांग्रेस सरकार ने 2 अक्टूबर 2022 को रीपा योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क प्रदेशभर के अलग-अलग जगहों में बनाया गया था. इस योजना के तहत स्व सहायता समूह की महिलाएं पापड़, आचार,कपड़ा,मूर्ति,गोबर से पेंट,मिट्टी के बर्तन, फेब्रिकेशन, सीमेंट गमला, मुर्रा मिल, बेकरी उत्पाद, जूट के बैग, मिल्लेट्स के जैविक उत्पाद, मशरुम उत्पादन, मुर्गी पालन, फ्लाई ऐस ब्रिक्स, फिनाईल, संबलपुरी साड़ी जैसे अनेकों काम करती थी.

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