Bijapur: जिस हेल्थ मॉडल की पूरे प्रदेश में होती थी चर्चा, वह अब बिखरने लगा, क्यों छोड़कर जाने लगे डॉक्टर और नर्स

Bijapur: बीजापुर के जिस हेल्थ मॉडल की पूरे प्रदेश में चर्चा होती थी, वहां की हालत अब सबसे ज्यादा खराब हो गई है. 4 महीने से डॉक्टरों, नर्स और स्टाफ मेंम्बर्स को वेतन नहीं मिला है.
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प्रतीकात्मक चित्र

Bijapur: कभी पूरे छत्तीसगढ़ में चर्चाओं में रहने वाला हेल्थ मॉडल अब बिखरने लगा है. बीजापुर जिले का हेल्थ मॉडल को राज्यभर में एक आदर्श के रूप में देखा जाता था. राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया था, लेकिन वर्तमान में यह कई समस्याओं से जूझ रहा है. DMF (जिला खनिज निधि) फंड रुक जाने की वजह से स्वास्थ्य और अन्य विभागों का कामकाज ठप पड़ गया है.

4 महीनों से नहीं मिली सैलरी

बीजापुर में स्वास्थ्य विभाग को हर महीने लगभग 48 लाख रुपए का भुगतान DMF से होता था. इस फंड से 155 स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन मिलता था. फंड रुक जाने से कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है. बीते 4 महीनों से इन डॉक्टर और कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पाया है, जिससे डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी हताश हो रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक दो डॉक्टरों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है, जबकि अन्य ने वैकल्पिक नौकरियों की तलाश शुरू कर दी है.

नहीं सुधर रही परिस्थिति

स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कई बार ऐसी परिस्थितियों का सामना किया है, जब उन्हें आर्थिक तंगी के कारण काफी बड़ी परेशानी हुई. बार-बार अधिकारियों और जिम्मेदारों को अपनी परिस्थितियों से अवगत कराए जाने के बाद भी समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो सका है. बीते चार महीनों में दीपावली, दशहरा और हाल ही में क्रिसमस का त्योहार भी निकल गया लेकिन ये डॉक्टर, नर्स और कर्मचारी त्योहारों को अच्छे से सेलिब्रेट तक नहीं कर पाए.

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फंड की अनुपलब्धता ने जिले की स्थिति को गंभीर बना दिया है. हेल्थ मॉडल, जिसे एक समय में पूरे प्रदेश में सराहा गया था, आज अपनी पहचान बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है. स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य विभागीय कर्मचारियों को समय पर वेतन देने के लिए वैकल्पिक वित्तीय साधनों पर विचार करना अनिवार्य हो गया है.

समस्या का हल निकालना जरूरी

राज्य और केंद्र सरकार को जल्द ही इस समस्या का हल निकालना होगा. DMF फंड के कार्यों में पारदर्शिता लाने और फंड रिलीज की प्रक्रिया को तेज करने के उपाय किए जाने चाहिए. इसके अलावा, हेल्थ मॉडल को बचाने के लिए विशेष बजट आवंटित करना आवश्यक है.

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बीजापुर का हेल्थ मॉडल, जो कभी अन्य जिलों के लिए प्रेरणा स्रोत था अब वित्तीय संकट के कारण बिखरने की कगार पर है. इस मॉडल को पुनर्जीवित करने के लिए प्रशासन और सरकार को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे. केवल तभी जिले के स्वास्थ्य और विकास की दिशा में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है.

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