MLA देवेंद्र यादव की बढ़ी मुश्किलें, हाई कोर्ट में पेश चुनाव याचिका की सुनवाई में वकील ने मांगी मोहलत
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट, बिलासपुर
Bilaspur: बलौदाबाजार हिंसा मामले में जेल में बंद भिलाई से कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं. BJP नेता और पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने भिलाई चुनाव को लेकर एक चुनाव याचिका दायर की है. इस याचिका में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए निर्वाचन को शून्य घोषित करने की मांग की है. बुधवार को बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान MLA देवेंद्र यादव के वकील ने कोर्ट से और समय मांगा.
हाई कोर्ट में हुई सुनवाई
इस याचिका पर जस्टिस राकेश मोहन पांडे की सिंगल बेंच में बुधवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील से कोर्ट ने एप्लीकेशन पेश करने का जवाब मांगा. वहीं, विधायक देवेंद्र यादव के अधिवक्ता बीपी शर्मा ने कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में बेल एप्लिकेशन पेंडिंग होने को लेकर अगली सुनवाई के लिए समय दिए जाने की मांग की. जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की बैंच ने दोनों पक्षों की अपील को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 4 फरवरी 2025 तय की है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए विधायक देवेंद्र यादव के वकील को अंतिम मौका दिया था, जिसमें अधिवक्ता बीपी शर्मा ने उनके जेल में होने को जानकारी दी थी. साथ ही बताया था कि जेल में होने के कारण मुलाकात का समय नहीं मिल पा रहा है. यही वजह है कि जवाब पेश करने में विलंब हो रहा है. इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि विधायक के अधिवक्ता जेल जाकर विधायक से एक-दो नहीं तकरीबन आठ बार मिल चुके हैं. इतना कहने के साथ ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एन के शुक्ला ने तारीखें भी गिनाई, जिन तिथियों में वकील ने विधायक से मुलाकात की थी. झूठ पकड़े जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और जवाब पेश करने अंतिम अवसर दिया था. इसके लिए विधायक यादव को कोर्ट ने 10 दिन की मोहलत दी.
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अब 4 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
MLA देवेंद्र यादव के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका को लेकर तैयारी की जानकारी देते हुए हाई कोर्ट में चुनाव याचिका के संबंध में जवाब पेश करने के लिए समय देने का अनुरोध किया. कोर्ट ने उनकी मांग को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई के लिए 4 फरवरी की तिथि तय कर दी है. इसके पहले दोनों पक्षों को अपना जवाब पेश करने का निर्देश दिया गया है.