CG Assembly: अब एक साथ होंगे निकाय और पंचायत चुनाव, नगर पालिका संशोधन विधेयक हुआ पारित

CG Assembly: आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में नगर पालिका संशोधन विधेयक पारित हुआ. इसके साथ ही अब प्रदेश में नगरीय निकायों में चुनाव की राह खुल गई है. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का रास्ता साफ हो गया है.
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डिप्टी सीएम अरुण साव

CG Assembly: आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में नगर पालिका संशोधन विधेयक पारित हुआ. इसके साथ ही अब प्रदेश में नगरीय निकायों में चुनाव की राह खुल गई है. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का रास्ता साफ हो गया है.

एक साथ होंगे नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव

नगरीय निकाय में कार्यकाल पूरा होने पर 6 माह तक प्रशासक नियुक्त हो सकेंगे. महापौर और नगरपालिका एवं नगर पंचायत अध्यक्ष चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होंगे. निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण अधिकतम 50 प्रतिशत का नियम लागू होगा.

सरकार चुनाव के लिए तैयार – अरुण साव

वहीं डिप्टी सीएम अरुण साव ने इसे लेकर कहा कि चुनाव की प्रक्रिया तेज गति से आगे बढ़ रही है. चुनाव आयोग निर्णय करेगा कि कब चुनाव करना है, सरकार चुनाव के लिए तैयार है. वहीं पार्षदों के वापस बुलाने वाले नियम पर कहा कि पार्षद वापस बुलाने का नियम आया है. तीन चौथाई पार्षद आवेदन देंगे, आवेदन का परीक्षण होगा. चुनाव आयोग मतदान कर के जनता से चुने हुए को जनता वापस बुला सकेगी.

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संशोधन विधेयक का विरोध, विपक्ष ने किया वॉकआउट

संशोधन विधेयक सदन के पटल पर रखने के बाद शुरु हुई चर्चा के बाद विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. चर्चा के दौरान नेताप्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इसे संविधान के विपरीत बताया. वहीं विपक्षी विधायकों ने इस संशोधन विधेयक का जमकर विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया. वहीं विपक्षी विधायक नारेबाजी करते हुए विधानसभा परिसर में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास बैठकर जमकर नारेबाजी की.

नगर पालिका और नगर पालिक निगम संशोधन विधेयक को लेकर नेताप्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा कि जो संशोधन विधेयक लाया गया उसमें नगर पालिक और नगर पंचायत को 6 माह बढ़ाने के लिए उन्हें अनुमति चाहिए. हमारा विरोध है दोनों संशोधन आप नहीं ला सकते. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था मध्यप्रदेश के मामले में कि 6 माह कार्यकाल नहीं बढ़ा सकते. संविधान के खिलाफ यह संशोधन है. वहीं इसे लेकर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि दो महत्वपूर्ण विधायक को लाया गया है. आम जनता सीधे महापौर अध्यक्ष चुन पाएगी. शासन काल पूरा होने पर प्रशासक नियुक्त किया जा सकेगा. अधिकतम 6 महीने पहले चुनाव कराया जाएगा.

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