CG News: आज से 15 साल पहले हुई थी सबसे बड़ी नक्सल वारदात, 76 जवान हुए थे शहीद
76 जवान हुए थे शहीद
CG News: आज के दिन 15 साल पहले देश को हिला देने वाली घटना सुनकर सबके आंखों में आंसू भर गई, सुबह-सुबह टीवी मे खबर चल रही थी. जिला दंतेवाड़ा के कोन्टा तहसील में ताड़मेटला में मुठभेड़ हुई. इस मुठभेड़ में लगभग छः दर्जन से ज्यादा जवान मारे गए.
6 अप्रैल 2010 को हुआ था सबसे बड़ा हमला
मुठभेड़ अभी जारी थी, प्रदेश भर में हाहाकार मच गया. 10 बजे खबर की पुरी पुष्टि हुई कि देश का सबसे बड़ा माओवादी आतंकी हमला था. जिसमें कुल 76 जवान वीरगति को प्राप्त हुए, बलिदान होने वालों में 75 जवान सीआरपीएफ और एक जवान जिला पुलिस बल के था. 6 अप्रैल 2010 की ये खबर से देश थरथरा गया था क्योंकि जिस जगह नाम तक कोई नहीं जानता था. उस गांव को अब देश भर लोग टीवी स्क्रीन पर देख रहे ये रायपुर से लेकर दिल्ली तक हलचल मच चुकी थी. 76 जवानों की शहादत ने देश को मायुश कर दिया. लोगों को यकीन कर पाना मुश्किल था.
ऐसे घटना को दिया अंजाम
इस दिन इस माओवादियों के द्वारा किए गए इस हमले की भयावहता मानो तो जवानों के एक बड़े कबीले के लोगों पर हो हमला कर दिया हो, ऐसा लग रहा था मानो इस आतंकी हमले में माओवादियों ने सुरक्षाबलों की पूरी सीआरपीएफ की कंपनी को उड़ा दिया था. ये सभी जवान सीआरपीएफ के 62वीं बटालियन के थे. वहीं एक अन्य जवान जिला पुलिस बल से भी था. माओवादियों के गोलियों का सुरक्षाबलों ने जवाब 3 घंटे तथा लडकर दिया जिसमे 76 जवानो की रक्त से जंगल लाल हो गया था जवान सर्च अभियान पूरा कर सुबह-सुबह के समय वापसी कर रहे थे. गस्त के कारण अधिकांश जवान थके हुए थे और इसी का फायदा उठाते हुए तकरीबन 1000 से अधिक माओवादियों ने जवानों को घेरकर उनपर हमला बोल दिया.
दिल्ली में हुई थी आपात बैठक
यह घटना कितनी बड़ी थी इसका अंदाजा इस बात ने भी लगाया जा सकता है कि घटना के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने दिल्ली आपात बैठक बुलाई थी. इस बैठक में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री पी चिदंबरम, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, रक्षा मंत्री एके एंटनी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, आईबी के डायरेक्टर समेत तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल थे.
कांग्रेस सरकार ने नहीं की बड़ी कार्रवाई
केंद्रीय गृहमंत्री के निर्देश के बाद सीआरपीएफ डीजी और केंद्रीय गृहमंत्रालय के संयुक्त सचिव को रायपुर भेजा गया और उन्होंने मुख्यमंत्री समेत विभिन्न प्रमुख अधिकारियों से घटना पर चर्चा की. चर्चा बैठक हाल में खत्म तो गयी, लेकिन इसका परिणाम कुछ और नहीं निकला कांग्रेस की सरकार ने इतनी बड़ी घटना के बाद भी माओवादियों के खात्मे के लिए केंद्र स्तर से निर्देश देते हुए कोई व्यापक अभियान नहीं चलाया. जिसके बाद बस्तर में नतीजा यह हुआ कि साल-दर-साल माओवादियों ने आतंकी हमलों को अंजाम दिखते रहे और सुरक्षाबल के जवान बलिदान होते गए.
अब सरकार कि नीतियों से घुटने पर आए नक्सली
लेकिन अब बस्तर और बस्तर की जंगल से आने वाली बारूद की गंध में कमी दिख रही है इसका मतलब ये नहीं की नक्सलियो से बस्तर आजाद हो गया या नक्सलियो ने बस्तर को छोड़ दिया. केवल यह माना जाता है, और और हम देख भी रहे है कि कल के बस्तर और आज के बस्तर में पर्क साफ़ दिखाई दे रहा है सुकमा जिले में चलाये जा रहे छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति, पुना नकौम अभियान नई सुबह नई शुरुआत अभियान से प्रभावित होकर लगभग 1000 से ज्यादा नक्सलियो ने आत्मसमर्पण किया है. अब सुकमा के इन गांवों में पुलिस प्रशासन का सिधा आना जाना लगा रहता है, मानी तो यह भी एक विकास है, जिसकी उम्मीद लोगों ने नक्सलियों के आतंक से छोड़ दिया था.
“दक्षिण बस्तर” के दन्तेवाडा, सुकमा और बीजापुर में हुई मुठभेड़ जिसे भुला नहीं जा सकता है.
बाँसागुडा- 12 पुरवरी को बीजापुर के बाँसागुडा थाना क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट एसबी तिर्की शहीद हुए वही एक जवान मुठभेड़ में घायल हुआ
तर्रेम- बीजापुर के तर्रेम में 3 अप्रैल 2021 की सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 23 जवान शहीद हो गए हैं।
मिनपा- 23 मार्च 2020 को सुकमा जिले के मिनपा में नक्सली पुलिस मुठभेड मे 17 जवान शहीद हुए और 14 जवान घायल।
श्यामगिरी- 9 अप्रैल 2019 दंतेवाड़ा के लोकसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले नक्सलियों ने चुनाव प्रचार के लिए जा रहे भाजपा विधायक भीमा मंडावी की कार पर हमला किया था. माओवादियों के इस हमले में भीमा मंडावी के अलावा उनके चार सुरक्षाकर्मी भी मारे गए थे.
दुर्ग पाल- 24 अप्रैल 2017
सुकमा जिले के दुर्रपाल के पास नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 25 जवान उस सनय मारे गए, जब वो सड़क निर्माण के दौरान सुरक्षा के बीच खाना खा रहे थे.
दरभा – 25 मई 2013
बस्तर के दरभा घानी में हुए इस माओवादी हमले में आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा, कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 लोग मारे गए थे.
दंतेवाड़ा- 17 मई 2010
एक यात्री बस में सवार हो कर दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबल के जवानों पर माओवादियों ने बारूदी सुरंग लगा कर हमला किया था. इस हमले में 12 विशेष पुलिस अधिकारी समेत 36 लोग शहीद हुए थे.
ताड़मेटला- 6 अप्रैल 2010 वस्तर के ताड़मेटला में सीआरपीएफ के जवान सर्चिग के लिए निकले थे, जहां संदिग्ध माओवादियों ने बारुदी सुरंग लगा कर 76 जवानों को मार डाला था.
उरपलमेटा – 9 जुलाई 2007
एर्राबोर के उरपलमेटा में सीआरपीएफ और जिला पुलिस का बल माओवादियों की तलाश कर के वापस बेस कैंप लौट रहा था. इस दल पर माओवादियों ने हमला बोल दिया था. इस हमले में 23 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे.
रानीबोदली- 15 मार्च 2007
बीजापुर के रानीबोदली में पुलिस के एक कैंप पर आधी रात को माओवादियों ने हमला किया था और भारी गोलीबारी की थी. इसके बाद कैंप को बाहर से आग लगा दी गई थी. इस हमले में पुलिस के 55 जवान शहीद हो गए थे.