Surguja जिले के केंद्रों में बारिश से बर्बाद हो रहा करोड़ों का धान, अब इसे नीलामी कर बेचेगी सरकार

Surguja: सरगुजा जिले में किसानों से खरीदा गया धान अब संग्रहण केंद्र में बर्बाद हो रहा है. धान को तिरपाल के नीचे ढककर रखा गया है, लेकिन पिछले दिनों चले आंधी तूफान से तिरपाल स्टेक से निकल गया और उसके बाद बारिश से पूरा धान भीग गया.
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धान हो रहा बर्बाद

Surguja: सरगुजा जिले में किसानों से खरीदा गया धान अब संग्रहण केंद्र में बर्बाद हो रहा है. धान को तिरपाल के नीचे ढककर रखा गया है, लेकिन पिछले दिनों चले आंधी तूफान से तिरपाल स्टेक से निकल गया और उसके बाद बारिश से पूरा धान भीग गया. इसकी वजह से अब धान खराब हो रहा है तो बोरियों से बाहर अंकुरित धान झांक रहें हैं और धान के पौधे संग्रहण केंद्र में लहराने लगे हैं.

सरगुजा के केंद्रों में करोड़ों का धान बर्बाद

अंबिकापुर से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी में स्थित है चिखलाडीह गांव और इस गांव में मार्कफेड के द्वारा धान संग्रहण केंद्र बनाया गया है. जहां 5 एकड़ जमीन में स्टेट बनाकर साढ़े पांच लाख क्विंटल धान को रखा गया है. धान को यहां पर रखे हुए 5 महीने का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक धान का खुले आसमान के नीचे से उठाव शुरू नहीं हुआ है और यही वजह है कि हर महीने रुक रुक कर होने वाले बारिश के कारण अब यहां रखा हुआ धान खराब हो रहा है. धान की सैकड़ो बोरियां खराब हो चुकी है धान की बोरियों से अंकुरण आना शुरू हो गया है और कई जगह धान के पौधे अंकुरण के बाद लहलहा रहे हैं इतना ही नहीं धान की बोरियां खराब गई है और बोरियों में रखा धान अब काला पड़ने लगा है, हां तो यह है कि ऐसी लापरवाही तब बढ़ती जा रही है जब छत्तीसगढ़ सरकार के अफसर के द्वारा जिला और संभाग स्तर के अधिकारियों की हर सप्ताह मीटिंग ली जाती है और धान को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया जाता है इतना ही नहीं धान को सुरक्षित रखने के लिए हर साल करोडो रुपए खर्च भी किया जा रहे हैं लेकिन इसके बाद भी लापरवाही ऐसी की देखकर आप भी कहेंगे क्या अन्न यही सम्मान है.

धान का उठाव नहीं होने से नुकसान

सरगुजा के सीतापुर और चिखलाडीह गांव में मार्कफेड ने धान संग्रहण केंद्र बनाया है. चिखलाडीह में 5.62 लाख क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे रखा गया है जो करीब 175 करोड़ रूपये का धान है. अब सरकार धान की नीलामी की तैयारी कर रही है. 22 अप्रैल को धान की नीलामी की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. इससे पहले 2008 में भी छत्तीसगढ़ में धान की नीलामी हुई थी लेकिन धान की नीलामी से सरकार को बड़ा नुकसान होगा क्योंकि सरकार ने 31 सौ रूपये प्रति क्विंटल में धान ख़रीदा है और नीलामी इससे कम में होने की आशंका है. वहीं बारिश शुरू होने में 2 महीने का वक्त बचा है और अगर धान का उठाव जल्दी नहीं हुआ तो पूरा धान बर्बाद हों जायेगा.

Seedhe Mudde Ki Baat : करोड़ों का धान बारिश में बर्बाद हो रहा है | Chhattisgarh Dhan | Surguja

यहां धान की बर्बादी को लेकर आसपास के लोग और यहां के कर्मचारी भी कह रहे हैं कि बरसात से पहले धान का उठाव नहीं हुआ तो सरकार को बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है वही मार्क फेड के अफसरो की लापरवाही के कारण भी धान खराब हो रहा है और सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर हर साल जब अरबो रुपए का धान खरीदा जा रहा है तो धान को रखने के लिए बड़े स्तर पर शेड का निर्माण क्यों नहीं किया जा रहा है. दबी जुबान में अफसर यह कहते हैं कि अगर बड़े अफसर चाह ले तो हर साल जितना रुपए धान को सुरक्षित रखने में खर्च किया जाता है उतने रुपए में अच्छे शेड का निर्माण हो सकता है.

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संग्रहण केंद्र में धान को सुरक्षित रखने के लिए कैप कवर की खरीदी की गई और एक-एक कैप कवर 10-10 हजार रुपए में खरीदा गया है. चिखलाडीह केंद्र के लिए करीब 50 लाख से अधिक का कैप कवर खरीदा गया है. वही संग्रहण केंद्र में ट्रको से धान को उतारने और उसके बाद संग्रहण केंद्र से उठाव में करीब 1 करोड़ 30 लाख रुपए का मजदूरी लग रहा है. इसके अलावा धान की बर्बादी हो रही है वहीं अगर यही धान सीधे धान खरीदी केन्द्रो से राइस मिलों तक पहुंचा होता तो सरकार का करोडो रुपए बचा होता है और धान भी खराब नहीं हुआ होता.

मौसम की वजह से धान हो रहा खराब

धान संग्रहण केंद्र प्रभारी अर्पण तिर्की ने बताया कि लगातार मौसम में हो रहे हो उधर चढ़ाव की वजह से रखा हुआ धान खराब हो रहा है. अगर समय पर धान का उठाव हो गया होता तो ऐसी स्थिति नहीं बनी होती वही आने वाले दिनों में जितना अधिक देरी होगा धान उतना अधिक और खराब होगा.

बता दें कि छत्तीसगढ़ में धान व चावल घोटाले के मामले में कई बड़े अफसर जेल जा चुके हैं और हर साल करोडो रुपए का धान घोटाला होता है. धान खरीदी केंद्र से लेकर धान संग्रहण केंद्र तक और धान संग्रहण केंद्र से लेकर राइस मिल और नीलामी तक. इसके बाद राइस मिलर से लेकर चावल सप्लाई करने वाले पुरे चैन में बड़े स्तर पर गड़बड़ी होती है लेकिन इसके बावजूद इसे रोकने के लिए कोई ठोस एक्शन नहीं दिया जा रहा है. धान खरीदी जहां किसानों के लिए राहत देने का काम करता है तो वही अफसर के लिए यह कमाई का जरिया बन गया है और सरकार को करोड़ों का चुना लग रहा है.

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