CG News: अमरकंटक के कपिलधारा में जान जोखिम में 30 फीट नीचे उतर रहे लोग, सेल्फी के चक्कर में ले रहे रिस्क
CG News: छत्तीसगढ़ की सीमा और मध्य प्रदेश का हिस्सा रहने वाले अमरकंटक की पहचान शिव की नगरी के तौर पर है. कपिलधारा दूध धारा और कई ऐसे खूबसूरत जगह है जिसके लिए लोग बड़े पैमाने पर वहां जाते हैं. लेकिन यहां सबसे बड़ी गलती कपिलधारा में हो रही है. कपिलधारा वॉटरफॉल में लोग नहाने के लिए जान जोखिम में डालकर उतर रहे हैं और ऊपर से गिरते पानी में उन्हें धीनगा मस्ती करते और नहाते धोते देखा जा सकता है. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां सेल्फी के लिए भी लोग बड़ी संख्या में उतर रहे हैं और ऐसे में इस पहाड़ पर कोई फिसल कर गिरा तो जान जा सकती है. यही वजह है कि लोग यहां की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहे हैं.
शुक्रवार को आदिवासी दिवस और शनि रवि को छुट्टी होने के कारण बड़े पैमाने पर लोग ऐसे स्पॉट पर पहुंच रहे हैं, जहां प्रकृति की खूबसूरती बारिश के दिनों में देखते ही बना रहे हैं. इनमें ही अमरकंटक भी शामिल है जहां लोग न सिर्फ सावन के कारण बल्कि छुट्टियां का आनंद लेने भी यहां पहुंच रहे हैं. यहां कई ऐसे खूबसूरत स्पॉट है, जहां लोगों की बड़ी भीड़ देखी जा सकती है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि यहां सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं है.
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कपिलधारा और सोनमुड़ा के अलावा में की बगिया में भी लोग पहाड़ों के नीचे रिस्क लेते देखे जा सकते हैं. बारिश के दिनों में वैसे भी पहाड़ और वॉटरफॉल जितना खूबसूरत होता है उतना खतरनाक क्योंकि गहरा पानी और फिसलन दोनों लोगों के लिए ठीक नहीं है इसके बावजूद लोग बड़ी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं और कुछ ऐसे भी लोग हैं जो जान जोखिम में डालकर कई तरह से वाटरफॉल के करीब पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
जमकर हो रही वसूली
जिन स्थानों पर लोग पहुंच रहे हैं वहां स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के शह पर ठेकेदार के गुर्गे पार्किंग और अन्य चीजों के नाम पर खूब पैसे वसूल रहे हैं. कपिलधारा और दूध धारा के पास करीब कार ले जाने पर ₹200 और 1 किलोमीटर दूर रखने पर ₹50 का शुल्क वसूला जा रहा है. इसके अलावा भी सावन का महीना और दूसरे कारण के चलते होटल वालों ने भी मनमर्जी पैसे वसुनने शुरू कर दिए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इसके कारण उन शिव भक्तों को दिक्कत हो रही है, जो पैदल चलते हुए मां नर्मदा से पानी लेकर शिव को अर्पित कर रहे हैं क्योंकि उन्हें भी यहां ठहरना है और खाना पीना है, कुल मिलाकर दिक्कतें बरकरार है और स्थानीय प्रशासन इस पर ध्यान देने को तैयार नहीं है