CG News: तेंदुपत्ता गोदाम के नाम पर करोड़ों का घोटाला, 2500 पेज के सबूतों के साथ पुलिस से हुई शिकायत
पुलिस से हुई शिकायत
CG News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में तेंदूपत्ता गोदाम घोटाला का मामला सामने आया है. एक तो अंबिकापुर में बेवजह बिना जरुरत के तेंदूपत्ता गोदाम का निर्माण कराया गया था कि करोड़ों रुपए का घोटाला किया जा सके वहीं दूसरी तरफ घोटाला करने के लिए कुटरचित दस्तावेजों और फर्जी बिल व्हाचर के माध्यम से पूरा फर्जीवाड़ा किया गया है.
तेंदुपत्ता गोदाम के नाम पर करोड़ों का घोटाला
छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की सरकार थी तब कई घोटाले हुए हैं और अब सभी घोटाले धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं. अफसर ने घोटाले करने के लिए ही कई प्लान तैयार किया और इसके बाद नेताओं और मंत्रियों के करीबी लोगों ने मिलकर बड़े स्तर पर गोलमाल किया है, अंबिकापुर से लगे साड़वाड नामक इलाके में वन विभाग के द्वारा 2021 में 8 तेंदूपत्ता गोदाम बनवाया गया और इस गोदाम के निर्माण में करीब 30 करोड़ से अधिक रुपए खर्च किया गया, लेकिन अब गोदाम खाली पड़े हुए हैं और इन गोदाम का उपयोग सरकारी राशन रखने के लिए किया जा रहा है क्योंकि यहां गोदाम बनाने की जरूरत ही नहीं थी ऐसा इसलिए क्योंकि तेंदूपत्ता का उत्पादन इतना नहीं होता है कि आठ आठ बड़े गोदाम की जरूरत पड़े. सबसे हैरानी की बात तो यह है कि गोदाम के निर्माण में बड़े स्तर पर घोटाले का आरोप लग रहा है.
जानिए कैसे हुआ है पूरा घोटाला
24 फरवरी 2021 को छत्तीसगढ़ लघु वनोपज सहकारी संघ रायपुर के द्वारा गोदाम निर्माण के लिए पत्र लिखा गया. वनोपज सहकारी संघ के पत्र के बाद मुख्य वन संरक्षक ने नवीन गोदाम निर्माण के लिए स्वीकृति भेजा गया. सरगुजा में कुल आठ गोदाम निर्माण की स्वीकृति मिली. एक गोदाम फॉरेस्ट कैंपस काष्ठागार अंबिकापुर और बाकी सात गोदाम साड़बाड़ में बनाने स्वीकृति मिली. एक गोदाम निर्माण की लागत 1.46 करोड़ रूपये तय किया गया. ड्राइंग डिजाइन के विपरीत घटिया निर्माण किया गया. प्रधानमंत्री कार्यालय और सरगुजा आयुक्त ने जांच के आदेश भी दिए हैं. फर्जी बिल और वाउचर लगाकर करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है.
आरटीआई से मिले दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि एक-एक मजदूर को मजदूरी करने के एवज में 6 से 10 लाख रुपए तक का भुगतान किया गया है. ये मजदूर कौन हैं, बिल वाउचर में इसका भी स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है. मतलब साफ है मजदूरों को भुगतान के नाम पर भी करोडो रुपए का वारा न्यारा किया गया है. यही वजह है कि इसकी शिकायत 2500 पेज वाले साक्ष्य के साथ अंबिकापुर कोतवाली थाने में भी की गई है.
अफसर भी बने मूकदर्शक
विस्तार न्यूज़ की टीम जब गोदाम की वस्तु स्थिति जानने पर मौके पर पहुंची तो वहां वन विभाग का एक चौकीदार भी मिला उसका कहना है कि ठेकेदार करीब साल भर पहले ही निर्माण काम अधूरा छोड़कर जा चुका है. यहां काम करने वाले मजदूर उड़ीसा से आकर काम कर रहे थे. अफसर भी यहां काम को देखने पहुंचते हैं लेकिन अधूरे निर्माण को लेकर कुछ नहीं बोलते हैं.
बहरहाल अब देखने वाली बात होगी कि इस पूरे मामले की जांच कब तक पूरी होती है क्योंकि यह दस्तावेजों में पूरी गड़बड़ी साफ तौर पर दिखाई दे रही है. वही इस पूरे मामले पर वन विभाग के जिम्मेदार कुछ भी बोलना नहीं चाह रहे हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि इस पूरे मामले की शिकायत वर्तमान और पूर्व के डीएफओ, रेंजर सहित वन विभाग के फॉरेस्टर के खिलाफ में भी की गई है.