CG News: गोंड आदिवासियों की ‘उल्टी घड़ी’, इसमें राइट से लेफ्ट चलती हैं सूइयां, जानें क्या हैं इसकी मान्यता
गोंडवाना घड़ी
हरीश साहू (कोरबा)
CG News: हम सब के घर में टाइम देखने के लिए तो कई तरह की घड़ियां होती है, जो सामान्यतः बाएं से दाएं चलती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में गोंडवाना आदिवासी के लोग गोंडवाना घड़ी का प्रयोग करते है जो उल्टी चलती है. इसे गोंडवाना घड़ी के नाम से जाना जाता है.
गोंड आदिवासियों की ‘उल्टी घड़ी’
आमतौर पर घड़ी सुइयां बाएं से दाएं चलती है, इसे गोंडवाना आदिवासी के लोग इस घड़ी को उल्टी घड़ी मानते है, जिसके कारण ये लोग (गोंडवाना घड़ी) जिसका नाम गुंडी भाषा में गोंडवाना बेरो कहा जाता है, इसका इस्तेमाल करते है. गोंडवाना आदिवासी के लोग इस घड़ी को प्रकृति के पक्ष में मानते है और सामान्य घड़ी को प्रकृति के विपरीत. इसके अलावा गोंडवाना आदिवासी के लोगों ने बताया है कि पृथ्वी, खेत की जुताई, जाता, पेड़ के नार, सांप की कुंडी मारना, रेस में दौण्ड सभी चीज़ दाएं से बाएं होती है, और यही प्रकृति का नियम है. सामान्य घड़ी की दिशा को यह विपरीत मानते है और प्रकृति के विपरीत जाने को यह नुकसान होना भी कहते है.
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कोरबा में बनती है गोंडवाना बेरो
इसके अलावा (गोंडवाना बेरो) इस घड़ी का निर्माण करने वाले कोरबा जिले के ही रहने वाले है उनका नाम गणेश मरपच्ची है उन्होंने यह घड़ी का सन 2000 में बनाई थी. यह घड़ी आपको कोरबा में बुधवारी स्थित आदिवासी शक्तिपीठ में लटकी हुई मिल जाएगी. यह घड़ी अपने आप में एक मिसाल है, और इस विचित्र घड़ी को देखने मात्र के लिए दूर दूर से भी लोग यहां पहुंचते है.
यह घड़ी आज देश के 18 राज्यो में प्रचलित है, आदिवासी लोग इसे प्रकृति के अधीन तो मानते ही है लेकिन अन्य जनजाति के लोग भी इसे अब मानने लग रहे है क्योंकि प्रकृति के विपरीत जाना मानव जीवन के लिए हानिकारक है.
गोंडवाना आदिवासी के लोग सामान्य घड़ी को गलत बताते है. लेकिन आपको बता दें कि प्राचीन समय में समय देखने के लिए लोग सूर्य की छाया से समय का अनुमान लगाते थे और इसी समय को आंकलन करने के लिए सामान्य घड़ी का निर्माण किया गया था जिसे सूर्य घड़ी भी कहते है. जो बाएं से दाएं चलती है और घड़ी का निर्माण लोगो को समय की सटीक जानकारी के लिए बनाई गई है.