Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि के पहले दिन छत्तीसगढ़ के देवी मंदिरों में उमड़ा जनसैलाब, जानिए प्रमुख मंदिरों की मान्यता
छत्तीसगढ़ के मंदिर
Chaitra Navratri 2025: आज चैत्र नवरात्र का पहला दिन है. चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है. वहीं पहले दिन देवी शैलीपुत्री की पूजा की जाती है. छत्तीसगढ़ के देवी मंदिरों में नवरात्र के पहले दिन सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी, दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी, रतनपुर में मां महामाया, सुरजपूर में मां कुदरगढ़ी, चंद्रपुर में मां चंद्रहासिनी, धमतरी में मां अंगारमोती और बिलई माता मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है.
वहीं राजधानी रायपुर के महामाया मंदिर, रावाभांठा स्थित बंजारी मंदिर, आकाशवाणी चौक स्थित काली माता मंदिर में भक्त पहुंच रहे हैं.
नवरात्रि में जानिए प्रमुख मंदिरों की मान्यता
- मां बम्लेश्वरी देवी (डोंगरगढ़)
मां बम्लेश्वरी देवी छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो भक्तों के बीच बहुत पूजनीय है. यह मंदिर राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ शहर में एक पहाड़ी पर स्थित है, जिसे “बड़ी बम्लाई” के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा, पहाड़ी के नीचे एक और मंदिर है, जिसे “छोटी बम्लाई” कहा जाता है. यह स्थान मां दुर्गा के भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है.
2. मां महामाया (रतनपुर)
मां महामाया छत्तीसगढ़ के रतनपुर में स्थित एक प्रसिद्ध देवी मंदिर है, जो भक्तों के बीच बहुत श्रद्धा और आस्था का केंद्र है. यह मंदिर रतनपुर शहर में, बिलासपुर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसे भी भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. मान्यता के अनुसार, यहाँ देवी सती का दायाँ कंधा गिरा था, जिसके कारण इस स्थान का धार्मिक महत्व बढ़ गया.
मां महामाया को दुर्गा का एक शक्तिशाली रूप माना जाता है और उनकी मूर्ति चार भुजाओं वाली है.मां महामाया मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा-अर्चना और उत्सव आयोजित किए जाते हैं. यहाँ की एक खास परंपरा है कि भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी होने पर मंदिर में घंटियाँ चढ़ाते हैं, जिसके कारण मंदिर परिसर में कई घंटियाँ देखी जा सकती हैं.
मां दंतेश्वरी (दंतेवाड़ा)
मां दंतेश्वरी छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध देवी मंदिर हैं, जिन्हें बस्तर क्षेत्र की आराध्य देवी के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर दंतेवाड़ा शहर में शंखिनी और डंकिनी नदियों के संगम के पास स्थित है और इसे भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि देवी सती का दांत इस स्थान पर गिरा था, जिसके कारण इस जगह का नाम “दंतेवाड़ा” पड़ा और मां दंतेश्वरी की स्थापना हुई.