Chhattisgarh: जानिए छत्तीसगढ़ में कैसे हुआ करोड़ों का शराब घोटाला? कौन-कौन हुआ गिरफ्तार

Chhattisgarh News: इस अवैध वसूली के सरगना में सबसे बड़ा नाम अनवर ढेबर है जो कि बिल्डर औरहोटल व्यवसायी है. अरविंद सिंह जो पहले शराब के व्यवसाय से जुड़े थे. अनिल टुटेजा तत्कालीन संयुक्त सचिव, वाणिज्य और उद्योग विभाग छ.ग. शासन. अरूणपति त्रिपाठी, आबकारी विभाग में अधिकारी रह चूक है. विकास अग्रवाल अवैध उगाही के पैसे इकठ्ठे करने वाला है. हर महीने लगभग 200 ट्रक अवैध शराब सप्लाई की जाती थी.
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शराब घोटाला

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शराब घोटाले मामले में एसीबी ने कोर्ट में 9 हजार पेज का चालान पेश किया है. इसमें कैसे 5 साल तक छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला किया गया. इस घोटाले में किसकी क्या भूमिका है?

दरअसल तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार में सबसे बड़ा दाग शराब घोटाले का लगा है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने शराब बंदी का वादा का चुनाव जीती थी. लेकिन सरकार बनने पर शराबबंदी की जगह शराब पर बड़ा घोटाला हुआ है. इस लिए इस घोटाले पर बाद करना जरूरी है. घोटाला 2019 से शुरू हुआ और 2023 तक यानी जबतक राज्य में कांग्रेस की सरकार रही तब तक चली है. इस दौरान 3 पार्ट में शराब घोटाला किया गया है और 1600 करोड़ से ज्यादा सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया. शराब घोटाले में 2019 से 2023 तक शराब घोटाले में 1660 करोड़ 41 लाख 56 रुपए की अवैध कमाई की गई है. इसको 3 पार्ट में बांटा गया है, क्योंकि सिंडिकेट ने फुलप्रूफ सेट अप के साथ ये घोटाला किया गया है.

अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी जैसे बड़े नाम आए सामने

इस अवैध वसूली के सरगना में सबसे बड़ा नाम अनवर ढेबर है जो कि बिल्डर औरहोटल व्यवसायी है. अरविंद सिंह जो पहले शराब के व्यवसाय से जुड़े थे. अनिल टुटेजा तत्कालीन संयुक्त सचिव, वाणिज्य और उद्योग विभाग छ.ग. शासन. अरूणपति त्रिपाठी, आबकारी विभाग में अधिकारी रह चूक है. विकास अग्रवाल अवैध उगाही के पैसे इकठ्ठे करने वाला है. हर महीने लगभग 200 ट्रक अवैध शराब सप्लाई की जाती थी. एक ट्रक में लगभग 800 शराब की पेटी होते थे. एक पेटी के लिए सिंडिकेट शराब निर्माता को 560 रू देते थे, लेकिन इसे सरकारी दुकान में 2880 रुपए में बेचा जाता था. बाद में इसकी कीमत बढ़कर 3840 रूपये कर दिया गया.

सिंडिकेट में किसको कितना पैसा मिलता था?

प्रति पेटी शराब निर्माताओं को 560 रुपए मिलता था. जिला स्तर पर आबकारी अधिकारियों को लगभग 150 रू प्रति पेटी, 15 प्रतिशत शेयर अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर अपने पास रख लेते थे. बाकी हिस्सा उच्च राजनैतिक स्तर पर बांट देते थे, लेकिन ये शराब कितना सप्लाई होता था ये आंकड़ा आपको दिखाना जरूरी है, ताकि ये समझना आसान हो जायेगा की कैसे सिंडिकेट इतना बड़ा घोटाला कर रहा था और सरकार आंख मूंद कर बैठी थी. सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ के तीन बड़े शराब निर्माण कंपनी को अपने अवैध उगाही के खेल में शामिल किया. इसमें छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, भाटिया वाईन्स प्राइवेट लिमिटेड और वेलकम डिस्टलरी का नाम शामिल है. जो अवैध शराब CSMCL को शराब सप्लाई करता था.

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ऐसे हुआ शराब घोटाला

2019- 2020 में 1 करोड़ 16 लाख 18 हजार 869 पेटियां शराब सप्लाई, उस समय 75 रुपये कमीशन की व्यवस्था थी. डिस्टलरियों ने सिंडिकेट को 87 करोड़ 14 लाख 15 हजार 175 रुपये ने कमीशन दिया. 2020- 21 में 70 लाख 54 हजार 218 पेटियां शराब सप्लाई, प्रति पेटी कमीशन बढ़ाकर 100 रुपये कर दिया. डिस्टलरियों ने सिंडिकेट को 70 करोड़ 54 लाख 21 हजार 800 रूपये कमीशन दिया. 2021 – 2022 में 68 लाख 72 हजार 741 पेटियां शराब की सप्लाई, प्रति पेटी कमीशन की राशि 100 रुपये
डिस्टलरियों ने सिंडिकेट को 68 करोड़ 72 लाख 74 हजार 100 रूपए कमीशन दिया. 2022- 23 में 92 लाख 91 लाख 562 पेटी शराब की सप्लाई, प्रति पेटी कमीशन की 100 रूपए. डिस्टलरियों ने सिंडिकेट को 92 करोड़ 91 लाख 56 हजार 200 रूपए कमिशन दिया.

1. पार्ट A में कमीशन का गणित

छत्तीसगढ़ में शराब निर्माण करने वाले संस्थानों के मालिकों से मीटिंग कर शराब के रेट में बढ़ोत्तरी का आवेदन दिलवाना और बढ़े हुए रेट के आधार पर सिंडिकेट को अवैधानिक कमीशन देना.

जानिए पूरी कहानी

साल 2019 के शुरूवाती महीने में, अनवर ढेबर ने अपने जेल रोड रायपुर स्थित वेनिंगटन होटल में राज्य के तीन डिस्टलरियों के मालिकों को मीटिंग के लिए बुलाया था. मीटिंग में छत्तीसगढ़ डिस्टलरी से नवीन केडिया, भाटिया वाईन्स प्राइवेट लिमिटेड से भूपेन्दर पाल सिंह भाटिया और प्रिंस भाटिया, वेलकम डिस्टलरी से राजेन्द्र जायसवाल मौजूद थे. इस मीटिंग में अरूणपति त्रिपाठी और अरविंद सिंह भी उपस्थित थे. मीटिंग में अनवर ढेबर ने तय किया कि डिस्टलरियों के द्वारा जो शराब की सप्लाई की जानी है उस पर, प्रति पेटी कमीशन देना होगा। 2019- 20 के लिए कमीशन 75 रूपए तय किया गया था. इसके बाद इस कमीशन को बढ़ाकर 100 रूपए प्रति पेटी कर दिया गया. इसके जरिए 319 करोड़ 32 लाख 67 हजार 275 रुपए की अवैध कमाई की गई.

पार्ट B में का गणित समझिए

सिंडिकेट ने कमीशन की और अधिक वसूली के लिये नई व्यवस्था लाई गई. जिसके तहत डिस्टलरियों से देशी शराब निर्माण कर सीधे शासकीय देशी शराब दुकानों में बिक्री की योजना बनाई गई. इस योजना को कार्यरूप देने के लिये डिस्टलरियों की फिर से मीटिंग बुलाया जाकर बिना ड्यूटी पेड शराब के उत्पादन और दुकान में पहुंचाकर बेचे जाने तक पूरी व्यवस्था बनाई गई.

शराब के लिए डुप्लीकेट होलोग्राम की आवश्यकता थी, इसके लिए अरूणपति त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को काम दिया गया. अतिरिक्त शराब की बॉटलिंग डिस्टलरियों में किये जाने के लिए अरविंद सिंह के भतीजे अमित सिंह को खाली बॉटल सप्लाई करने का जिम्मा दिया गया. इस शराब को सरकारी दुकान में बिक्री के लिए जिले के आबकारी अधिकारियों को सेट करने करने का काम अरूणपति त्रिपाठी करते थे। 15 जिलों में आबकारी अधिकारी को सेट कर शराब की बिक्री शुरू कर दी. इसके बाद अवैध शराब के पैसे को इकठ्ठे करने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और विकास अग्रवाल को काम सौंपा गयाथा।

पार्ट C का गणित समझिए

सिंडिकेट ने देशी शराब निर्माता डिस्टलरियों के सप्लाई एरिया को कम/ज्यादा कर अवैध पैसे की उगाही की जाती थी. आपको बता दें कि देशी शराब को CSMCL के दुकानों से बिक्री करने के लिए डिस्टलरों के सप्लाई एरिया को 08 जोन में विभाजित किया गया था. इन 08 जोनों में प्रत्येक डिस्टलरों का जोन निर्धारित होता था। देशी शराब के टेंडर के आधार पर तीनों डिस्टलरों को निर्धारित जोन में शराब की सप्लाई करना होता है, लेकिन साल 2019 से सिंडिकेट ने टेण्डर में नई सप्लाई जोनों का निर्धारण प्रतिवर्ष कमीशन के आधार पर किया जाने लगा और 3 साल में 52 करोड़ रुपए की उगाही की गई। साल 2018 में छत्तीसगढ़ डिस्टलरी का मार्केट में भागीदारी 54 प्रतिशत, वेलकम डिस्टलरी का 28 प्रतिशत औरभाटिया का 18 प्रतिशत था, जिसे बाद में कमीशन लेने के लिये कम-ज्यादा किया गया.

15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है

अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, आकाश घोटेकर,त्रिलोक सिंह ढिल्लन, बंशी अग्रवाल,राजेंद्र कुमार टंडन,सौरभ शर्मा,अमित कुमार मिश्रा,कुलेश्वर साहू, संतु कुमार सिंह,दुर्गेश कुमार यादव,प्रकाश शर्मा, इरफान मेघजी, राजुराव इन लोगों के मोबाइल फोन पुलिस ने जब्त कर गिरफ्तार किया है.

सरकारी की एजेंसी का क्या काम होता है ?

छत्तीसगढ़ शराब खरीदी और बिक्री का काम सी एस एम सी एल (छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड) शराब के रखरखाव यानी वेयर हाउस, गोदाम डीपो में शराब का संग्रहण का काम सी एस बी सी (छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड) की तरफ से किया जाता था. वहीं आबकारी विभाग के पास शराब बनाने और उसकी बिक्री और रकम की निगरानी की जिम्मेदारी.

प्राइवेट एजेंसी का क्या काम होता है?

डिस्टलरी, ब्रेवरी,शराब सप्लायर का काम शराब बनाना, बॉटलिंग और सप्लाई का काम करते थे. मैन पॉवर सप्लाई एजेंसी का काम सरकारी दुकान में शराब की बिक्री. कैश कलेक्शन एजेंसी का काम दुकानों से शराब की बिक्री का पैसा कलेक्शन कर बैंक में जमा करने का है. होलोग्राम सुप्लायर एजेंसी शराब की बोतल में लगने वाले होलोग्राम सप्लाई करना. प्राइवेट एजेंसी को काम देने के लिए टेंडर किया जाता है.

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