Chhattisgarh: बाजार में बिक्री नहीं मिलने से प्राकृतिक पेंट निर्माण यूनिट बंद, लाखों के कर्ज में डूबी महिलाएं
Chhattisgarh News: राजनादगांव के लखोली बैगापारा क्षेत्र में महिलाओं को रोजगार से जोड़ने गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण का यूनिट लगाया गया था. 6 अप्रैल 2023 से यहां महिलाओं द्वारा गोबर और अन्य केमिकल की सहायता से डिस्टेंपर और इमर्शन पेंट तैयार किया जाने लगा. इस यूनिट से 10 महिलाएं और एक पुरूष को रोजगार मिल रहा था, लेकिन प्रदेश में सरकार बदलने के बाद गोबर खरीदी बंद हो गई और इसी के साथ यह पेंट का उद्योग भी बंद हो गया. इस यूनिट को शुरू करने के लिए महिलाओं ने कलस्टर के माध्यम से 9 लाख रुपए का कर्ज भी लिया है. अब पेंट उत्पादन का कार्य बंद होने से महिलाएं लिए गए कर्ज को नहीं पटा पा रही है. जिसके चलते महिलाओं ने प्रदेश सरकार से इस यूनिट को दोबारा शुरू करने की मांग की है, ताकि अपने ऊपर चढ़े इस कर्ज को महिलाएं उतार सके.
बाजार में बिक्री नहीं मिलने से प्राकृतिक पेंट निर्माण यूनिट बंद
लाखो रुपए की मशीनें लगाकर महिलाओं को रोजगार के अवसर से जोड़ा गया था. इसके लिए महिला समूह को प्राकृतिक पेंट बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. सरकार द्वारा खरीदे जा रहे गोबर से इस पेंट यूनिट के माध्यम से महिलाएं महंगे केमिकल और अन्य कलर का उपयोग करते डिस्टेंपर और इमर्सन पेंट तैयार करने लगी. शासन द्वारा मशीन लगाए जाने के बाद महिलाओं ने रॉ मटेरियल लेने कलस्टर के माध्यम से कर्ज ले लिया. शहर के लखोली बैगापारा क्षेत्र में जागृति उत्पादक स्वयं सहायता समूह द्वारा पेंट का निर्माण किया जाने लगा। महिला समूह की सदस्य संतोषी साहू ने बताया कि 6 अप्रैल वर्ष 2023 को यहां प्राकृतिक गोबर पेंट निर्माण का कार्य शुरू हुआ था और उन्होंने बेहतर उत्पादन हासिल करते हुए तीन-चार लाख रुपए का पेंट भी बेच लिया था और प्रतिदिन लगभग 8 सौ लीटर पेंट का निर्माण भी कर रही थी. इसी बीच प्रदेश में सरकार बदल गई और गोबर खरीदी बंद होने के बाद यह यूनिट भी बंद हो गया है.
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छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस की पूर्व सरकार द्वारा गोबर खरीदी की जा रही थी. इस गोबर से पुताई के लिए प्राकृतिक पेंट निर्माण करने लगभग 30-35 लाख का लागत लगा था. यूनिट दोबारा शुरू करने मांग वार्ड नंबर 33 की पार्षद एवं एमआईसी सदस्य ने किया है. पार्षद दुलारीबाई साहू ने कहा कि भाजपा सरकार प्रदेश में बनने के बाद इस यूनिट को बंद कर दिया गया है. अब महिलाओं के सामने रोजगार का संकट है. उन्होंने दोबारा से इस यूनिट को शुरू करने की मांग की है.
पुताई की अनिवार्यता हुई खत्म, सी-मार्ट में ढाई लाख का पेंट डंप
प्राकृतिक गोबर पेट के विक्रय के लिए शासन द्वारा सी-मार्ट को चुना गया था. यहां से ही सभी शासकीय भवनों की पुताई के लिए अनिवार्य रूप से इस पेंट को खरीदा जाना था. शासन के फरमान के बाद बड़े पैमाने पर इस पेंट की खरीदी भी सी-मार्ट के माध्यम से की गई, लेकिन अब शासन बदलते ही सी-मार्ट में लगभग ढाई लाख रुपए का प्राकृतिक गोबर पेंट जाम पड़ा हुआ है.
केमिकल हो रहे खराब!
शहर के लखोली बैगापारा में स्थापित प्राकृतिक गोबर पेट की इस यूनिट में रॉ मटेरियल सहित महंगे केमिकल जाम पड़े हुए हैं. पेंट निर्माण नहीं होने के चलते इन केमिकलों के खराब होने की संभावना भी बनी हुई है. कांग्रेस शासनकाल में महिलाओं द्वारा गोबर पेंट निर्माण को बाजार देने के उद्देश्य से सी-मार्ट से इसकी बिक्री शुरू की गई और सभी शासकीय भवनों को इस प्राकृतिक गोबर पेंट से पुताई करने का निर्देश भी जारी किया गया, ताकि महिलाओं द्वारा निर्मित इस पेंट की बिक्री बढ़ सके, लेकिन सरकार बदलते ही शासकीय भवनों की इस प्राकृतिक पेंट से पुताई की अनिवार्यता भी बंद हो गई है.