नक्सलियों ने टेके घुटने! सुरक्षाबलों के ऑल आउट ऑपरेशन से डरकर की संघर्ष-विराम की अपील, लेटर आया सामने

नक्सलियों ने टेकें घुटने
CG News: छत्तीसगढ़ में लगातार नक्सलियों खिलाफ हो रही कार्रवाई से नक्सली अब घुटने पर आ गए है. नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी मेंबर अभय उर्फ वेणुगोपाल का एक कथित लेटर सामने आया है. जिसमें उन्होंने संघर्ष विराम की अपील की है.
जवानों की कार्रवाई से डरे नक्सली, संघर्ष-विराम की अपील
नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी मेंबर अभय उर्फ वेणुगोपाल का एक कथित लेटर सामने आया है. जिसमें अब नक्सली सरकार से युद्ध विराम की अपील कर रहे हैं. बंदूक की नोंक पर सत्ता हासिल करने की बात रखने वाले नक्सली अब युद्ध विराम चाहते हैं. करीब चार दशकों तक देश में लाल आतंक के जरिए उत्पात मचाने वाले नक्सली अब शांति चाहते हैं. दो पन्नों का ये लेटर तेलगु भाषा में है, जो कि 28 मार्च को जारी किया गया है.
नक्सलियों ने लेटर जारी कर की मांग
नक्सलियों ने लेटर जारी कर सुरक्षाबलों की वापसी और उग्रवाद विरोधी अभियानों को बंद करने की मांग की है. माओवादी इन शर्तों को पूरा करने पर बातचीत के लिए तत्परता व्यक्त करते हैं.
संघर्ष विराम और शांति वार्ता के लिए अपील
- सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय समिति ने मध्य भारत में युद्ध को तत्काल रोकने की मांग की है.
- वे शांति वार्ता को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत सरकार और भाकपा (माओवादी) दोनों से बिना शर्त संघर्ष विराम की मांग करते हैं.
सरकार का माओवाद विरोधी आक्रामक (‘कागर’ ऑपरेशन)
- भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर ‘कागर’ शुरू किया, माओवादी प्रभावित क्षेत्रों को लक्षित करने वाला एक गहन उग्रवाद विरोधी अभियान.
- ऑपरेशन के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर हिंसा, हत्याएं और बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई हैं.
- हताहत और मानवाधिकारों का उल्लंघन
- 400 से अधिक माओवादी नेताओं, कार्यकर्ताओं और आदिवासी नागरिकों की कथित तौर पर हत्या कर दी गई है.
- महिला माओवादियों को कथित तौर पर सामूहिक यौन हिंसा और फांसी के अधीन किया गया है
- कई नागरिकों को गिरफ़्तार किया गया है और अवैध हिरासत और यातना के अधीन किया गया है.
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शांति वार्ता के लिए माओवादी शर्तें
- प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों से सुरक्षा बलों की तत्काल वापसी
- नए सैनिकों की तैनाती के लिए अंत
- उग्रवाद विरोधी अभियानों का निलंबन
सरकार के खिलाफ आरोप
- सरकार पर क्रांतिकारी आंदोलनों को दबाने के लिए आदिवासी समुदायों के ख़िलाफ़ “नरसंहार युद्ध” छेड़ने का आरोप है
- नागरिक क्षेत्रों में सैन्य बलों का उपयोग असंवैधानिक होने का दावा किया जाता है
- सीपीआई (माओवादी) सार्वजनिक समर्थन के लिए कॉल
- माओवादी बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, पत्रकारों, छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं से शांति वार्ता के लिए सरकार पर दबाव बनाने का आग्रह करते हैं
- बातचीत के लिए गति बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियानों का अनुरोध किया जाता है
- शांति वार्ता के लिए माओवादी तत्परता
- यदि सरकार उनकी पूर्वापेक्षाओं से सहमत होती है तो वे बातचीत में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करते हैं
- सीपीआई (माओवादी) का कहना है कि जैसे ही सरकार सैन्य अभियान बंद कर देगी, वे युद्धविराम की घोषणा करेंगे.
कौन है नक्सली अभय, जिसने जारी किया लेटर
अभय उर्फ वेणुगोपाल सीपीआई(माओ) केन्द्रीय समिति का प्रवक्ता है, जिसपर 1 करोड़ का ईनाम है, यह मोस्ट वांटेड नक्सली है, इसका काम नक्सल संगठन की रणनीति बनाना, नक्सल संगठन का प्रचार-प्रसार, मुठभेड़ की प्लानिंग करना है, इसके अंडर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ झारखंड तेलंगाना आंध्र प्रदेश ये पांच राज्य है.
अमित शाह ने दी थी डेडलाइन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 24 अगस्त 2024 को रायपुर में नक्सल प्रभावित राज्यों की अंतर राज्यीय समन्वय समिति बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में उन्होंने नक्सलवाद के अंत की डेडलाइन तय करते हुए बताया कि मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म किया जाएगा. केंद्रीय मंत्री अमित शाह की तय डेडलाइन के बाद छत्तीसगढ़ में लगातार सुरक्षाबल और जवान एंटी नक्सल ऑपरेशन में सफलता हासिल की है. साल 2025 में अभी मार्च का महीना बीतने को ही है और 29 मार्च तक प्रदेश में 144 नक्सली ढेर हो चुके हैं.