Chhattisgarh News: हाथी और इंसानों के बीच संघर्ष जारी! 3 साल में 100 से अधिक लोग मारे, हाथियों ने तोड़े 3 हजार मकान, 40 हाथी की गई जान

Chhattisgarh News: सरगुजा क्षेत्र में जंगलों को काटकर तेजी से कृषि योग्य जमीन बनाया गया तो लोगों ने जंगल किनारे मकान बना लिए हैं.
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जंगल में हाथी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Chhattisgarh News: जशपुर जिले के बगीचा इलाके में हाथी ने एक व्यक्ति को कुचलकर मार डाला, जबकि उसके एक अन्य साथी ने भागकर अपनी जान बचा ली. मृतक और उसके साथी रात में शादी समारोह में शामिल होने के बाद वापस लौट रहे थे. सरगुजा संभाग में इन दिनों 100 से अधिक हाथी घूम रहे हैं.

पिछले तीन सालों में हाथियों ने सरगुजा संभाग में 100 से अधिक लोगों की जान ली है. यही वजह है कि हाथियों और इंसान के बीच संघर्ष तेज हो रहा है, जान बचाने के संघर्ष में लोगों ने पिछले तीन सालो में करेंट से 40 हाथियों को इस इलाके में मारा है.

हाथियों ने तीन सालों में तीन हजार मकानों को तोड़ा

दरअसल, जशपुर जिले के पसिया निवासी खिलेश्वर नागवंशी अपने एक साथी के साथ शनिवार रात घर लौट रहा था. तभी जंगली हाथी से उसका सामना हो गया और हाथी ने उसे कुचलकर मार दिया. इस घटना के बाद इलाके के लोग दहशत में हैं, लोग हाथियों के डर से रात में भी नहीं सो पा रहे हैं चूंकि लोगों को डर बना रहता है कि हाथी कभी भी आकर उनके कच्चे मकानों को तोड़ देंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि सरगुजा संभाग में हाथियों ने पिछले तीन सालों में तीन हजार मकानों को तोड़ा है तो सात हजार हेक्टेयर फसल को बर्बाद भी किया है.

सरगुजा संभाग में 1990 के दशक के बाद हाथियों के कुछ दल झारखण्ड की तरफ से यहां पहुंचे जब यहां माइंस खुले हैं. इसके बाद लगातार हाथियों का आना-जाना बना रहा और पिछले एक दशक से हाथियों और इंसानों के बीच संघर्ष तेज हुआ है जो अब बढ़ता ही जा रहा है.

हाथी अपने लिए सुरक्षित जगह खोजने भटक रहे हैं

सरगुजा क्षेत्र में जंगलों को काटकर तेजी से कृषि योग्य जमीन बनाया गया तो लोगों ने जंगल किनारे मकान बना लिए. वहीं माइंस खुलने के कारण अब हाथियों को सुरक्षित रहवास नहीं मिल रहा है. यह अलग बात है कि जंगलों में हाथियों को गर्मी के दिनों में पानी और चारा उपलब्ध कराने कई योजनाओं के माध्यम से करोड़ों रूपए खर्च किए गए फिर भी ईमानदारी से काम नहीं होने की वजह से इसका फायदा नहीं मिला.

इसके कारण हाथी अपने लिए सुरक्षित जगह खोजने भटक रहे हैं. लोगों से सामना होने पर कभी हाथी तो कभी इंसान की जान जा रही है. जब लोगों की हाथी जान लेते हैं तो लोग आक्रोषित हो जाते हैं और फिर करेंट वाला तरंगित तार बिछाकर हाथियों को मार देते हैं.

हर महीने सरगुजा में हाथियों की जा रही जान

ग्रामीण इलाकों में लोग अपने घरों को हाथियों से बचाने के लिए चारो तरफ से तार से फेंसिंग करते हैं तो फसलों को भी बचाने के लिए लोगों ने फेंसिंग किया हुआ है. यह भी एक वजह है कि हाथी इसमें करेंट होने की वजह से मारे जाते हैं. पिछले दिनों बलरामपुर जिले में ही एक हाथी की इसी तरह करेंट की चपेट में आने से मौत हो गई थी. औसतन हर महीने सरगुजा संभाग में हाथियों की भी जान जा रही है.

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वन्य जीव विशेषज्ञ अमलेदु मिश्रा कहते हैं कि हाथियों और इंसानों का संघर्ष इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि जंगल घट रहे हैं, हाथियों को रहवास, पानी और भोजन की जरूरत है. जब इसकी कमी होती है तो हाथी आक्रमक होते हैं. हाल यही रहा तो आने वाले समय में हाथी और इंसान के बीच जो ताकतवर होगा वही बचेगा और कमजोर मारा जाएगा.

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