Chhattisgarh: चैंबर ऑफ कॉमर्स के चुनाव में विरोधी खेमे आए साथ, दिलचस्प हुआ मुकाबला, जानिए पूरा समीकरण
चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज. जिसमें 12 लाख से अधिक व्यापारी प्रत्याक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जु़ड़े हुए हैं. इसके चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का सिलसिला शुरू हो चुका है. इस बार मौजूदा अध्यक्ष अमर परवानी भले ही चुनाव नहीं लड़ रहे लेकिन दो विरोधी खेमों के साथ आ जाने से चुनाव दिलचस्प हो गए हैं.
चैंबर ऑफ कामर्स के चुनाव को लेकर चर्चा तेज
छत्तीसगढ़ में निकाय चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के चुनाव की चर्चा जोरों पर चल रही है. 1959 में बने छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े व्यापारियों के इस संगठन में इस बार 27 हजार 480 व्यापारी मतदान का प्रयोग करने वाले हैं.
इन पदों पर होगा चुनाव
इसके तहत प्रदेश स्तर पर अध्यक्ष, महामंत्री और कोषाध्यक्ष का चुनाव होगा. प्रदेश के हर जिले के जिला उपाध्यक्ष और जिला मंत्री के चुनाव होंगे. विभिन्न पदों के लिए नामांकर 17 मार्च से 19 मार्च तक भरे जाएंगे. 1 अप्रैल को चुनाव चिन्ह के साथ प्रत्याशियों की अंतिम सूची का प्रकाशन होगा
प्रदेश भर में 10 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. 6 और 7 मई को मतगणना कर परिणामों की घोषणा की जाएगी.
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छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के चुनाव को कराने के लिए चैंबर के संविधान के मुताबिक बाकायदा पैनल बनाया गया है जिसमें मुख्य निर्वाचन अधिकारी से लेकर अन्य अधिकारियों की बाकायदा नियुक्ति की गई है.
दो विरोधी खेमे आए साथ
वहीं छत्तीसगढ़ चैंबर चुनाव को लेकर असमंजस के हालात भी बन गए हैं. पिछली बार के चुनाव में विरोधी पैनल अब एक साथ आ गए हैं. मौजूदा अध्यक्ष अमर पारवानी (जय व्यापार पैनल) और पिछले चुनावी में प्रतिद्वंदी रहे श्रीचंद सुंदरानी (एकता पैनल) वाले पैनल के बीच समझौता या कहा जाए गठबंधन हो गया है. दोनों एक दूसरे के खिलाफ प्रत्याशी उतारने के बजाय एक साथ ही प्रत्याशी उतार रहे हैं.
अब तक की स्थिति में कोई इनके खिलाफ चैंबर चुनाव में सामने भी नहीं आया है. विरोधी पैनल के बीच हो चुके समझौते के बाद इसकी उम्मीद भी नहीं बची है. इस वजह से इन पदों पर निर्विरोध घोषणा जैसे हालात बन रहे हैं वहीं जानकारों का कहना है कि उपाध्यक्ष पद पर चुनाव की नौबत आ सकती है और दोनों गुटों के एक साथ आ जाने के कारण कोई तीसरा गुट उभर सकता है या फिर कोई और चुनाव का ऐलान भी कर सकता है या फिर दो गुटों के साथ आने से इन्हीं पैनलों का दबदबा बरकरार रहता है बहरहाल देखना होगा कि आगे क्या कुछ होता है लेकिन दो विरोधी खेमों के साथ आ जाने से पूरे प्रदेश में इन चुनावोंं की चर्चा पूरे प्रदेश के व्यापारियों के बीच जरूर हो रही है.