नक्सलियों की उल्टी गिनती शुरू: जानिए कैसे नक्सलमुक्त हुए Chhattisgarh के तीन जिले?
नक्सल मुक्त जिले
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे है. जिसका असर भी दिखने लगा है, नक्सली बैकफुट पर हैं और पुनर्वास योजनाओं के चलते कई नक्सली संगठन छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौट रहे हैं. वहीं अब छत्तीसगढ़ के तीन जिलों को नक्सल मुक्त भी घोषित कर दिया गया है.
राजनादगांव, खैरागढ़, कवर्धा जिला नक्सल मुक्त
राजनादगांव रेंज के तीन जिले जिसमें राजनादगांव, खैरागढ़ ,कवर्धा शामिल है. इसे IG दीपक झा ने नक्सल मुक्त जिला घोषित कर दिया है. इसके पहले राजनादगांव जिला दशकों से नक्सली जिला कहलाता था. जहां तत्कालीन SP स्व विनोद चौबे सहित 32 जवान शहीद हो गए थे, कुछ साल पहले जिले के छुरिया थाना को नक्सलियों ने लूटा भी था. लेकिन अब ये नक्सल मुक्त हो गए हैं, पर यहां स्थानीय फोर्स के लिए जवान तैनात रहेंगे.
राजनांदगांव में हुई थी 43 जवानों की शहादत
लाल आतंक का दंश झेल चुके राजनांदगांव जिले में नक्सलियों ने पिछले 35 सालों में न सिर्फ पुलिस और फोर्स को अपना निशाना बनाया, बल्कि 124 आम नागरिकों की भी हत्या कर दहशत फैलाने की कोशिश भी की. नक्सलियों का खात्मा करने हारमाम लिए एसपी व्हीके चौबे सहित 43 जवानों को अपनी शहादत भी देनी पड़ी. इन सालों में 37 नक्सलियों को मार गिराया है.
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561 नक्सली घटनाओं को दिया अंजाम
करीब डेढ़ दशक पहले बस्तर के बाद नक्सलियों का अहम कारीडोर राजनांदगांव जिला माना जाता था. उस दौरान नक्सली जिले के बार्डर पर लगातार एक्टिव रहा करते थे. यूं तो 1990 से अब तक के मध्य कुल 561 घटनाएं नक्सलियों द्वार की गई, लेकिन सवाधिक घटनाएं 2006 से 2012 के मध्य देखने को मिली. अंतिम नक्सल घटना जिले में साल 2023 में दर्ज की गई है.
फोर्स का बढ़ा दबाव, बैकफुट पर आए नक्सली
जिले में फोर्स का ऐसा दबाव बढ़ा कि पिछले तीन साल से नक्सल संगठन बैकफुट पर चले गए और बस्तर में चल रही आर-पार की लड़ाई के बीच राजनांदगांव जिला अब नक्सल मुक्त हो गया है.
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कवर्धा में खुले 9 कैंप, कम्युनिटी पुलिसिंग का रहा रोल
कबीरधाम जिले में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सीमावर्ती इलाकों में कुल 9 सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं. इसका नतीजा है कि पिछले एक-दो वर्षों में जिले में कोई बड़ी नक्सली घटना सामने नहीं आई है.
वहीं जिले को नक्सल मुक्त करने में कम्युनिटी पुलिसिंग काफी महत्वपूर्ण रोल रहा है, नक्सली इलाकों में स्कूल खोले गए पुलिस जनता से समन्वय बनाने में कामयाब रही, यही कारण है कि नक्सली कबीरधाम जिले में अपना पैठ नहीं जमा पाए. पुलिस ने जिले के बेंदा, कोयलारझोरी, खेलाही, कबीरपथरा समेत कुल 9 स्थानों पर सुरक्षा कैंप स्थापित किए हैं, जहां जवान चौबीसों घंटे गश्त और सर्च ऑपरेशन में लगे रहते हैं. कई बार मुठभेड़ भी हो चुकी है, जिसमें नक्सली मारे गए हैं. अब तक दर्जनों नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर समाज सेवा की राह अपनाई है.
नक्सलियों से मुक्त हुआ खैरागढ़
खैरागढ़ में नक्सलियों के आने-जाने के मूवमेंट्स थे, नक्सली इलाकों के सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां उनकी गतिविधियां होती थी, लेकिन लगातार अभियान और पुलिस कैंप खुलने पर अब नक्सलियों का मूवमेंट अब खत्म हो गया है. और अब ये जिला नक्सलमुक्त हो गया है.