Chhattisgarh News: सरगुजा संभाग में महुआ बीनने के चक्कर में जंगली हाथियों की चपेट में आ रहे ग्रामीण, तीन साल में 105 लोगों की गई जान

Chhattisgarh News: तीन साल में हाथियों ने सरगुजा संभाग में अब तक 105 लोगों को कुचलकर मारा है, तो 3000 मकानों को तोड़ा है, वहीं 7000 हेक्टेयर फसलों को बर्बाद किया है, तो सरकार तीन साल में 20 करोड़ रुपये का मुआवजा दे चुकी है.
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जंगल में महुआ बीनते ग्रामीण

Chhattisgarh News: उत्तरी छत्तीसगढ़ में इन दिनों लोग आजीविका के लिए जंगलों में महुआ बीनने पहुंच रहें हैं, लेकिन जंगल में हाथी भी विचरण कर रहें हैं और पिछले 22 दिनों में जंगली हाथियों ने छत्तीसगढ़ में महुआ बीनने जंगल जाने वाली आधा दर्जन महिलाओं को कुचलकर मारा है. वहीं एक महिला घायल हो गई थी. बता दें कि पिछले दो साल का रिकार्ड देखें तो महुआ बीनने के दौरान हाथियों ने 15 महिलाओं को कुचलकर मारा है, लेकिन महुआ से आजीविका के जुड़े होने के कारण महिलाए जान जोखिम में डालकर जंगलों में महुआ बीन रही हैं तो अफसर लोगों को जंगल नहीं जाने अपील कर रहें हैं तो महुआ बीनने वाले कह रहें हैं क्या करें महुआ बीनने इसलिए जाते हैं क्योंकि पेट का सवाल है.

सरगुजा संभाग में तीन सालों में 105 लोगों को हाथी ने कुचला

जंगली हाथियों का सबसे अधिक उत्पात सरगुजा संभाग में है, यहां इस साल हाथियों ने सबसे पहले महुआ बीनने गई एक महिला को रामानुजगंज क्षेत्र में तो इसके बाद जशपुर, सूरजपुर क्षेत्र में कुचल दिया है, इस बीच वन विभाग महिलाओं को जंगल नहीं जाने की सलाह दे रहा है, और कई इलाकों में जहां हाथी घूम रहें हैं वहां मुनादी कराई जा रही है. लेकिन इसके बाद भी अगले सुबह महिलाएं जंगल पहुंच जा रहीं हैं, और हादसे का शिकार हो रहीं हैं. बता दें कि तीन साल में हाथियों ने सरगुजा संभाग में अब तक 105 लोगों को कुचलकर मारा है, तो 3000 मकानो को तोड़ा है, वहीं 7000 हेक्टेयर फसलों को बर्बाद किया है, तो सरकार तीन साल में 20 करोड़ रुपये का मुआवजा दे चुकी है.

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जान जोखिम में डालकर महिलाएं क्यों बीन रही महुआ?

छत्तीसगढ़ सरकार महिला समूहों के माध्यम से 3000 रुपये क्विंटल महुआ खरीदती है, ताकि उन्हें वनोपज का सही रेट मिल सके. वहीं एक पेड़ से औसतन तीन क्विंटल तक महुआ का उत्पादन होता है. महुआ से मिलने वाले पैसे से ग्रामीण अपनी दैनिक जरूरत की चीजें खरीदते हैं. तो महुआ से शराब बनाकर पीते हैं.

वन्य जीव बोर्ड के सदस्य और हाथी विशेषज्ञ अमलेदु मिश्रा ने बताया कि जंगलों में आग लगने से भी हाथी आक्रमक हो रहे हैं, क्योंकि जंगलों में कई इलाकों में आग लगा हुआ है और उसके धुएं से हाथी विचलित होकर आक्रामक हो रहें हैं. जंगल में महुआ बीनने वाले पेड़ो के नीचे सफाई करने के चक्कर में आग लगा रहें हैं, जो पूरे जंगल में फ़ैल जा रही है. इससे जंगलों के दूसरे जानवर भी परेशान हो रहें हैं. चिड़ियों के घोसले तक जल जा रहें हैं. बता दें कि इसके साथ ही आग की वजह से हाथी जंगल से बाहर निकल रहें हैं, तो जंगलों में पानी और चारा नहीं मिलने से भी हाथी आक्रामक होकर हमला कर रहे हैं.

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