Chhattisgarh: भिलाई उड़ान स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने धान की बालियों से बनाया “तिंरगा बैच”, अन्य राज्यों में भी है डिमांड

Chhattisgarh News: धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में धान की बालियों का भी अपना विशेष महत्व है, और इसे देखते हुए समूह की महिलाओं द्वारा इसका इस्तेमाल कर तिरंगा बैच का निर्माण किया जा रहा है. भिलाई की उड़ान स्व सहायता समूह की महिलाएं धान की बालियों से तिंरगा बैच का निर्माण कर आज़ादी के पर्व को ख़ास बनाने में जुटी हुई है.
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धान से बनाया जा रहा तिरंगा बैच

Chhattisgarh News: धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में धान की बालियों का भी अपना विशेष महत्व है, और इसे देखते हुए समूह की महिलाओं द्वारा इसका इस्तेमाल कर तिरंगा बैच का निर्माण किया जा रहा है. भिलाई की उड़ान स्व सहायता समूह की महिलाएं धान की बालियों से तिंरगा बैच का निर्माण कर आज़ादी के पर्व को ख़ास बनाने में जुटी हुई है.

धान की बालियों से बनाया “तिंरगा बैच”

यह महिलाएं धान की बालियों से ‘तिरंगा बैच’ का निर्माण कर रही हैं और इसकी बिक्री कर अच्छा खासा लाभ भी कमा रही हैं महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे हैं इन आकर्षक बैच की छत्तीसगढ़ के साथ ही अन्य प्रदेशों में भी काफी डिमांड है, धान की बालियों का इस्तेमाल कर वे बड़ी ही बारीकी से इसका निर्माण कर उसे तिरंगे का आकार देती हैं.

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अन्य राज्यों में भी है डिमांड

समूह की अध्यक्ष निधि चंद्राकर ने बताया कि विगत कुछ वर्षों से बैच का निर्माण किया जा रहा है और अब तक 50 हज़ार से अधिक तिरंगा बैच समूह की महिलाएं बना चुकी है. वहीं समूह से जुड़ी अन्य महिलाओं ने बताया कि बैच के साथ ही वह अन्य चीजों का भी निर्माण करती हैं और इससे उन्हे आर्थिक रूप से काफी लाभ हो रहा है गौरतलब है कि ‘उड़ान नई दिशा’ समूह के इन महिलाओं द्वारा राखियों का भी निर्माण किया जाता है जिसकी डिमांड सात समुंदर पार तक है.

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