Chhattisgarh: बिलासपुर CIMS के लिए 700 करोड़ का बजट, 4 साल बाद भी कैंसर अस्पताल और सुपर मल्टी स्पेशलिटी की सुविधा नहीं

Chhattisgarh News: बिलासपुर के कोनी में उसी जगह सिम्स का निर्माण किया जाएगा, जहां पर छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा कैंसर संस्थान और सुपर मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनकर तैयार है.
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बिलासपुर सिम्स

Chhattisgarh: भाजपा सरकार ने बिलासपुर में छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान यानी सिम्स के लिए 700 करोड़ रुपए का बजट का प्रावधान किया है. कोनी में उसी जगह सिम्स का निर्माण किया जाएगा, जहां पर छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा कैंसर संस्थान और सुपर मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनकर तैयार है. जाहिर है यह जगह संभाग के सबसे बड़े हेल्थ हब के रूप में उभरने वाली है. लेकिन स्वास्थ्य के मौजूदा हालात में एक सवाल जो आम लोगों की जेहन में तैर रहा है, वह है निर्माण हो चुके सुपर मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल की सुविधा आखिर उन्हें कब मिलेगी? क्योंकि सरकारी अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था ठीक नहीं है, इसीलिए इस अस्पताल से न सिर्फ बिलासपुर के लोगों को बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ को बड़ी उम्मीद है. विडंबना है की यह अस्पताल भी शुरू होने को लेकर 6 साल पीछे चल रहा है.

प्रोजेक्ट में हुई देरी

दरअसल बिलासपुर की कोई 6 साल पुरानी बात है. कोनी में छत्तीसगढ़ के दूसरे सुपर मल्टी स्पेशलिटी और कैंसर अस्पताल की नींव रखी गई. इस उम्मीद के साथ की राज्य समेत बिलासपुर के लोगों को इसका लाभ मिलेगा. सिम्स जैसे संस्थान में पिछले 20 साल से हार्ट, न्यूरो, किडनी के डॉक्टर नहीं है. लेकिन मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के बनने के बाद यह सुविधा भी शुरू हो जाएगी. इसके उलट आज तक लोगों को इसका लाभ नहीं मिला है. प्रोजेक्ट में देरी, पूर्ववर्ती सरकार के मंत्रियों के बीच आपसी खींचतान और बजट के अभाव में अभी तक यह अस्पताल शुरू नहीं हो सका है. जिला प्रशासन के अधिकारी लगातार मौके का मुआयना कर रहे हैं, लेकिन निर्माण को लेकर तारीख तय नहीं हो पा रही है. अस्पताल को बनाने वाली सीपीयूडब्लू के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने अपना काम लगभग पूरा कर लिया है. आगे 550 से अधिक पदों पर भर्ती होनी है. इसके अलावा भी ऐसे कई काम है जो पूरे नहीं हो सके हैं. सेटअप के अलावा सबसे बड़ी समस्या उन बड़े संसाधन साधन को जुटाना को लेकर चल रही है जो यहां के लिए अनिवार्य रूप से होनी है.

जमीन कम इसलिए समस्याएं होनी तय

कोनी में सुपर मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के बगल की जमीन पर वेटरनरी कॉलेज बन रहा है. अफसर बताते हैं कि अस्पताल की जमीन पर वेटरनरी कॉलेज प्रबंधन में कब्जा कर लिया. जिसके चलते उनकी सड़क और गेट दोनों छोटी हो गई है. प्रशासन से इस बात को लेकर अधिकारियों ने रायशुमारी की है कि आने वाले दिनों में इस पर और सुधार किया जा सके.

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सड़कों की चौड़ाई भी कम, हाईमास्ट की जगह छोटी लाइट

बता दें कि बिलासपुर में जिस जगह पर सुपरमल्टी अस्पताल की सुविधाएं शुरू होनी हैं, राज्य कैंसर यूनिट जैसे संस्थान संचालित होना है और आने वाले दिनों में सिम्स की शिफ्टिंग की भी बात कही जा रही उसके हिसाब से सड़कों की चौड़ाई बहुत कम है. कैंपस से अस्पताल बिल्डिंग तक हाईमास्ट लाइट की जगह छोटी लाइटें लगाई जा रही है. इसके अलावा जमीन कम होने के कारण अस्पताल के भीतर भी कई तरह के बदलाव किए गए हैं, जिसका असर आने वाले दिनों में अस्पताल संचालन पर होना तय है. अधिकारी इसके बावजूद ठीक तरह से इसकी मॉनिटरिंग नहीं कर रहे हैं.

सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पर चल रहा काम

बिलासपुर में छत्तीसगढ़ का दूसरा शासकीय मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल 44.58 एकड़ में बन रहा है. अस्पताल में राज्य कैंसर संस्थान, ट्रामा सेंटर, बर्न सेंटर, नवीन सिम्स छात्रावास, डॉक्टरों और स्टाफ के लिए आवास सहित अन्य सुविधाएं मिलेंगी. दिसंबर 2018 से बन रहे अस्पताल में 95 फीसदी निर्माण पूरे हो चुके हैं. यूं तो अस्पताल को फरवरी 2020 तक पूरा करना था लेकिन कोरोना महामारी में यह प्रोजेक्ट लेट हो गया. 11 मंजिल के इस अस्पताल का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है. मशीनों की खरीदी भी की जा रही है. साथ ही सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में  हृदय रोग से संबंधित समस्य मेडिसिन और शल्य क्रियाएं (कार्डियोलॉजी विभाग एवं कार्डियो थोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी विभाग), किडनी रोग से संबंधित समस्त मेडिसिन एवं शल्य क्रियाएं (नेफ्रोलॉजी विभाग एवं यूरोलॉजी विभाग), मस्तिष्क रोग से संबंधित मेडिसिन एवं शल्य क्रियाएं(न्यूरोलॉजी विभाग एवं न्यूरोसर्जरी विभाग) सुविधाएं भी शुरू होगी.

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