Chhattisgarh: महासमुंद लोकसभा से कई दिग्गज रह चुके हैं सांसद, अब इस पार्टी का है दबदबा, जानिए पूरा समीकरण

Chhattisgarh News: यहां से भाजपा के चुन्नीलाल साहू को 6 लाख 16 हज़ार 580 मत हासिल किए थे. जबकि कांग्रेस के धनेंद्र साहू को 5,26,069 मत हासिल हुए थे.
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महासमुंद लोकसभा सीट

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ का महासमुंद लोकसभा सीट हमेशा से सुर्ख़ियों में रहा है. महासमुंद ने छत्तीसगढ़ के कई दिग्गज नेताओं को राजनीति में देश की राजधानी तक पहुंचाया है. गौरतलब है कि महासमुंद जिला छत्तीसगढ़ की राजनीति का बड़ा केंद्र रहा है. यहां से विद्याचरण शुक्ल सात बार सांसद चुने गए हैं. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी इस सीट से सांसद रहे हैं. अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पं. श्यामाचरण शुक्ल भी महासमुंद से सांसद रह चुके हैं.

जानिए महासमुंद लोकसभा सीट के बारे में

महासमुंद जिले का गठन 6 जुलाई 1998 को अविभाजित रायपुर जिले के रुप में हुआ है. यहां की कुल जनसंख्या करीब 22 लाख है. यह क्षेत्र पवित्र महानदी नदी के तट पर स्थित है. यह क्षेत्र सोमवंशीय सम्राट द्वारा शासित दक्षिण कोशल की राजधानी भी था. यहां के मंदिर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण लोगों को आकर्षित करते हैं. महासमुंद लोकसभा में तीन जिले हैं और इन तीन जिलों में आठ विधानसभा सीट शामिल है. महासमुंद जिले में चार विधानसभा महासमुंद, खल्लारी, बसना और सरायपाली है. वहीं गरियाबंद जिले में बिंद्रा नवागढ़ और राजिम विधानसभा है और धमतरी जिले में कुरूद और धमतरी विधानसभा शामिल है.

महासमुंद का जातिगत समीकरण

महासमुंद लोकसभा के जातिगत समीकरणों पर नजर डालें तो यह ओबीसी बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र है, जिसमें भी साहू समाज की जनसंख्या सबसे अधिक है. वर्ष 2011 के जनगणना के मुताबिक महासमुंद में 50 प्रतिशत से ज्यादा OBC मतदाता हैं, जिसमें साहू वोटर्स सर्वाधिक 18%, यादव वोटर्स 8% और  इसके अलावा इस क्षेत्र में कुर्मी, कोहार, लोहार, धोबी जाति का दबदबा रहता है. यहां आदिवासी वोटर्स की भी अच्छी संख्या मानी जाती है. यही कारण है कि राजनीतिक पार्टियां महासमुंद लोकसभा सिट से हमेशा से साहू प्रत्याशी या फिर ओबीसी वर्ग से आने वाले प्रत्याशियों को चुनावी रण में उतारती आई हैं.

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महासमुंद सीट पर इस पार्टी का रहा दबदबा

कभी कांग्रेस का गढ़ रहे महासमुंद लोकसभा सीट में पिछले तीन चुनाव यानी 2009, 2014 और 2019 से लगातार भाजपा जीत दर्ज करते आ रही है. इस सीट के इतिहास को देखा जाए तो वर्ष 1952 में यहां सबसे पहले चुनाव हुआ था . तब कांग्रेस पार्टी के श्योदास डागा चुनाव जीतकर आए थे. 1952 से अब तक महासमुंद में 18 चुनाव हुए हैं. इनमें 12 बार कांग्रेस और कांग्रेस (आई) ने चुनाव जीता है.

चुनावी वर्ष और लोकसभा सदस्य

वर्ष 1952 – कांग्रेस प्रत्याशी श्योदास डागा ने जीत दर्ज की थी

वर्ष 1952 – उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी मगनलाल बागड़ी ने जीत दर्ज की थी

वर्ष 1957 – कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल ने जीत दर्ज की

वर्ष 1962 : कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल सांसद चुने गए

वर्ष 1967 : कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल सांसद चुने गए

वर्ष 1971 : कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णा अग्रवाल सांसद बने

वर्ष 1977 : भाजपा प्रत्याशी बृजलाल वर्मा सांसद बने

वर्ष 1980 : कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल सांसद चुने गए

वर्ष 1984 : कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल सांसद चुने गए

वर्ष 1989 : कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल सांसद चुने गए

वर्ष 1991 : कांग्रेस से पवन दीवान सांसद बने

वर्ष 1996 : कांग्रेस से पवन दीवान सांसद बने

वर्ष 1998 : भाजपा प्रत्याशी चंद्रशेखर साहू ने जीत दर्ज की

वर्ष 1999 : कांग्रेस के उम्मीदवार श्यामाचरण शुक्ल ने चुनाव जीता

वर्ष 2004 : कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी सांसद बने

वर्ष 2009 : भाजपा प्रत्याशी चंदूलाल साहू सांसद चुने गए

वर्ष 2014 : भाजपा प्रत्याशी चंदूलाल साहू सांसद चुने गए

वर्ष 2019 : भाजपा के चुन्नीलाल साहू जीतकर सांसद चुने गए

साल 2019 लोकसभा चुनाव में महासमुंद सीट पर भाजपा के चुन्नीलाल साहू ने चुनाव जीता. उन्होने कांग्रेस उम्मीदवार धनेंद्र साहू को 90 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त देकर अपनी सीट बरकरार रखी. भाजपा के चुन्नीलाल साहू को 6 लाख 16 हज़ार 580 मत हासिल किए थे. जबकि कांग्रेस के धनेंद्र साहू को 5,26,069 मत हासिल हुए थे.

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