Naxal Attack: 400 नक्सलियों ने कैंप लूटने के लिए किया था हमला, पहनी थी जंगली घास से बनी खास पोशाक
Naxal Attack: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की सीमा पर मौजूद धर्मावरम कैंप में नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक थे. इस जगह को नक्सलियों के सबसे मजबूत गढ़ माना जाता था, लेकिन जवानों ने इसे अपना ठिकाना बनाया है. अब जवानों के इसी ठिकाने को लूटने की नियत से नक्सलियों ने 16 जनवरी को इस कैंप पर एक बड़ा हमला किया था. करीब 400 नक्सली इस कैंप को घेरने पहुंचे थे. इस दौरान नक्सलियों ने पहली बार जंगली घास से बने एक खास आवरण का इस्तेमाल किया. इस आवरण को पहनने के बाद नक्सली जंगल में मौजूद झाड़ियों में गायब से हो जाते हैं. ऐसे आवरण अक्सर हम फिल्मों में स्नाइपर को पहने देखते हैं. इस दौरान नक्सलियों ने कैंप में इतने बारूदी गोले और देसी मिसाइल्स दागे की हमले के बाद इन्हें गिनना भी मुश्किल हो गया था.
माओवादियों के खिलाफ फोर्स ने लिया आक्रामक रूप
दरअसल, छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनते ही बस्तर में माओवादियों के खिलाफ फोर्स ने आक्रामक रूप इख्तियार कर लिया है. नक्सलियों के आधार वाले इलाकों में सुरक्षाबलों का दखल लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके चलते बौखलाए नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं. इसी कड़ी में 16 जनवरी को माओवादियों ने सुकमा और बीजापुर जिले के सरहदी इलाके में खुले नए पुलिस कैंप धर्मावरम पर हमले की योजना बनाई.
धर्मावरम कैंप पर सीधे हमले की रणनीति
आपको बता दें कि नक्सलियों ने धर्मावरम कैंप पर सीधे लूटने की तैयारी के साथ हमले की रणनीति बनाई और कैंप पर धावा बोल दिया. बड़ी तैयारी के साथ नक्सलियों ने 16 जनवरी की शाम को करीब साढ़े 6 बजे धर्मावरम कैंप पर एक साथ हमला बोल दिया. लगातार फायरिंग और एक के बाद एक नक्सलियों की ओर से देसी बीजीएल ग्रेनेड दागे गए. इधर जवानों की ओर से भी जबरदस्त जवाबी कार्रवाई की गई. नक्सलियों की तैयारी का इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि धर्मावरम कैंप के साथ सपोर्ट कैंप के रूप में स्थापित चिंतावागु और पामेड़ कैंप पर भी गोलीबारी करते रहे. ताकी बैकअप फोर्स धर्मावरम कैंप तक ना पहुंच सके.
सुरक्षाबलों ने नक्सलियों की योजना को किया विफल
नक्सलियों ने कैम्प पर ना सिर्फ गोलीबारी की, बल्कि कई बार कैम्प में घुसने का भी प्रयास किया. कैंप के मोर्चों पर तैनात कोबरा की 204वीं और सीआरपीएफ की 151वीं बटालियन के जवान लगातार नक्सलियों को कैंप से दूर रखने जवाबी कार्रवाई करते रहे. आखिर में चार घंटे तक चली जबरदस्त गोलीबारी अचानक बंद हो गई. वहीं दूसरे दिन घटनास्थल की सर्चिंग करने पर कई जगह घास से बने पोशाक कैंप के करीब से बरामद हुए. माना जा रहा है कि नक्सली सुरक्षाबलों को धोखा देकर कैंप पर कब्जा करना चाहते थे. कैंप के चारों ओर घेरे गए कटीले तारों को काटने के लिए नक्सली अपने साथ कटर भी लाए थे.घटना के तीसरे दिन नक्सलियों की ओर से भी प्रेस नोट जारी किया गया. इसमें दक्षिण सब जोनल ब्यूरो की प्रवक्ता समता की ओर से बयान जारी कर उक्त गोलीबारी में तीन नक्सलियों के मारे जाने की बात कबूल की गई. नक्सली नेता ने मारे गए तीनों नक्सलियों की तस्वीरें जारी की.
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पेड़ काटकर रोका मार्ग, जगह-जगह लगाए आईईडी
धर्मावरम पुलिस कैंप पर हमले के दौरान जवानों को किसी तरह की मदद नहीं मिल सके, इसके लिए नक्सलियों ने कैंप के रास्तों पर जगह-जगह आईईडी प्लांट कर रखा था. वहीं पेड़ों को काटकर मार्ग को अवरूद्ध कर दिया था. चार घंटे तक चली गोलीबारी में नक्सलियों ने अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर रखी थी, लेकिन जवानों की सतर्कता और सूझबूझ ने बड़ी घटना होने से रोक दिया.