Bilaspur में खरीदी केंद्रों में जाम हुआ अरबों रुपए का धान, उठाव नहीं होने से हजारों किसान परेशान

Bilaspur: छत्तीसगढ़ में धान खरीदी महापर्व जारी है, ऐसे में बिलासपुर के खरीदी केंद्रों पर अरबों रुपए का धान जाम पड़ा है. यह तस्वीर बिलासपुर के लगभग हर खरीदी केंद्रों में बनी हुई है.
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खरीदी केंद्र में धान

Bilaspur: छत्तीसगढ़ में धान खरीदी महापर्व जारी है, ऐसे में बिलासपुर के खरीदी केंद्रों पर अरबों रुपए का धान जाम पड़ा है. यह तस्वीर बिलासपुर के लगभग हर खरीदी केंद्रों में बनी हुई है.

खरीदी केंद्रों में जाम हुआ अरबों रुपए का धान

सहकारी बैंक और मार्कफेड अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी इसका सबसे बड़ा कारण है. क्योंकि समितियों के प्रबंधकों का कहना है कि मिलर्स ने यहां हड़ताल खत्म करने के बाद जहां धान डंप है, वहां-वहां के लिए डिलीवरी ऑर्डर ले लिया है, लेकिन समय पर उठाव नहीं होना सबसे बड़ी परेशानी का कारण बना है. इसके चलते बिलासपुर में कई खरीदी केंद्रों के बाहर किसानों के ट्रैक्टर की लाइन और सड़क जाम जैसी स्थितियां आम होती जा रही है. विस्तार न्यूज़ ने किसानों की परेशानी के बाद ऐसे ही 10 से अधिक धान खरीदी केंद्र का जायजा लिया है. जहां हालात चौंकाने वाले सामने आए हैं.

धान के सड़ने की आशंका

सबसे बड़ी बात यह है कि यदि समय पर धान नहीं उठाया गया तो गुजरे सालों की तरह यहां ही इसके सड़ने की आशंका बढ़ जाएगी और बारिश पानी या दूसरे मौसम में इसके खराब होने का खतरा भी मंडराने लगा है. यही वजह है कि इसके उठाव की बाद जल्द से जल्द कही जा रही है.

बिलासपुर में स्मार्ट सिटी के भीतर सरकंडा के बहतराई में धान खरीदी केंद्र बना है. मंगला बहतराई, खमतराई के किसानों के लिए तैयार किए गए इस केंद्र में सबसे बड़ी समस्या चबूतरा नहीं होने की है। जितनी बड़ी खरीदी केंद्र नहीं है उससे ज्यादा धान डंप हो चुका है और स्थिति यह है कि समय पर उठाव नहीं हुआ तो करोड़ों रुपए का धान बारिश या दूसरे मौसम के चलते बर्बाद हो सकता है लेकिन अधिकारी इनके उठाओ पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

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हजारों किसान हो रहे परेशान

कुछ ऐसी ही हालत बिरकोना के खरीदी केंद्र में बने हुए हैं. स्थिति यह है कि किसान यही खाना पका रहे हैं और खा रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी बारी के इंतजार है और धान की लंबी लाइनें और टोकन समय पर नहीं काटने के कारण उन्हें सुबह से शाम तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है लेकिन धान खरीद बंद पड़ा है, क्योंकि पहले नंबर वालों का धान खरीदा जा रहा है और अंतिम पंक्ति के लोग इंतजार में है.

किसी जमाने में धान सड़ाने को लेकर बिलासपुर का आंकड़ा नंबर वन का था। तब मुंगेली और पेंड्रा गौरेला क्षेत्र भी बिलासपुर के अधीन थे। समितियों में पड़ा धान समय पर नहीं उठा और यह सरकार खराब हो गया कुल मिलाकर किसानों को तो उनकी मेहनत का पैसा मिल चुका था लेकिन शासन को अरबो रुपए का नुकसान उठाना पड़ा था। यही वजह है कि इस बार अधिकारियों को समय धान उठाने की जरूरत है नहीं तो यही स्थिति फिर से निर्मित होगी और किसान, शासन और केंद्र सरकार सभी को नुकसान होना तय हैं। इस बार 7. 80 लाख मैट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इससे ज्यादा भी धान आ सकता है.

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