Republic Day Parade: देश की राजधानी नई दिल्ली में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस समारोह में छत्तीसगढ़ के प्रख्यात लोक वाद्य संग्राहक और लोक कलाकार रिखी क्षत्रिय एक बार फिर राज्य की झांकी के साथ नजर आएंगे. इस साल गणतंत्र दिवस समारोह पर छत्तीसगढ़ की ओर से बस्तर की आदिम जन संसद पर आधारित झांकी को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है. अपनी 17 सदस्य की टीम के साथ रिखी क्षत्रिय दुर्ग से दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं. इस दौरान उनकी उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रेलवे स्टेशन पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी कलाकारों से बात की और छत्तीसगढ़ की संस्कृति को प्रस्तुत करने के लिए उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी.
झांकी में टीम मुरिया जनजाति का परब नृत्य करते नज़र आएगी
आपको बता दें कि इस झांकी में जगदलपुर के मुरिया दरबार और उसके उद्गम सूत्र लिमऊ राजा को दर्शाया गया है. भिलाई स्टील प्लांट से रिटायर्ड और फेमस लोकवाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय व उनके समूह को देश-विदेश के खास मेहमानों के समक्ष इस झांकी को जीवंत रूप में प्रदर्शित करने की जिम्मेदारी दी गई है. यह 10वां अवसर है जब रिखी क्षत्रिय व उनकी टीम को छत्तीसगढ़ की झांकी प्रदर्शित करने का अवसर मिला है. ये टीम मुरिया दरबार को प्रदर्शित करने अपनी तैयारी में जुटी हुई है. इस झांकी में टीम मुरिया जनजाति का परब नृत्य करती नज़र आएगी.
किस थीम पर होगी छत्तीसगढ़ की परेड
रिखी क्षत्रिय के टीम में जयलक्ष्मी ठाकुर, नेहा, शशि साहू, प्रियंका साहू, हेमा, जागेश्वरी, माधुरी, पलक, उपासना टांडी, चंचल जांगड़े, प्रियंका साहू, तुमेश साहू, ईश्वरी, अनुराधा, हितु साहू और कंचन क्षत्रिय सहित कुल 17 लोगों का दल शामिल है. देश के 28 राज्यों के बीच कड़ी प्रतियोगिता के बाद छत्तीसगढ़ की झांकी “बस्तर की आदिम जनसंसद मुरिया दरबार” को इस साल नई दिल्ली में होने वाली गणतंत्र-दिवस परेड के लिए चयनित किया गया है. छत्तीसगढ़ की यह झांकी भारत सरकार की थीम ‘भारत लोकतंत्र की जननी’ पर आधारित है.
इस झांकी में केंद्रीय विषय “आदिम जन-संसद” के अंतर्गत जगदलपुर के मुरिया दरबार और उसके उद्गम-सूत्र लिमऊ-राजा को दर्शाया गया है. मुरिया दरबार विश्व-प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की एक परंपरा है, जो 600 सालों से चली आ रही है. इस परंपरा के उद्गम के सूत्र कोंडागांव जिले के बड़े-डोंगर के लिमऊ-राजा नामक स्थान पर मिलते हैं. इस स्थान से जुड़ी लोककथा के अनुसार आदिम-काल में जब कोई राजा नहीं था, तब आदिम-समाज एक नीबू को राजा का प्रतीक मानकर आपस में ही निर्णय ले लिया करता था.
जानिए कौन हैं रिखी क्षत्रिय
भिलाई स्टील प्लांट से रिटायर्ड रिखी क्षत्रिय छत्तीसगढ़ी लोक कला और संस्कृति के प्रति बचपन से ही समर्पित रहे हैं. वह पिछले 40 साल से छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचकर दुर्लभ वाद्य यंत्रों का संग्रह कर रहे हैं. उनके इस संग्रह को पिछले 20 साल में देश के राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री सहित कई खास मेहमान सराहना कर चुके हैं. इस साल 2024 के गणतंत्र दिवस समारोह में रिखी क्षत्रिय के लिए यह 10वां अवसर होगा जब वह राजपथ पर फिर एक बार नजर आएंगे.