यहां तीन बार बदलता है शिवलिंग का रंग; जानें Chhattisgarh के ऐसे 5 अनोखे शिव मंदिरों की रोचक कहानी
शिव मंदिर
Shiv Temples In CG: महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. वहीं छत्तीसगढ़ में भी कई ऐसे शिवलिंग है, वो अपने आप में अनोखा है. यहां रंग बदलने वाला शिवलिंग है, तो वहीं एक छिद्र वाले शिवलिंग की भी मान्यता है. आप हम आपको छत्तीसगढ़ के ऐसे ही 5 अनोखे शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे है.
धरसींवा में तीन बार बदलता है शिवलिंग का रंग
धरसींवा में एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां हर साल होली की रात को भव्य मेला लगता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग साल में 3 बार स्वरूप बदलता है. मोहदा गांव में भक्तों की हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ती है. यह जगह महर्षि मार्कण्डेय की तपोभूमि के रूप में विख्यात है, जिसे मोहदेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है. रायपुर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर रायपुर-बिलासपुर मुख्य मार्ग में तरपोंगी से लगा हुआ. मोहदा का यह प्राचीन शिव मंदिर पूरे छत्तीसगढ़ मे विख्यात है. जहां छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से शिव भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव मंदिर – कवर्धा
छत्तीसगढ़ के कवर्धा में खजुराहो नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर हजार सालों बाद भी मजबूती के साथ खड़ा है. कवर्धा जिले में पड़ने वाला यह मंदिर जिले के साथ ही पूरे देश की धरोहर माना जाता है. 11वीं शताब्दी में बना यह प्राचीन मंदिर आज भी मजबूती के साथ खड़ा है. इसकी बनावट दूसरे मंदिरों से अलग है. इसकी कलाकृति और प्राकृतिक सुंदरता भगवान भोलेनाथ के भक्तों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है. यही वजह है कि दूर-दूर से भक्त भोलेनाथ के दर पर पहुंचते हैं. यह मंदिर अपनी सुंदरता के साथ आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है.
भूतेश्वरनाथ – गरियाबंद
वहीं गरियाबंद जिले के मरौदा गांव में घने जंगलों के बीच एक अनूठा शिवलिंग है, जिसके बारे में मान्यता है कि यह स्वयंभू है. यह शिवलिंग भूतेश्वरनाथ नाम से भी प्रसिद्ध है. पूरे विश्व का यह एक मात्र ऐसा शिवलिंग है जिसकी लंबाई अपने आप बढ़ती जा रही है. इस समय यह भू-स्थल से लगभग 18 फीट ऊंचा है और परिधि में 20 फीट है. इस शिवलिंग में प्रकृति प्रदत जल लहरी भी दिखाई देती है. जो धीरे-धीरे जमीन के ऊपर आती जा रही है. यहीं स्थान भूतेश्वरनाथ भकुरा महादेव के नाम से जाना जाता है. ऐसा भी माना जाता है कि भगवान शंकर-पार्वती ऋषि मुनियों के आश्रमों में भ्रमण करने आए थे, तभी यहां शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए। हर साल इसकी ऊंचाई 6 से 8 इंच बढ़ रही है.
लक्ष्मणेश्वर मन्दिर – जांजगीर चांपा
छत्तीसगढ़ के जांजगीर चापा जिले के खरौद में स्थित है. जो लक्ष्मणेश्वर मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है. महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है लक्ष्मणेश्वर मन्दि को लेकर ऐसी मान्यता है कि रामायण कालीन शबरी उद्घार और लंका विजय के पहले भगवान राम और लक्ष्मण ने यहां खर और दूषण के वध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से छुटकारा पाने महादेव की स्थापना की थी. रामायणकालीन इस मंदिर का राम वन गमन परिपथ में भी स्थान दिया गया है. यह मंदिर अपनी अद्भुत विशेषताओं के लिए जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु अपनी मनोकामना मांगता है वह अवश्य पूर्ण होती है.
गंधेश्वर महादेव मंदिर – सिरपुर
सिरपुर में महानदी के तट पर स्थित है, भगवान शिव का वो अद्भूत शिवलिंग. जिसे भगवान गंधेश्वर के नाम से जाना जाता है. सिरपुर में महानदी के तट के किनारे मनोरम दृश्य के साथ भगवान गंधेश्वर विराजमान है. भगवान शिव के इस अद्भूत शिवलिंग से निकलने वाली खुशबू समय के साथ बेशक विलुप्त हो रही है. लेकिन गर्भ गृह में भगवान शिव का शिवलिंग जहां स्थापित है. और जिसे भगवान गंधेश्वर के नाम से पुकारा जाता है.
महानदी के पावन तट पर भगवान शिव की पूजा यहां गंधेश्वर महादेव के रूप में की जाती है. नदी तट से बिल्कुल लगे इस मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में बालार्जुन के समय में बाणासुर ने कराया था. वो शिव के उपासक थे. वह हमेशा शिव पूजा के लिए काशी जाया करते थे और वहां से एक शिवलिंग भी साथ में ले आया करते थे. कथा के मुताबिक एक दिन भगवान शंकर प्रकट होकर बाणासुर से बोले कि तुम हमेशा पूजा करने काशी आते हो, अब मैं सिरपुर में ही प्रकट हो रहा हूं.