Ram Mandir: कचरा बिनकर परिवार का पेट पालने वाली बिहुला दादी को मिला न्योता, क्या है इनकी राम भक्ति की अनोखी कहानी?
Ram Mandir: बिहुला दादी छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के राजिम में घूम-घूम कर रोजाना कचरा बिनती है. ये कचरा वही है जो आप और हम सड़क किनारे या अपने घर के आस-पास फेंक देते हैं. लेकिन उसी कचरे में कुछ मूल्यवान चीजें बिहुला दादी चुनकर उठा लेती हैं. जैसे कि पानी का बोतल, टीवी, एसी, कुछ ऐसी सामग्री जो हमारी अलमारी में ज्यादा जगह घेर रहे हैं, तो उसे कचरा तो नहीं लेकिन बेकार समझ कर फेंक देते है. यही सब बिनकर कबाड़ में बिहुला दादी बेचती हैं. इसके बाद दिनभर के खर्चे के लिए मुश्किल से 40 रुपए जुटाती हैं. कभी-कभी 30 से 40 रुपए में सबको खाना नहीं मिलता तो बिहुला दादी भगवान के दर पर चली जाती हैं और राजिम लोचन मंदिर के बाहर भी बैठ जाती हैं.
बिहुला दादी को आया अयोध्या से न्योता
22 जनवरी को देश में रामराज्य स्थापित होने वाला इस तरह का माहौल पूरे देश में बन रहा है. लाखों राम भक्त अयोध्या में डेरा जमाया हुए हैं. हर कोई रामलला के दर्शन करने के लिए उत्सुक है. हालांकि 140 करोड़ जनसंख्या वाले देश में सबको एक साथ दर्शन करवा पाना नामुकिन है. इसलिए गिनती के आमंत्रित लोग ही पहले दिन रामलला के दर्शन करेंगे. इसी आमंत्रित लोगों में छत्तीसगढ़ से 200 लोगों को न्योता भेजा गया है, इसमें एक नाम कचरा बिनने वाली बिहुला दादी का भी है.
कचरा बिनकर गुजार करने वाली दादी की अनोखी कहानी
दरअसल छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 51 किलोमीटर की दूरी में गरियाबंद जिले का राजिम शहर है. ये छत्तीसगढ़ का प्रयाग माना जाता है. तीन नदियों का संगम है और संगम के एक छोर में महादेव और दूसरे छोर में विष्णु भगवान का प्राचीन मंदिर है. इसलिए राजिम को धर्म नगरी माना जाता है. इसी धर्म नगरी के एक कोने में बिहुला बाई की झोपड़ी है. बिहुला के पति पहले ही गुजर गए हैं. दो बेटी हैं जिनके शादी हो चुकी है और उनके बच्चे हैं. बहुला दादी के दामाद रिक्शा चलाते हैं और वो भी कचरा उठाने का ही काम करते हैं. अब अचानक इनके घर में अयोध्या से न्योता आया है. इसके बाद बिहुला दादी के घर भीड़ लग गई है.
आखिर एक बुजुर्ग महिला को क्यों आया राम मंदिर से न्योता?
बिहुला ने बताया कि एक साल पहले जब राम मंदिर निर्माण के लिए पैसे दान किए जा रहे थे और तब दादी दिनभर कचरा बिनकर 40 से 50 रुपए कमाकर जीवन यापन करती थीं. उन्होंने अपने दिनभर की कमाई के आधे पैसे राम मंदिर बनाने के लिए दान में दे दिए. शायद यही वजह है कि उनकी इस समर्पण को देखकर अयोध्या से उन्हें न्योता आया है. वहीं बिहुला की बेटी सतबत्ती देवार ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि मेरी मां को अयोध्या से न्योता आएगा.