Medha Patkar: मानहानि मामले में मेधा पाटकर दोषी करार, दिल्ली के LG वीके सक्सेना से जुड़ा है मामला

Medha Patkar: यह मामला तत्कालीन खादी और ग्रामोद्योग आयोग अध्यक्ष वीके सक्सेना जो अब दिल्ली के राज्यपाल हैं, उनसे जुड़ा हुआ है. उनकी ओर से ही मानहानि की याचिका दाखिल की गई थी.
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मानहानि मामले में मेधा पाटकर दोषी करार

Medha Patkar: नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है. शुक्रवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को एक मानहानि मामले में दोषी ठहराया है. बता दें कि, यह मामला तत्कालीन खादी और ग्रामोद्योग आयोग अध्यक्ष वीके सक्सेना जो अब दिल्ली के राज्यपाल हैं, उनसे जुड़ा हुआ है. उनकी ओर से ही मानहानि की याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका में उन्होंने झूठ, व्यंग्यपूर्ण अभिव्यक्ति और लांछन लगाने का आरोप लगाया था. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि वीके सक्सेना के खिलाफ मेधा पाटकर के बयान मानहानिकारक थे और नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी तैयार किए गए थे.

मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना को कहा था कायर

साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने मेधा पाटकर को आपराधिक मानहानि का दोषी पाया है. जिसके अनुसार, मेधा पाटकर को दो साल की जेल या जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है. कोर्ट ने उन्हें IPC की धारा 500 के तहत दोषी पाया. साथ ही कोर्ट ने कहा कि उनकी हरकतें जानबूझकर और दुर्भावना से भरी थी और इसका उद्देश्य याचिकाकर्ता के नाम को खराब करना था. कोर्ट ने यह भी कहा कि उनके कार्यों ने वीके सक्सेना की प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुंचाया है. बता दें कि, मेधा पाटकर ने अपने एक बयान में वीके ससक्सेना को कायर कहते हुए उनपर हवाला लेनदेन में संलिप्तता का गंभीर आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे.

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नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ा है पूरा मामला

यह पूरा मामला साल 2000 का है. इस दौरान मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना के खिलाफ केस दर्ज कराया था. इस केस में मेधा पाटकर ने उनकी ओर से चलाए जा रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन छापने का आरोप लगाया था. इसके बाद साल 2001 में वीके सक्सेना उनके खिलाफ मानहानि के केस दर्ज कराया था. बता दें कि, मेधा पाटकर 2003 तक नर्मदा बचाओ आंदोलन को लेकर सक्रिय हैं. इस दौरान वर्तमान में दिल्ली के राज्यपाल वीके सक्सेना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के जरिए सक्रिय थे. इसी दौरान दोनों की बीच नर्मदा बचाओ आंदोलन को लेकर विवाद हो गया था.

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