Kesari Chapter 2: कौन हैं शंकरन नायर जिनका किरदार निभा रहे अक्षय कुमार? जानिये पीएम मोदी ने उनका जिक्र क्यों किया

Kesari Chapter 2: अक्षय की ये फिल्म साल 2019 में आई किताब- 'द केस दैट शूक द एंपायर: वन मैन्स फाइट फॉर ट्रूथ अबाउट द जालियांवाला बाग मैसेकर' पर आधारित है.
C. Sankaran Nair

केसरी 2 फिल्म सी शंकरन नायर पर आधारित है

Kesari Chapter 2: इन दिनों अक्षय कुमार (Akshay Kumar) और आर माधवन अपनी अपकमिंग फिल्म केसरी चैप्टर 2 के प्रमोशन में जुटे हुए हैं. यह फिल्म 18 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है. इस फिल्म की कहानी आजादी से पहले भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा किए नरसंहार पर बेस्ड है. मगर एक्टर अक्षय कुमार ने सी. शंकरन नायर (C. Shankaran Nair) का किरदार निभाया है. अक्षय की ये फिल्म साल 2019 में आई किताब- ‘द केस दैट शूक द एंपायर: वन मैन्स फाइट फॉर ट्रूथ अबाउट द जालियांवाला बाग मैसेकर’ पर आधारित है.

इस बुक को शंकरन नायर के परपोते रघु पलत और उनकी पत्नी पुष्पा पलत ने लिखा है. सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सी. शंकरन नायर का जिक्र करते हुए उनके नाम चिठ्ठी लिखी है. अब आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये शंकरन नायर कौन हैं? जिसके ऊपर फिल्म बन रही है और पीएम ने उनके लिए चिट्टी भी लिखी. तो चलिए जानते हैं कि शंकरन नायर कौन हैं… ?

अक्षय कुमार और आर माधवन की अपकमिंग फिल्म केसरी चैप्टर 2 का बैकग्राउंड भले ही जलियांवाला बाग नरसंहार पर है. मगर ये फिल्म उस व्यक्ति पर आधारित है जिन्होंने इस नरसंहार को लेकर ब्रिटिश सरकार को चुनौती दी थी. इनका नाम है सी. शंकरन नायर. जलियांवाला बाग नरसंहार से शंकरन नायर का गहरा रिश्ता था.

कौन थे शंकरन नायर?

चेत्तूर शंकरन नायर का जन्म केरल के एक जमींदार परिवार में हुआ था. उनके पिता मम्माइल रामुन्नी पणिकर ब्रिटिश सरकार में तहसीलदार के तौर पर काम करते थे. शंकरन नायर को उनका पारिवारिक नाम चेत्तूर मां पार्वती अम्मा चेत्तूर के खानदानी नाम से मिला था. शंकरन नायर ने आर्ट्स की डिग्री हासिल करने के बाद मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री ली. अपनी जबरदस्त तार्किक क्षमता और वाकपटुता के चलते वह आगामी वर्षों में एक जबरदस्त वकील, राज्य के एडवोकेट जनरल, राजनेता और बाद में जज बने.

नायर को कानून की डिग्री मिलने के बाद उन्हें सर होराशियो शेफर्ड ने अपने चैंबर में रखा. सर शेफर्ड, जो कि बाद में मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी बने, उन्होंने ही नायर की प्रतिभा को निखारा था. हालांकि, नायर का एक कौशल उनकी कभी हार न मानने वाला और किसी के सामने न झुकने वाला भाव भी था.

नायर को 1880 में मद्रास हाईकोर्ट से करियर की शुरुआत करने से लेकर 1908 तक सरकार के एडवोकेट जनरल (एजी) बनने के दौर तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. खुद ब्रिटिश शासन से उन्हें कई चुनौतियां मिलीं थीं. ब्रिटिश शासन ने उन्हें 1912 में नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया था. इसके बाद वे सर सी. शंकरन नायर नाम से जाने गए.

कांग्रेस के रहे सदस्य

नायर कानून के साथ ही राजनीति में भी बराबर सक्रिय रहे. वे भारत की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाते हुए कांग्रेस के साथ जुड़े रहे. 1897 में वे अमरावती में पार्टी के अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे युवा अध्यक्ष भी बने. इस बैठक में उन्होंने भारत के स्वशासन की मांग को आगे रखा. 1900 में नायर मद्रास विधान परिषद के भी सदस्य बने.

जलियांवाला बाग नरसंहार से क्या है रिश्ता ?

तारीख थी 13 अप्रैल 1919. जब देश भर में बैसाखी मनाई जा रही थी. इसी दिन अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग में हजारों की संख्या में लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में जुटे थे. इसी दिन ब्रिटिश सेना में अफसर ब्रिगेडियर जनरल ई. एच. डायर ने जलियांवाला बाग को घेरकर ब्रिटिश पुलिस को निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया. इस घटना में हजारों लोगों की जान गई थी. मरने वालों में कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. वहीं, हजारों लोग जख्मी भी थे.

गवर्नर जनरल ओड्वॉयर ने कई मौकों पर जालियांवाला बाग नरसंहार को अंजाम देने वाले जनरल डायर का बचाव किया था. हालांकि, इस हत्याकांड के बाद ब्रिटिश शासन ने खुद ओड्वॉयर को भी जिम्मेदार माना था और उसे पंजाब से हटाकर इंग्लैंड वापस बुला लिया था.

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इसके बाद लंदन में चले इस मामले में 12 सदस्यीय ज्यूरी का गठन हुआ, जिसमें सभी अंग्रेजों को जगह दी गई. मामले की सुनवाई जस्टिस हेनरी मैककार्डी कर रहे थे. इस मामले की सुनवाई करीब साढ़े पांच हफ्ते तक चली. यह उस दौर का सबसे लंबा सिविल केस था. ज्यूरी ने इस केस में 11-1 के अंतर से शंकरन नायर के खिलाफ फैसला सुनाया था.
शंकरन नायर को इस केस में वाद दायर करने वाले ओड्वॉयर को 500 पाउंड का जुर्माना चुकाने के निर्देश दिए गए. ओड्वॉयर ने कहा कि अगर नायर माफी मांग लें तो वह पेनल्टी नहीं लेंगे. हालांकि, नायर ने इससे इनकार कर दिया और पूरा जुर्माना भरा था.

सी. शंकरन नायर इस घटना के बाद भी राजनीति और कानूनी तौर पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष करते रहे. फिर साल 1934 में उनका निधन हो गया.

पीएम ने क्या कहा?

पीएम मोदी ने सोमवार को कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने एक राष्ट्रवादी को अब सिर्फ इसलिए किनारे कर दिया, क्योंकि वह उनके नैरेटिव में फिट नहीं होते. प्रधानमंत्री ने कहा कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के हर बच्चे को शंकरन नायर के बारे में पता होना चाहिए.

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