‘आम आदमी पार्टी की भ्रूण हत्या की कोशिश हुई’, कुरुक्षेत्र में मिली हार को लेकर कांग्रेस पर बरसी AAP

आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. 'आप' के खाते में मात्र कुरुक्षेत्र सीट आई थी लेकिन यहां भी उसे हार का सामना करना पड़ा, जबकि कांग्रेस  पांच सीटें जीतने में सफल रही.
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कुरुक्षेत्र में मिली हार को लेकर कांग्रेस पर बरसी AAP

AAP slams Congress: लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद विपक्षी इंडिया गठबंधन बिखरना शुरू हो गया है. पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया. वहीं, अब ‘आप’ की हरियाणा इकाई ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

‘आप’ हरियाणा प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कांग्रेस को घेरा है. उन्होंने कहा, “कुछ ताकतों ने आम आदमी पार्टी की भ्रूण हत्या की कोशिश की, क्योंकि उन्हें पता था कि यदि कुरुक्षेत्र सीट आम आदमी पार्टी जीत जाती तो हरियाणा की राजनीति में ऐसा तूफान आएगा, जिसमें ये पुराने राजनीतिक दल उड़ जाएंगे.”

हरियाणा में कांग्रेस ने जीतीं पांच सीटें

बता दें कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. ‘आप’ के खाते में मात्र कुरुक्षेत्र सीट आई थी लेकिन यहां भी उसे हार का सामना करना पड़ा, जबकि कांग्रेस  पांच सीटें जीतने में सफल रही. वहीं, अब ‘आप’ ने कुरुक्षेत्र में मिली हार का ठीकरा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर फोड़ना शुरू कर दिया है.

सुरजेवाला-अरोड़ा पर साधा निशाना

अनुराग ढांडा ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला और अशोक अरोड़ा पर हमला बोला है. ढांडा ने कहा, “कैथल में जिन रणदीप सुरजेवाला को कद्दावर नेता माना जाता है. जो कई राज्यों में प्रभारी भी रहे हैं. पिछली बार अपने विधानसभा चुनाव में 500-700 वोटों से रह गए थे, उसके बाद भाजपा के खिलाफ इतनी एंटी वेव भी चल रही थी, फिर कैसे  सुरजेवाला के इलाके से गठबंधन 17 हजार वोट पीछे रह गया? ये बात समझ नहीं आती है. जिस बूथ पर रणदीप सुरजेवाला ने खुद वोट किया वहां भी गठबंधन हार गया. ऐसे में सवाल तो उठेगा ही.”

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ढांडा ने आगे कहा, “अशोक अरोड़ा जो हुड्डा के राइट हैंड बताए जाते हैं, विधानसभा चुनाव में महज कुछ सौ वोटों से हारे थे, उनके इलाके में अगर 18 हजार वोटों से गठबंधन हार जाए तो सवाल मन में जरूर उठता है. क्या गजब इत्तेफाक है कि जहां-जहां कांग्रेस नेता मजबूत थे, उन-उन विधानसभा क्षेत्रों में हम लोकसभा चुनाव में हार जाते हैं. लेकिन जहां कांग्रेस के कद्दावर नेता या विधायक नहीं थे, वहां हमारे उम्मीदवार को जीत मिली.”

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