क्यों अपने ही नेताओं पर विश्वास नहीं कर पा रहे केजरीवाल? पहली लिस्ट में तीन विधायकों का काट दिया टिकट
Delhi Assembly Election: दिल्ली विधासभा चुनाव में अभी लगभग 3 महीनों का समय है. सभी पार्टियां जहां महाराष्ट्र और झारखंड विधासभा चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रही है, वहीं AAP के मुखिया केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव के लिए 11 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. इस घोषणा से जहां अन्य पार्टियां हैरान हैं वहीं, राजनीति पंडितों का मानना है कि केजरीवाल चुनाव को लेकर डरे हुए हैं. उन्हें एंटी इंकबेंसी फेक्टर का डर है.
क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले डर गए हैं केजरीवाल? आप ने हाल ही में 11 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि पार्टी ने तीन मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया है…AAP ने 6 सीटों पर दलबदलुओं पर भरोसा जताया है…अब राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि क्या केजरीवाल को अपनों पर भरोसा नहीं रहा?
मजबूत दावेदार का भी केजरीवाल ने काटा टिकट
दिल्ली में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं. फिलहाल 23 नवंबर यानी कल महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा सहित उपचुनाव के नतीजे सामने आएंगे, लेकिन इन नतीजों से पहले ही आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी से 11 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. लेकिन इस बार पार्टी ने अपने तीन मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया है… और सबसे खास बात ये है कि पार्टी ने किराड़ी से अपने सबसे मजबूत दावेदार ऋतुराज गोविंद का भी टिकट काट दिया है. यहां से इस बार केजरीवाल की पार्टी ने कुछ दिन पहले बीजेपी मसे आप में आए अनिल झा को टिकट दिया है.
केजरीवाल का भरोसा दलबदलुओं पर
आप ने बीजेपी औैर कांग्रसे से आए 6 उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है. इसमें तीन बीजेपी से और तीन कांग्रेस के नेता शामिल हैं. हाल ही में बीजेपी छोड़कर आप में शामिल हुए बीबी त्यागी को लक्ष्मी नगर से, अनिल झा को किराड़ी और ब्रह्म सिंह तंवर को छत्तरपुर सीट से टिकट मिला है. वहीं कांग्रेस छोड़ कर AAP में शामिल होने वाले वीर सिंह धिंगान को सीमापुरी, सुमेश शौकीन को मटियला और ज़ुबैर चौधरी को भी सीलमपुर सीट से टिकट दिया गया है.
पिछले विधानसभा चुनाव में जित कर सामने आए आप के 3 नेताओं का अरविंद केजरीवाल ने टिकट काट दिया है. इसमें किराड़ी सीट से ऋतुराज गोविंद, मटिआला से गुलाब सिंह यादव का और सीलमपुर से अब्दुल रेहमान का नाम शामिल हैं. राजनीति के जानकारों की मानें तो अब अरविंद केजरीवाल को अपने इन नेताओं पर भरोसा नहीं रहा है.
अब सवाल ये उठता है कि अरविंद केजरीवाल को किस बात का डर है? क्या वह हाल में हुए चुनावों के नतीजों को देख अभी से ही दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गए हैं? क्या कारण है कि अरविंद केजरीवाल को अपने ही विधायकों की टिकट काटनी पड़ी.
2015 से दिल्ली की सियासत में अजेय बनकर उभरे अरविंद केजरीवाल के लिए यह चुनाव ‘कठिन अग्नि परीक्षा’ साबित होने वाला है. 2015 और 2020 में उनकी छवि एक ईमानदार नेता की थी और उन्हें इसका लाभ मिल रहा था, लेकिन इस बार उनकी सरकार के ऊपर शराब घोटाले सहित कई गंभीर आरोप हैं. केजरीवाल को खुद ही जेल जाना पड़ा है. इस बार उन्हें दस साल के शासन से उपजे एंटी इनकंबेंसी फैक्टर से भी निपटना होगा.
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प्रदूषण को हराकर जीत पाएंगे चुनाव
वहीं, मुफ्त बिजली-पानी की योजना गरीबों के बीच बहुत लोकप्रिय बनकर उभरी थी. अरविंद केजरीवाल के लिए यह सबसे बड़ी ताकत बन गई थी. लेकिन दिल्ली में इस योजना का लाभ पाने वालों की संख्या में भारी कमी हुई है. 200 यूनिट फ्री के सरकार के दावे के बाद भी लोगों को 1500 रुपये से दो हजार रुपये तक बिजली बिल चुकाना पड़ रहा है. पीपीआरसी और बढ़े किराए के कारण लोगों को बिजली महंगी मिल रही है. व्यावसायिक बिजली की दरों में भी तेज वृद्धि हुई है. इससे पार्टी की उस लोकप्रियता पर असर पड़ सकता है जो उसने मुफ्त बिजली-पानी देकर पाई थी.
वहीं प्रदूषण से भी दिल्ली का हाल बद से बदतर है..विपक्षी पार्टियों ने यमुना की सफाई और हवा की गुणवत्ता को लेकर केजरीवाल एंड कंपनी को कटघरे में खड़ा किया है…दिल्लीवासी भी अब प्रदूषण की मार झेल नहीं पा रहे हैं…राजनीति पंडितों का कहना है कि इसी वजह से केजरीवाल को एंटी इंकबेंसी फेक्टर का डर है और अपने मौजूदा विधायकों का टिकट काट रहे हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली वालों का रुख विधानसभा चुनाव में क्या होगा?