‘ऐसी टिप्पणी गलत मिसाल कायम करती है’, केजरीवाल को लेकर अमेरिका के बयान पर भारत ने जताई कड़ी आपत्ति, राजनयिक को किया तलब

India Reply To US: भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को अमेरिकी कार्यवाहक मिशन उप-प्रमुख ग्लोरिया बर्बेना को भी तलब किया. करीब 40 मिनट तक विदेश मंत्रालय के कार्यालय में मुलाकात चली.
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केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका की टिप्पणी, MEA ने राजनयिक को किया तलब

India Reply To US: देश में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी पर सियासत जारी है. वहीं जर्मनी के बाद अमेरिका ने भी प्रतिक्रिया दी है. अब अमेरिका की टिप्पणी पर भारत ने कड़ी नाराजगी जताई है. साथ ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार, 27 मार्च को अमेरिकी कार्यवाहक मिशन उप-प्रमुख ग्लोरिया बर्बेना को भी तलब किया. करीब 40 मिनट तक विदेश मंत्रालय के कार्यालय में मुलाकात चली. दरअसल, अमेरिका ने भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से जुड़ी रिपोर्ट पर वह करीबी नजर रख रहा है. साथ ही वह निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है.

‘ऐसी टिप्पणी गलत मिसाल कायम करती है’

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की टिप्पणी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम भारत में की कानूनी कार्यवाई को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हैं. कूटनीति में राज्यों से दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की उम्मीद रखी जाती है. यह जिम्मेदारी तब और भी अधिक हो जाती है, जब आपके साथी देश में भी लोकतंत्र हो. ऐसे में इस तरह की टिप्पणी गलत मिसाल कायम करती है. भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं, जो उद्देश्यपूर्ण और समय पर नतीजों के लिए प्रतिबद्ध हैं. उस पर उंगली उठाना साफ तौर पर गलत है.

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जर्मनी को भी दिया था करारा जवाब

बताते चलें कि इससे पहले जर्मनी ने दिल्ली से सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर बयान दिया था. गिरफ्तारी के बाद जर्मनी ने कहा था कि हम इस घटना पर नजर बनाए हुए हैं. भारत एक लोकतांत्रिक देश है और उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता, बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से संबंधित मानक इस मामले में लागू होंगे. उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का पूरा अधिकार है. इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से इस पूरे मामले में जर्मन दूतावास के उप प्रमुख जॉर्ज एन्जवीलर को तलब किया गया था. बाद में भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि जर्मनी की टिप्पणी को हम भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता में दखल के रूप में देखते हैं. भारत एक मजबूत कानून व्यवस्था वाला देश है और इस मामले में भी कानून अपना काम करेगा.

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