नरेंद्र मोदी आज तीसरी बार लेंगे PM पद की शपथ, इस तारीख से क्या है लाल बहादुर शास्त्री का कनेक्शन

PM Swearing Ceremony: देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री ने 9 जून 1964 को PM पद की शपथ ली. जवाहर लाल नेहरू का निधन 27 मई 1964 को हो गया था
Lal Bahadur Shastri And PM Modi

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और नरेंद्र मोदी

Narendra Modi PM Swearing Ceremony: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के पांचवें दिन आज रविवार को नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में शाम 07:15 बजे वे शपथ ग्रहण करेंगे. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पड़ोसी देशों सहित कई राष्ट्रध्यक्ष दिल्ली पहुंचे हैं. नरेंद्र मोदी जिस तारीख पर प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं उस तारीख का भारत के राजनीति इतिहास से एक महत्वपूर्ण कनेक्शन है. दरअसल, आज ही के दिन यानी की 9 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री ने देश के दूसरे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी.

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री ने 9 जून 1964 को PM पद की शपथ ली. जवाहर लाल नेहरू का निधन 27 मई 1964 को हो गया था, उनके बाद वैकल्पिक तौर पर गुलजारी लाल नंदा को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया. गुलजारी लाल नंदा महज 13 दिन ही कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में रहे और इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री का चयन अगले प्रधानमंत्री के रूप में किया गया.

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11 जून, 1964 को पहली बार किए थे देश को संबोधित

हालांकि, लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं रहा, और वह महज 581 दिन ही पद पर काबिज रह सके. नेहरू के निधन के बाद जब देश में अगले प्रधानमंत्री पद के दावेदार की बात चल रही थी तब कई नाम चर्चा में थे. खुद शास्त्री को लगता था कि इंदिरा गांधी अगली प्रधानमंत्री बन सकती हैं. पर्दे के पीछे चली लंबी बहस के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष के कामराज ने लाल बहादुर शास्त्री को कांग्रेस संसदीय दल का नेता घोषित किया. प्रधानमंत्री बनने के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने 11 जून, 1964 को पहली बार देश की जनता को संबोधित किया.

संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत ताशकंद में 11 जनवरी 1966 को हुई थी. पाकिस्तान के साथ 1965 की जंग को खत्म करने के लिए शास्त्री समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे. लेकिन 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को रात 1.32 बजे उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई.

शास्त्री की मौत पर आज भी सवाल कायम

हालांकि, उनकी मौत पर आज भी सवाल उठाए जाते हैं. शास्त्री की मौत के बारे में आधिकारिक तौर पर कहा गया कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. उन्हें हृदय संबंधी बीमारी पहले से थी और 1959 में एक हार्ट अटैक आ चुका था. परिजन उन्हें कम काम करने की सलाह देते थे, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद उन पर काम का दबाव बढ़ता ही चला गया. उनकी पत्नी ललीता शास्त्री ने दावा किया कि उनके पति को जहर देकर मारा गया.

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