Supreme Court: बिना ठोस आधार के नहीं सुन सकते मामला’, EVM से जुड़ी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को ईवीएम से जुड़े सभी याचिकाओं को किया ख़ारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ठोस आधार के बिना इवीएम के ख़िलाफ़ मामला नहीं सुन सकते हैं.
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सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को ईवीएम से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि बिना ठोस आधार पर ईवीएम के खिलाफ मामला नहीं सुना जा सकता. संबंधित यायिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने बताया कि ईवीएम को लेकर कितनी याचिकाएं? हर तरीके के अपने सकारात्मक और नकारात्मक पहलू होंगे, हम धारणाओं के आधार पर नहीं चल सकते.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, ”हम पहले ही इस मुद्दे की जांच कर चुके हैं और जांच कर रहे हैं. मैंने उनकी वेबसाइट पर देखा कि पहले से ही ऐसे 10 मामले हैं.  हम इच्छुक नहीं हैं, क्षमा करें.

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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का दावा 

बता दें कि इस साल की शुरुआत में कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक्स पर पोस्ट किया था. इसमें उन्होंने दावा किया था कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को मतगणना से कुछ दिन पहले विधानसभा चुनाव परिणामों की पूर्व जानकारी थी. अपनी एक्स पोस्ट में दिग्विजय सिंह ने लिखा, ”इन दोनों तस्वीरों को देखिए लाल बैकग्राउंड में बीजेपी कार्यकर्ता लिख ​​रहे हैं कि खाचरौद विधानसभा चुनाव में कौन कितने वोटों से हारा और कौन कितने वोटों से जीत रहा है. खास बात ये है कि ये पोस्ट वोटों की गिनती से 2 दिन पहले यानी 1 दिसंबर को लिखा गया था. अब नतीजे के बाद की तस्वीर का मिलान करें.” ये आरोप राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल करने के लिए भाजपा पर ईवीएम से छेड़छाड़ के कांग्रेस के आरोपों के बाद सामने आया था.

“2003 से ईवीएम का कर रहा हूं विरोध”

इससे पहले के एक पोस्ट में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि उन्होंने 2003 से ही ईवीएम वोटिंग का विरोध किया था. उन्होंने लिखा, ”चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है. मैंने 2003 से ही ईवीएम द्वारा मतदान का विरोध किया है. क्या हम अपने भारतीय लोकतंत्र को पेशेवर हैकरों द्वारा नियंत्रित करने की अनुमति दे सकते हैं! यह मौलिक प्रश्न है जिसका समाधान सभी राजनीतिक दलों को करना होगा. चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायालय क्या आप हमारे भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करेंगे?”

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