Patanjali Case: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही. पतंजलि के भ्रामक ऐड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दोनों की नई माफीनामा को खारिज कर दिया और फटकार लगाई. एससी ने साफ-साफ कहा है कि जनता को यह संदेश जाना चाहिए कि अदालत को दिए वचन का कितना महत्व होता है और इसका किसी भी हाल में उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. मामले में अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 से उत्तराखंड के राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के अधिकारियों और जिला आयुर्वेदिक अधिकारियों से भी जवाब मांगा. शीर्ष अदालत ने पूछा कि गुमराह करने वालों के खिलाफ शिकायतों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई. हालांकि, इस दौरान उत्तराखंड के खाद्य और ओषधि प्रशासन के संयुक्त निदेशक डॉ. मिथिलेश कुमार ने सुनवाई के दौरान एक समय हाथ जोड़कर माफी भी मांगी और कहा कि कृपया मुझे बख्श दीजिए. मैं जून 2023 में पद पर आया. यह मेरे आने से पहले हुआ था. आइये अब इस मामले को विस्तार से जानते हैं कि आखिर बाबा रामदेव को कोर्ट में क्यों माफीनामा देना पड़ा है.
कोर्ट ने प्राधिकरण से क्या-क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी सिर्फ फाइलों को आगे बढ़ा रही थी और कुछ नहीं कर रही थी. राज्य के अधिकारी अवमानना करने वालों के साथ मिले हुए हैं.आप लोगों का जीवन बचाने के मामलों को देखते हैं और आप लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं.सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब लोगों के पास यह दवाइयां थीं और उन्हें बेवकूफ बनाया जा रहा था तो आपने क्या किया? चार-पांच साल में स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी गहरी नींद में थी.आप पोस्ट ऑफिस की तरह काम कर रहे हैं.हमें यह क्यों नहीं सोचना चाहिए कि आप कथित अवमाननाकर्ताओं से मिले हुए हैं? आप जानबूझकर अपनी आंखें बंद रखे हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, “हमें अधिकारियों के लिए ‘बोनाफाइड’ शब्द के इस्तेमाल पर सख्त आपत्ति है. हम हल्के में नहीं लेंगे. हम आपको अलग कर देंगे.
कोर्ट ने पतंजलि से क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को फटकार लगाते हुए कहा कि माफी किसी कागज के लायक नहीं है, जो लिखकर दे दी गई है. माफी मांगना पर्याप्त नहीं है. आपको अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का परिणाम भुगतना होगा. हम इस मामले में उदार नहीं बनना चाहते. एक आदमी दया चाहता है, उन अनगिनत निर्दोष लोगों का क्या जिन्होंने दवा ली? पतंजलि के एमडी और रामदेव ने विदेश यात्रा के झूठे दावे करके अदालत के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति होने से बचने की कोशिश की.
पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में क्यों मांगी माफी?
बता दें कि सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों ने बिना शर्त माफी मांग ली. हालांकि, अदालत ने बाबा रामदेव की ओर से दिए गए हलफनामे को स्वीकर करने से इनकार कर दिया. सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, “हलफनामा हमारे सामने आने से पहले मीडिया में प्रकाशित हो गया. इसे प्रचार के लिए दाखिल किया गया या हमारे लिए?” अदालत को सौंपे गए एक हलफनामे में बालकृष्ण ने कहा कि हमें खेद है.
बालकृष्ण ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी नहीं किये जायेंगे. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कंपनी का इरादा वैज्ञानिक अनुसंधान और सदियों पुराने साहित्य द्वारा समर्थित आयुर्वेदिक दवाओं के उपयोग के माध्यम से स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना था.
क्या है पूरा मामला
10 जुलाई 2022 को पतंजलि ने एक विज्ञापन जारी किया. एडवर्टाइजमेंट में एलोपैथी पर गलतफहमियां फैलाने का आरोप लगाया गया था. इसके खिलाफ 17 अगस्त 2022 को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई.इस याचिका. तब कोर्ट ने ‘गुमराह करने वाले’ विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाते हुए पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया था. तीन सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था, लेकिन सुनवाई होने तक इसका जवाब नहीं दिया गया.