भारतीय सेना के जवान Republic Day परेड में ‘Royal Enfield Bullet’ पर ही क्यों करते हैं स्टंट…? जानिए वजह

भारतीय सेना की अधिकारिक सवारी है रॉयल एनफील्ड बुलेट. भारत की आजादी के क़रीब 12 साल बाद सन् 1959 में पहली बार ब्रिटिश मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी रॉयल एनफील्ड की बाइकों को भारतीय सेना में शामिल किया गया था.
Republic Day 2025

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Republic Day 2025: भारत इस साल अपने गणतंत्र का 76 वाँ वर्षगांठ मनाने जा रहा हैं. गणतंत्र दिवस समारोह देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. देश की राजधानी नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में इंडिया गेट पर कई भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है. यहां भारतीय सेना अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय देती नजर आती है. सालों से हम सब भारतीय जवानों के शौर्य का परिचय देखते आ रहे हैं.

नई दिल्ली के इंडिया गेट पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड के दौरान विभिन्न प्रकार की झांकियों के बीच भारतीय सेना, अर्द्धसैनिक बल और विभिन्न राज्यों की पुलिस के जवान मोटरसाइकिलों पर स्टंट करते हुए भी दिखाई देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि सेना हमेशा परेड में Royal Enfield की बाइकों का ही इस्तेमाल क्यों करती है…? आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसकी सही वजह कि क्यों दशकों से भारतीय सेना के जवान परेड में Royal Enfield बाइक्स का इस्तेमाल करते हैं.

‘Royal Enfield’ है सेना की आधिकारिक सवारी

भारतीय सेना की आधिकारिक सवारी है रॉयल एनफील्ड बुलेट. भारत की आजादी के क़रीब 12 साल बाद सन् 1959 में पहली बार ब्रिटिश मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी रॉयल एनफील्ड की बाइकों को भारतीय सेना में शामिल किया गया था. उस वक्त सेना में इन बाइकों का इस्तेमाल जवान सीमा से सटे इलाकों में गश्त लगाने के लिए किया करते थे. सेना ने एनफील्ड बुलेट की पांच यूनिट्स को प्रयोग के तौर पर मंगाया था.

इसके बाद, उसने और इकाइयों को भेजने का ऑर्डर दिया था. भारत की सड़कों पर सफल राइडिंग और इसकी ब्रिकी बढ़ने के बाद ब्रिटिश दोपहिया वाहन ने इसका देश में ही उत्पादन करने का प्लान बनाया. उसने ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनी आयशर के साथ साझेदारी करके तमिलनाडु में इसका उत्पादन संयंत्र स्थापित किया. भारत में आने के बाद इसका नाम बदलकर रॉयल एनफील्ड हो गया, जो पूरी दुनिया में आधा दर्जन से अधिक मॉडलों को बेचती है.

बुलेट की आधिकारिक सवारी बनने की वजह

पिछले 70 से भी अधिक सालों से भारतीय थल सेना इन रॉयल एनफील्ड का इस्तेमाल कर रही है. इस बाइक के सेना के साथ रिश्ते की कहानी भी काफी दिलचस्प है. जब बीएसए और ट्रियंप जैसा बाइकें सेना के लिए उपयुक्त साबित नहीं हुईं तब भारतीय सेना अन्य मोटरसाइकिलों को सेना में सम्मलित करने का निर्णय लिया.

उन दिनों भी रॉयल एनफील्ड एक चर्चिच बाइक थी क्योंकि यह बाइक द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी इस्तेमाल की गई थी. इतना ही नहीं उस समय रॉयल एनफील्ड की बाइकों का प्रयोग ब्रिटिश आर्मी के अलावा कई अन्य देश की सेनाओं द्वारा भी किया जाता था. जिसे देखते हुए भारत ने भी इन बाइक्स को अपने दस्ते में लाने का फैसला किया.

सबसे पहले शामिल हुई ‘350 सीसी Royal Enfield’

सफल परीक्षण के बाद ब्रिटिश वाहन निर्माता कंपनी ने पहली बार 350 सीसी की क्षमता वाले 4 स्ट्रोक रॉयल एनफील्ड बाइकों की देश में सप्लाई शुरू की. इसके अलावा भारत सरकार ने रॉयल एनफील्ड का उत्पादन अपने ही देश में करने का मन बनाया. 1955 में रॉयल एनफील्ड ने मद्रास मोटर्स की साझेदारी में बाइकों की असेंबलिंग शुरू की.

इसके बाद जल्द ही, टूलींग को एनफील्ड इंडिया को बेच दिया गया ताकि वे स्थानीय स्तर पर उपकरणों का निर्माण कर सकें. 1962 तक जो भी बुलेट भारत में इस्तेमाल किया जाता था वो पूरी तरह से देश में ही बने होते थें. तब से लेकर आजतक भारतीय सेना और रॉयल एनफील्ड का अटूट नाता बना हुआ है.

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Royal Enfield की प्रमुख बाइक्स

रॉयल एनफील्‍ड के पोर्टफोलि‍यो में बुलेट स्टेंडर्ड, बुलेट इलेक्ट्रा, क्‍लासि‍क, थंडरबर्ड, हि‍मालयन और कॉन्‍टि‍नेंटल जीटी हैं. इनमें से बुलेट, क्‍लासि‍क और थंडरबर्ड ही 350 सीसी और 500 सीसी दोनों इंजन के साथ उपलब्ध कराई जाती हैं.

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