Lok Sabha Election 2024: बस्तर संसदीय सीट के लिए 19 अप्रैल को मतदान कराए जाने हैं. पहले चरण में होने वाले इस मतदान के लिए चुनाव आयोग ने तैयारियों में पूरी ताकत झोंक रखी है. बस्तर का एक बड़ा भूभाग देश की आंतरिक सुरक्षा में सबसे बड़ा खतरा घोषित माओवाद के प्रभाव क्षेत्र में शामिल है. निर्बाध और सुरक्षित परिणामस्वरूप मतदान हो इसके लिए नक्सल मूवमेंट पर जमीन से लेकर आसमान तक सुरक्षा एजेंसियों की नजरें बनी हुई हैं. वहीं दूसरी तरफ अपने-अपने प्रत्याशियो के पक्ष में राजनीतिक पार्टियों की चुनावी गतिविधियां भी जोरों पर है. इस बीच ऐसी सच्ची कहानी भी समानांतर चल रही है, जिसमें बीजापुर जिले के जांगला गांव में इन लोकसभा चुनावों के दौरान दुख और भय का एक अध्याय भारतीय जनता पार्टी के नेता की हत्या से लिखे गए हैं.
पीएम प्रवास के बाद सुर्खियों में आया गांव
यह वही जांगला गांव है जहां 15 अप्रैल 2018 के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र पहुंचे हुए थे. पीएम प्रवास के बाद बीजापुर जिले का यही जांगला गांव सुर्खियों में आ गया था और इसी गांव में आमसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने जनकल्याणकारी आयुष्मान भारत योजना का शुभारंभ किया था. पीएम प्रवास के 6 साल बाद, बीते 6 मार्च 2024 के दिन माओवादियों ने BJP व्यापारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कैलाश नाग को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. पीएम प्रवास का BJP को खास फायदा नही पहुंचा और 2018 के विधानसभा चुनावों में BJP के हाथ से बीजापुर की सीट भी निकल गई. 2019 लोकसभा चुनाव में भी गेंद कांग्रेस के पाले में गई. वहीं 2023 में एक मर्तबा फिर कांग्रेस ने भाजपा को मात दे दी.
जांगला गांव में पसरा सन्नाटा
भले ही दूसरी दफे BJP को बीजापुर की सीट गंवानी पड़ी हो, लेकिन BJP ने राज्य में सरकार बनाने में सफलता जरूर हासिल कर ली. जीत के बाद आत्मविश्वास से लबरेज BJP को यहां लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा झटका उस समय लगा जब बीजापुर विधानसभा के दो सक्रिय BJP नेताओ की नक्सलियों ने सिलसिलेवार हत्या कर दी. पहले बीजापुर के रहने वाले तिरुपति कटला और फिर जांगला के कैलाश नाग. यही कारण है कि आज जांगला गांव में लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व के बावजूद भय और मातम का घुप्प सन्नाटा पसरा हुआ है.
परिवार ने छत्तीसगढ़ सरकार से मांगी मदद
हत्या के बाद से कैलाश नाग का परिवार गांव छोड़कर बीजापुर बसना चाहता है. परिवार के सदस्यों में नक्सलियों का ऐसा खौफ गहरा गया है कि शाम ढल जाने के साथ ही घर के दरवाजे पर ताला लगाकर थाने के नजदीक अपने बनाए किराए के मकान में सोने को मजबूर हैं. अब यह परिवार छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ उम्मीद लगाए इंतजार कर रहा है कि बीजापुर जिला मुख्यालय में कैलाश नाग के परिवार के लिए आवास मिले तो उन्हें कुछ राहत मिले.
कैलाश को पहले भी मिल चुकी थी धमकियां
कैलाश नाग की पत्नी कमला कहती हैं कि वह 17 साल पहले दुल्हन बनकर इस गांव में आई थी. सब कुछ ठीक चल रहा था. पति राजनीति में जरूर थे मगर पार्टी के कामों में वह उनसे ज्यादा सक्रिय थी. हालांकि BJP में रहने की वजह से पति को धमकियां भी मिल रही थी, घटना से पहले भी घर के बाहर माओवादी पर्चा पड़ा मिला था जिसमे BJP छोड़कर कांग्रेस का समर्थन करने की चेतावनी लिखी गयी थी. जिस दिन कैलाश की हत्या हुई , उस दिन कैलाश कह निकले थे कि घर लौटने पर साथ भोजन करेंगे, लेकिन कैलाश नहीं लौटे. आई तो सिर्फ उनकी मौत की खबर. कैलाश और कमला के दो बच्चे हैं जो रायपुर के किसी अच्छे स्कूल में पढ़कर देश की सेवा करना चाहते हैं.
40 साल से BJP के सजग सिपाही हैं कैलाश के पिता
वहीं कैलाश के पिता चंद्रमणि बताते हैं कि वह भी BJP के सजग सिपाही रहे हैं. बस्तर में भाजपा के पुरोधा बलिराम कश्यप के दौर से वह BJP के लिए आम कार्यकर्ता की हैसियत से काम करते रहे है. अब बेटे की हत्या ने उन्हें, उनकी पत्नी को झकझोर कर रख दिया है. वह उस दहलीज पर है जहां पिता को बेटे के कंधे की जरूरत है, अपने बेटे की अर्थी को उन्हें कंधा देना पड़ा है. चंद्रमणि नाग रोते हुए बताते हैं कि 40 साल से इसी गांव में रहकर BJP के लिए सक्रिय भागीदारी के बाद अब यह गांव उन्हें काटने को दौड़ रहा है.
सरकार के हाथ बच्चों का भविष्य
कैलाश के बच्चों की तरफ देखकर उनके पिता चंद्रमणि फफककर रो पड़ते हैं और पति की तस्वीर को निहारती कैलाश की पत्नी अब हाथ जोड़कर सरकार से अपने दोनों बच्चों का भविष्य मांग रही है. कमला की मांग है कि उनके बड़े सुपुत्र को बालिग होने पर सरकारी नौकरी और छोटे पुत्र को एजुकेशन सिटी में दाखिला मिले. साथ ही परिवार को बीजापुर में रहने के लिए अटल आवास में ही सही, लेकिन सरकार एक घर दे. पति की हत्या के बाद परिवार गहरे सदमे और दहशत के दौर से गुजर रहा है. इसके बाद भी कमला कहती हैं कि उनका परिवार BJP के लिए हमेशा समर्पित रहा है और आगे भी समर्पित रहेगा. BJP से वह नाता नहीं तोड़ेंगी, आम कार्यकर्ता की तरह सेवा भाव से जुड़ी रहेंगी.
चौक-चौराहों पर भी नहीं है कोई चर्चा
चुनाव नजदीक हैं जबकि जांगला गाँव से गुजरती नेशनल हाइवे के किनारे राजनीतिक पार्टियों के गिनती के ही झंडे लगे हुए हैं. गांव के गलियारे वीराने जैसे खामोश हैं और चौक-चौराहों पर कोई चर्चा भी नहीं है, यह तस्वीर उस जांगला गांव की है जहां प्रधानमंत्री मोदी आ चुके हैं. हालांकि बीते कुछ दिनों से फोर्सेज की आक्रामकता को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि बहुत जल्द ही माओवाद को इस पूरे क्षेत्र से दूर कर दिया जाएगा.