दक्षिण भारत में BJP ने कभी नहीं जीती 91 सीटें, यहीं से होकर गुजरता है ‘400 पार’ का रास्ता!

बीजेपी पहले से ही विभिन्न उत्तर भारतीय राज्यों में अपने चरम पर है, इसलिए दक्षिण पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति भी समझ में आती है ताकि अगर उन राज्यों में कुछ सीटें हार जाती है, तो सीटें कवर की जा सकें.
Lok Sabha Election 2024

जब दक्षिण भारत यात्रा पर थे पीएम मोदी

Lok Sabha Election 2024: ‘अबकी बार 400 पार’ लक्ष्य को साधने के लिए बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान दक्षिणी राज्यों में खूब जोर लगाया है. साल 2014 और 2019 में पार्टी ने गुजरात,राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में शानदार प्रदर्शन किया था. इस बार अपने नंबर बढ़ाने और 400 के आंकड़े तक पहुंचने के लिए बीजेपी उत्तर भारत के साथ-साथ दक्षिण भारत को भी साधने की कोशिश में दिखी.

बता दें कि दक्षिणी राज्य हमेशा से बीजेपी की कमजोरी रही है. वैसे इस चुनाव में पार्टी ने आक्रामक रणनीति बनाई. बीजेपी पहले से ही विभिन्न उत्तर भारतीय राज्यों में अपने चरम पर है, इसलिए दक्षिण पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति भी समझ में आती है ताकि अगर उन राज्यों में कुछ सीटें हार जाती है, तो सीटें कवर की जा सकें.

पीएम मोदी ने इसलिए किया दक्षिण पर फोकस

लेकिन, अगर भाजपा वास्तव में 400 से अधिक का लक्ष्य हासिल करना चाहती है, तो दक्षिण भारत में अधिक सीटें जीतना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है. यही कारण है कि हमने दक्षिण भारत में पीएम मोदी की खूब रैलियां, जनसभा और रोड शो देखे हैं. जिन राज्यों में बीजेपी को आक्रामक प्रचार करते देखा गया उनमें तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश शामिल हैं.

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दक्षिण में ज्यादा सीटें जीतने की गुंजाइश

आंकड़ों पर नजर डालें तो दक्षिण में 132 लोकसभा सीटें हैं. हालांकि, 132 में से 91 सीटें ऐसी हैं जो भाजपा ने अपने चुनावी इतिहास में कभी नहीं जीतीं. बीजेपी ने जिन 91 सीटों पर कभी जीत हासिल नहीं की, उनमें से 35 तमिलनाडु में, 20-20 केरल और आंध्र प्रदेश में, 11 तेलंगाना में, 3 कर्नाटक में और 1-1 पुडुचेरी और लक्षद्वीप में हैं. तो इस डेटा के मुताबिक, बीजेपी के लिए उत्तर और पूर्व की तुलना में दक्षिण भारत में अधिक सीटें हासिल करने की इस बार गुंजाइश है.

तमिलनाडु में कुल 39 सीटें हैं लेकिन भाजपा ने उनमें से 35 सीटें कभी नहीं जीतीं, इसलिए भविष्य में अगर पार्टी दक्षिणी राज्य में बढ़त हासिल करती रही, तो उसके पास 35 और सीटें जोड़ने का अवसर है. इसी तरह केरल में भी बीजेपी ने कभी एक भी सीट नहीं जीती है. हालांकि इस क्षेत्र में वामपंथियों और कांग्रेस का वर्चस्व है, फिर भी भाजपा अपना जादू चलाने की उम्मीद कर सकती है.

तेलंगाना में जहां बीजेपी की उपस्थिति तमिलनाडु और केरल से अधिक है. पार्टी के लिए यहां अधिक जमीन हासिल करना कोई कठिन काम नहीं होगा. वहीं आंध्र प्रदेश में बीजेपी ने चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी और जन सेना पार्टी के साथ गठबंधन किया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में आंध्र में बीजेपी का वोट शेयर महज 0.98 था.

पुडुचेरी और लक्षद्वीप में भाजपा कभी नहीं जीती

हैरत की बात ये भी है कि पुडुचेरी और लक्षद्वीप में भाजपा कभी नहीं जीती है, इसलिए पार्टी के पास अपनी झोली में दो और सीटें जोड़ने की गुंजाइश है. दक्षिण में एक राज्य जहां बीजेपी की सबसे ज्यादा मौजूदगी है वो है कर्नाटक. यहां सिर्फ तीन सीटें ऐसी हैं जिन पर पार्टी कभी नहीं जीत सकी है.

कुल मिलाकर, भारतीय जनता पार्टी, उत्तरी राज्यों में अपने प्रभुत्व पर निर्भर है और अपनी शानदार रणनीति पर काम कर रही है, जिसके लिए वह जानी जाती है. इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी के पास दक्षिण में ज्यादा सीटें जीतने की गुंजाइश है.

दक्षिण की वो सीटें जो बीजेपी के खाते में है

तमिलनाडु: कन्याकुमारी, कोयंबटूर, नीलगिरी और तिरुचिरापल्ली.
तेलंगाना: सिकंदराबाद, निज़ामाबाद, आदिलाबाद, करीमनगर, मेडक और महबूबनगर.
आंध्र प्रदेश: विशाखापत्तनम, काकीनाडा, राजमुंदरी, नरसापुरम और तिरूपति.
अंडमान और निकोबर द्वीप समूह, केरल, लक्षद्वीप, पुडुचेरी: कभी नहीं
कर्नाटक: इस राज्य में हासन, मांड्या और बेंगलुरु ग्रामीण को छोड़कर बाकी 25 सीटों पर बीजेपी ने कभी न कभी जीत हासिल की है.

2024 के लोकसभा चुनाव में ‘400 पार’ का लक्ष्य रखते हुए पीएम मोदी ने चेन्नई, तमिलनाडु के कोयंबटूर, केरल के पलक्कड़, सुल्तानपुर, तेलंगाना के जगतियाल, आंध्र प्रदेश के राजमपेट और कर्नाटक के शिवमोग्गा में रोड शो या रैलियां कीं हैं. बताते चलें कि तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में लोकसभा चुनाव पहले ही संपन्न हो चुके हैं.

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