कमलनाथ का किला छिंदवाड़ा! 18 में 17 बार कांग्रेस को मिली जीत, इस बार क्या कहता है समीकरण?

हवाला केस और कभी सिख दंगों को लेकर कमलनाथ पर आरोप लगते रहे लेकिन छिंदवाड़ा की जनता का अपने नेता के प्रति प्यार कभी कम नहीं हुआ.
कमल नाथ और नकुल नाथ

कमल नाथ और नकुल नाथ

Lok Sabha Election 2024: इस बार लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट हॉट सीट बन गई है. दरअसल, बीजेपी की एमपी की सभी 29 लोकसभा सीट जीतने के दावे में सबसे बड़ा रोड़ा छिंदवाड़ा सीट है. इस बार बीजेपी ने इस हॉट सीट से बंटी साहू को उम्मीदवार बनाया है.

इस सीट से भारतीय जनता पार्टी ने 1951 के बाद से केवल एक बार जीत हासिल की है. हालांकि, इस साल अनुभवी कांग्रेस नेता कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ अपनी पार्टी के भीतर दलबदल की लहर के बीच पारिवारिक गढ़ को बरकरार रखने के लिए कड़ी टक्कर दे रहे हैं. हाल के दिनों में छिंदवाड़ा के कई कांग्रेस नेताओं ने हाथ का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थामा है. इनमें दो पूर्व विधायक, मौजूदा विधायक और आदिवासी नेता कमलेश प्रताप शाह, छिंदवाड़ा के महापौर विक्रम अहाके, स्थानीय नगर परिषद के अध्यक्ष उज्जवल सिंह ठाकुर और सात नगर निगम पार्षद शामिल हैं.

इसके बाद नकुलनाथ ने मतदाताओं से एक भावनात्मक अपील करते हुए दावा किया है कि उनके कई करीबी सहयोगियों ने भाजपा में शामिल होकर उन्हें “धोखा” दिया है. उन्होंने एक सार्वजनिक बैठक के दौरान कहा, “छिंदवाड़ा के निवासी हमारे परिवार की तरह हैं और वे धोखेबाजों और झूठों को हराने के लिए हमारे साथ चुनाव लड़ रहे हैं.”आइये जानते हैं कि क्या कहता है छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का समीकरण:

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9 बार यहां से सांसद बने कमलनाथ

बता दें कि छिंदवाड़ा सामान्य लोकसभा सीट है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमल नाथ ने 1980, 1984, 1989, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में छिंदवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र से नौ बार जीत हासिल की. नाथ केवल एक बार 1997 में सीट हारे जब वह भाजपा नेता और पूर्व मध्य प्रदेश प्रमुख मंत्री सुंदर लाल पटवासे हार गए थे.

मतदान की तारीख

मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट पर राज्य की अन्य 5 लोकसभा सीटों के साथ 19 अप्रैल को पहले चरण में मतदान होगा. कुल मिलाकर पहले चरण में देशभर के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे.

छिंदवाड़ा 2019 और 2014 विजेता

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता नकुल कमल नाथ ने पहली बार 37,536 वोटों के अंतर से सीट जीती. उन्हें 47.04% वोट शेयर के साथ 5,87,305 वोट मिले. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार नाथनसाहा कावरेती को हराया. 2014 के लोकसभा चुनाव में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कमल नाथ ने नौवीं बार इस सीट से जीत हासिल की.

छिंदवाड़ा के पिछले विजेता

नकुल नाथ (कांग्रेस): 2019
कमल नाथ (कांग्रेस): 2014
कमल नाथ (कांग्रेस): 2009
कमल नाथ (कांग्रेस): 2004
कमल नाथ (कांग्रेस): 1999
कमल नाथ (कांग्रेस): 1998
सुंदर लाल पटवा (भाजपा): 1997 उपचुनाव
अलका कमल नाथ (कांग्रेस): 1996
कमल नाथ (कांग्रेस): 1991
कमल नाथ (कांग्रेस): 1989
कमल नाथ (कांग्रेस): 1984
कमल नाथ (कांग्रेस): 1980
गार्गीशंकर रामकृष्ण मिश्र (कांग्रेस): 1977

छिंदवाड़ा मतलब कमलनाथ!

बता दें कि हवाला केस और कभी सिख दंगों को लेकर कमलनाथ पर आरोप लगते रहे लेकिन छिंदवाड़ा की जनता का अपने नेता के प्रति प्यार कभी कम नहीं हुआ. इसी का नतीजा रहा कि विपक्षी उम्मीदवार चाहे कोई भी हो लेकिन कमनाथ ही सांसद बने. यहां 1996 के लोकसभा चुनाव का भी जिक्र करना जरूरी है. उस समय कमलनाथ हवाला केस में घिरे थे और मजबूरन उन्हें अपनी सीट से पत्नी को खड़ा करना पड़ा. अल्का नाथ को सफलता भी मिली और जैसे ही कमलनाथ आरोपमुक्त हुए, अल्का ने इस्तीफा दे दिया और 1997 में उपचुनाव कराए हुए। शायद जनता की नजरों में तब तक दाग ठीक तरह से धुल नहीं पाए थे और कमलनाथ को बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा से करारी शिकस्त मिली. हालांकि पटवा की यह जीत अल्प समय के लिए रही क्योंकि 1998 के चुनाव में कमलनाथ फिर जीतकर लोकसभा पहुंच गए.

इस लिहाज से नकुल नाथ के लिए यह सीट गढ़ है. यहां वो सबसे ज्यादा सेफ हैं. 2019 में मोदी लहर के बावजूद एमपी की यही इकलौती सीट थी जिसपर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. हाल ही के विधानसभा चुनावों में छिंदवाड़ा ऐसा जिला है, जहां की सात विधानसभा सीटों में से एक पर भी बीजेपी को जीत नहीं मिली. बताते चलें कि छिंदवाड़ा कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है. 1952 से अब तक इस सीट पर 18 बार लोक सभा चुनाव हो चुके हैं और कांग्रेस ने 17 बार जीत हासिल की है.

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