Lok Sabha Election: समोसा बेचने वाले अजय लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, बोले- नेताओं की चिकनी-चुपड़ी बातों और वादों से परेशान होकर चुनावी रण में उतरा
Lok Sabha Election: राजनांदगांव के लोकसभा चुनाव के लिए अधिसूचना का प्रकाशन गुरुवार सुबह 11 बजे हुआ, इसके साथ ही नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई. नामांकन फार्म खरीदने के लिए कवर्धा से समोसा बेचने वाले अजय पाली पहुंचे. अजय पाली सबसे पहले नामांकन फार्म खरीद कर चुनावी रण में उतर गए हैं.
चुनाव जीतने पर कवर्धा में रेल सुविधा का करेंगे प्रयास – अजय पाली
नामांकन फॉर्म खरीदने के बाद अजय पाली ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यदि वे चुनाव जीत जाते हैं, तो सबसे पहले कवर्धा जिले में रेल सुविधा के लिए प्रयास करेंगे. उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले ही मन बना लिया था कि वह लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. वहीं उन्होंने कहा कि गरीब और मजबूर तबके के वर्ग के लोगों को अपना काम करवाने के लिए नेताओं के चक्कर काटने पड़ते हैं, जिससे वह बेहद आहत है. वहीं नेताओं की चिकनी चुपड़ी बातों और वादों से परेशान होकर वह चुनावी रण में कूदे हैं. उन्होंने सभी प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर देने की भी बात कही है. वहीं पोस्टर और बड़े खर्चे वाला चुनाव न लड़कर घर घर जाकर वोट के लिए अपील करने की बात कही है.
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4 अप्रैल तक होगी नामांकन की प्रक्रिया
निर्वाचन के लिए राजनांदगांव के कलेक्ट्रेट में तैयारी पूरी कर ली गई है. यहां बेरिकेडिंग का काम पूरा कर लिया गया है. राजनांदगांव के कोर्ट में नामांकन जमा किए जाएंगे. चार अप्रैल तक नामांकन की प्रक्रिया होगी. नामांकन फार्म खरीदने के पहले दिन कवर्धा निवासी और समोसा बेचने का व्यवसाय करने वाले अजय पाली राजनंदगांव कलेक्ट्रेट पहुंचे और नामांकन फार्म खरीदा.
राजगांदगांव लोकसभा सीट में ऐसा है समीकरण
बता दें कि राजनांदगांव लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में पांच सीटें आई थी. जबकि बीजेपी को 3 सीटों पर जीत मिली थी. राजनांदगांव लोकसभा सीट से अभी बीजेपी के संतोष पांडेय सांसद हैं. बीजेपी ने यहां से फिर से मौजूदा सांसद को ही टिकट दिया है. यह राज्य का वह क्षेत्र है जहां ओबीसी वोटर्स बड़ी संख्या में हैं. विधानसभा के नतीजों के अनुसार यह सीट कांग्रेस के लिए सुरक्षित मानी जा रही है. बीजेपी ने यहां से सामान्य वर्ग के उम्मीदवार संतोष पांडेय को उतारा है ऐसे में पार्टी भूपेश बघेल पर दांव खेलकर ओबीसी वोटर्स को साधने की कोशिश की है. भूपेश बघेल, राज्य में ओबीसी के सबसे बड़े चेहरे हैं. वहीं, पूर्व सीएम की लोकप्रियता को भी पार्टी भुनाना चाहती है.