भोपाल: सीधी लोकसभा सीट पर पहले चरण यानी 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है. कांग्रेस और बीजेपी ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. बीजेपी ने राजेश मिश्रा और कांग्रेस ने कमलेश्वर पटेल को उम्मीदवार बनाया है. सीधी सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर नहीं होने वाली है. राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह जिन्होंने बीजेपी से इस्तीफा देकर सीधी लोकसभा सीट से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से पर्चा दाखिल कर दिया है. सीधी में चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है.
सीधी लोकसभा सीट में दो जिले सीधी और सिंगरौली आते हैं, इसके अलावा शहडोल जिले की एक विधानसभा ब्यौहारी भी आती है. इस सीट के अंतर्गत आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं. यूपी और छत्तीसगढ़ की सीमा को छूती इस लोकसभा सीट पर अभी तक मुकाबला कांग्रेस बनाम बीजेपी रहा है.
आइए जानते हैं तीनों उम्मीदवारों के बारे में
राजेश मिश्रा – पेशे से डॉक्टर हैं
संपत्ति – एक करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – शून्य (0)
सीधी से बीजेपी ने इस बार अपना उम्मीदवार बदल दिया है. साल 2014 और 2019 में बीजेपी की टिकट से जीतकर आने वाली रीति पाठक की जगह पेशे से डॉक्टर राजेश मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है. राजेश मिश्रा के राजनीतिक सफर की शुरुआत बीएसपी पार्टी के साथ हुई. साल 2008 के विधानसभा चुनाव में राजेश मिश्रा ने सीधी विधानसभा सीट से बीएसपी के टिकट से चुनाव लड़ा था.
साल 2008 के विधानसभा चुनाव में वे बीजेपी के केदारनाथ शुक्ल ने दी जीत दर्ज की थी. बीजेपी और कांग्रेस के बाद मिश्रा तीसरे स्थान पर रहे थे. बीजेपी की सरकार बनने के बाद साल 2009 में मिश्रा बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने मिश्रा को संगठन स्तर पर कई सारी जिम्मेदारियां दी. मिश्रा को बीजेपी ने प्रदेश चिकित्सा प्रकोष्ठ में सह संयोजक के पद का प्रभार दिया.
साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के प्रभारी भी रहे. साल 2018 में राजेश मिश्रा को पंडित दीनदयाल अल्पकालीन कार्य विस्तार योजना का जिला प्रभारी बनाया गया और साल 2018 से 2019 तक सीधी जिला बीजेपी अध्यक्ष पद पर रहे.
राजेश मिश्रा ने इंदौर के डेंटल कॉलेज से बीडीएस की डिग्री पूरी की. मिश्रा शासकीय डॉक्टर रहे हैं. मिश्रा इंडियन डेंटल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रह चुके हैं. साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में राजेश मिश्रा ने सीधी से टिकट मांगा था लेकिन मिश्रा की जगह सीधी से सांसद रीति पाठक को टिकट मिल गया. इससे नाराज होकर उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था.
छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत करने वाले राजेश मिश्रा आरएसएस से जुड़े रहे हैं. बीजेपी के संगठन स्तर पर काम किए हैं. स्थानीय राजनीति में सक्रिय रूप से भागीदारी दी है. ब्राह्मण वर्ग आने वाले राजेश मिश्रा को स्थानीय राजनीतिक गुणा-भाग में फायदा मिल सकता है. पिछले तीन बार यानी साल 2009 , 2014 और 2019 में ब्राह्मण उम्मीदवार की जीत हुई है. तीनों बार यानी साल 2009 में गोविंद प्रसाद मिश्रा और साल 2014, 2019 में रीति पाठक की जीत हुई जो बीजेपी के उम्मीदवार रहे हैं.
कमलेश्वर पटेल – सिहावल से दो बार विधायक रहे
संपत्ति – 39 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – तीन
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है. सिहावल सीट से दो बार के विधायक कमलेश्वर पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है. पहली बार कमलेश्वर पटेल सिहावल सीट से साल 2013 में विधायक बने. विधानसभा चुनाव 2013 में कमलेश्वर पटेल को 72 हजार 928 वोट मिले थे. बीजेपी के उम्मीदवार विश्वामित्र पाठक को 40 हजार 372 वोट मिले. दोनों के बीच वोट का अंतर करीब 32 हजार रहा.
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कमलेश्वर पटेल को सिहावल सीट से उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में भी कमलेश्वर पटेल की जीत हुई. पटेल को 63 हजार 918 वोट मिले वहीं बीजेपी उम्मीदवार शिवबहादुर सिंह चंदेल को 32 हजार 412 मत मिले. दोनों के बीच वोट का अंतर करीब 31 हजार रहा. विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस बहुमत में आई और राज्य में सरकार बनाई. कमलेश्वर पटेल को पंचायत राज और ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया.
दो बार विधानसभा का चुनाव जीतने वाले कमलेश्वर पटेल को कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2023 के लिए सिहावल सीट से उम्मीदवार बनाया. इस बार कमलेश्वर पटेल को हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के उम्मीदवार विश्वामित्र पाठक को 87 हजार 85 मत मिले. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश्वर पटेल को 70 हजार 607 मत मिले. दोनों के बीच वोट का अंतर लगभग 17 हजार रहा.
कमलेश्वर के पिता इंद्रजीत पटेल बड़े राजनेता रहे हैं. सीधी विधानसभा से इंद्रजीत पटेल कुल सात बार विधायक रहे. पिता की राजनीति का प्रभाव बेटे कमलेश्वर पटेल पर भी पड़ा. ओबीसी वर्ग से आने वाले कमलेश्वर स्थानीय राजनीति में प्रभाव रखते हैं. सीधी की सिहावल सीट से दो बार विधायक रहने के कारण लोकसभा चुनाव में उन्हें इस बात का फायदा मिल सकता है.
अजय प्रताप सिंह – राज्यसभा सांसद रहे
संपत्ति – एक करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – शून्य (0)
अजय प्रताप सिंह ने ‘पार्टी में व्याप्त है भ्रष्टाचार’ कहकर बीजेपी से इस्तीफा दे दिया. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी यानी गोंगपा से सीधी लोकसभा सीट से आमचुनाव 2024 के लिए नामांकन दाखिल कर दिया. साल 2018 में अजय प्रताप सिंह को राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुना गया था. सिंह ने बीजेपी में संगठन स्तर पर काम किए हैं. प्रदेश स्तर पर सचिव, महासचिव और उपाध्यक्ष के पद पर काम किए.
साल 2011 से लेकर 2014 तक सिंह विंध्य विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद पर रहे जो कैबिनेट मंत्री स्तर का पद होता है. क्षत्रिय वर्ग से आने वाले अजय प्रताप सिंह ने इससे पहले लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा. संगठन स्तर पर तो सिंह की अच्छी खासी पहुंच है लेकिन धरातल पर पकड़ दिखाई नहीं देती है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि लोकसभा चुनाव से पहले अजय प्रताप सिंह ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया. उससे भी जरूरी बात ये है कि सिंह का राज्यसभा सांसद का कार्यकाल दो अप्रैल 2024 को खत्म हो रहा है. बीजेपी के राजेश मिश्रा, कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल और गोंगपा की टिकट से चुनाव लड़ने वाले अजयप्रताप सिंह के बीच मुकाबला होगा.
सीधी सीट का राजनीतिक इतिहास
पिछले 15 साल से सीधी लोकसभा सीट बीजेपी के कब्जे में हैं. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है. इस सीट से कांग्रेस के मोतीलाल सिंह सबसे ज्यादा तीन बार यानी साल 1980, 1984 और 1991 में सांसद रहे. वहीं दो बार सीधी सीट से सांसद रहने वाले सांसदों की संख्या तीन है. जगन्नाथ सिंह बीजेपी के टिकट से पहली बार सांसद साल 1989 में बने वहीं दूसरी बार 1998 में सांसद बने.
चंद्रप्रताप सिंह भी दो बार सीधी सीट से सांसद रहे. साल 1999 और 2004 में बीजेपी के टिकट से सांसद बने. रीति पाठक एकमात्र महिला हैं जिन्होंने सीधी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की. पाठक साल 2014 और 2019 में दो बार सांसद रही हैं
(स्त्रोत – MYNETA.INFO,MP VIDHANSABHA, DIGITAL SANSAD)