VVPAT पर्चियों की पूरी गिनती की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई, केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा जवाब

Supreme Court: लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद ही देशभर में चुनावी माहौल बना हुआ है. इस बीच सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों से संबंधित मामले को सुना, जिसमें वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग की गई थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भेजा नोटिस

Supreme Court: लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद ही देशभर में चुनावी माहौल बना हुआ है. इस बीच सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों से संबंधित मामले को लेकर दाखिल याचिक को सुना, जिसमें वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती करने को लेकर मांग की गई थी. सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

बताते चलें कि वर्तमान परिस्थितियों में वीवीपैट पर्चियों के माध्यम से किसी भी पांच चयनित ईवीएम का सत्यापन किया जाता है. दरअसल, वीवीपैट एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देता है कि उसका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं.

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पीठ ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया 

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया और वकील और कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर याचिका को एक गैर सरकारी संगठन, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर एक समान याचिका के साथ टैग किया, जिसमें समान राहत की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया है कि ‘चुनाव न केवल निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए क्योंकि सूचना के अधिकार को भारत के संविधान के आर्टिकल 19(1) (ए) और 21 के संदर्भ में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा माना गया है.

मतदाता को आर्टिकल 19 और 21 के तहत सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत चुनाव आयोग (2013) में इस माननीय न्यायालय के निर्देशों के उद्देश्य और उद्देश्य के अनुसार अपने द्वारा डाले गए वोट और वीवीपीएटी के पेपर वोट द्वारा गिने गए वोट को सत्यापित करने का अधिकार है.

चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों को चुनौती

सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड नेहा राठी के माध्यम से दायर याचिका में चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि वीवीपैट सत्यापन क्रमिक रूप से किया जाएगा, यानी एक के बाद एक, जिससे काफी देरी होगी. इसमें तर्क दिया गया कि यदि एक साथ सत्यापन किया गया और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में गिनती के लिए अधिक संख्या में अधिकारियों को तैनात किया गया, तो पूरा वीवीपैट सत्यापन केवल पांच से छह घंटे में किया जा सकता है.

याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकार ने लगभग 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर लगभग 5 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं, वर्तमान में केवल लगभग 20 हजार वीवीपैट की वीवीपैट पर्चियां ही सत्यापित हैं.

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