MP News: सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय रहा भोपाल का 90 डिग्री एंगल वाले ब्रिज का मामला अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट पहुंच गया है. ब्रिज को बनाने वाले ठेकेदार ने उच्च न्यायालय में ब्लैक लिस्टिंग के खिलाफ याचिका लगाई है. कोर्ट में ठेकेदार ने दावा किया है कि लोक निर्माण विभाग (PWD) ने जो डिजाइन दी थी. उसी के मुताबिक ब्रिज का निर्माण हुआ है.
HC ने कार्रवाई पर रोक लगाई
हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए ठेकेदार पर की गई कार्रवाई पर रोक लगा दी है. न्यायालय ने भोपाल स्थित मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MANIT)के डायरेक्टर को निर्देश दिए हैं कि एक सीनियर प्रोफेसर से इस मामले में की पूरी जांच करवाई जाए. जांच में पता लगाया जाए कि पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों द्वारा दी गई डिजाइन से ही ब्रिज का निर्माण हुआ है या नहीं. निष्पक्ष जांच के लिए ये निर्देश दिया गया है. मामले में अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी.
क्या है पूरा मामला?
भोपाल के ऐशबाग इलाके में एक रेलवे ओवर ब्रिज बनाया गया. ब्रिज को 18 करोड़ की लागत से तैयार किया गया. इसकी लंबाई 648 मीटर है. इसका आकार चर्चा का विषय बना गया क्योंकि इसमें एक ओर 90 डिग्री का एंगल है. सोशल मीडिया पर लोगों ने मीम्स बनाए और जोक्स भी शेयर किए. कुछ ही समय में ये राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया. मामलों को तूल पकड़ता देख मुख्यमंत्री मोहन यादव और लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने जांच के आदेश दिए गए.
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ब्रिज बनाने वाली कंपनी को किया ब्लैक लिस्टेड
इस पूरे मामले की जांच करवाई गई और लोक निर्माण विभाग के 8 इंजीनियर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई और दो सीई सहित सात इंजीनियर्स को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया. एक रिटायर्ड सीनियर इंजीनियर के खिलाफ विभागीय जांच भी की गई. इस मामले में निर्माण एजेंसी एवं डिजाइन कंसल्टेंट, दोनों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था.
