MP News: भोपाल के 90 डिग्री एंगल ब्रिज के मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सख्त टिपण्णी की है. उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए सरकार से ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने वाला आदेश वापस लेने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा कि लोक निर्माण विभाग (PWD) विभाग ने जैसी डिजाइन दी ठेकेदार ने वैसा ही ब्रिज बनाया. हाई कोर्ट ने ठेकेदार की तुलना बलि के बकरे से करते हुए कहा कि अब बलि का बकरा बाहर हो गया. अब किसी ना किसी का सिर तो कटेगा. अब इस मामले में अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी.
ठेकेदार को सजा नहीं मेडल मिलना चाहिए
सरकार ने भोपाल के ऐशबाग ब्रिज का डिजाइन गलत पाए जाने पर मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MANIT) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर को जांच करके रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था. ये रिपोर्ट 10 सितंबर को हाई कोर्ट में पेश की गई थी. इस पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि ठेकेदार को सजा नहीं मेडल मिलना चाहिए. कोर्ट ने ये कहा था कि जब ठेकेदार ने PWD के निर्देशों के मुताबिक काम किया तो एक्शन क्यों लिया गया?
ब्रिज का एंगल 90 नहीं 119 डिग्री
MANIT के प्रोफेसर की जांच रिपोर्ट में पाया गया कि ब्रिज का एंगल 90 डिग्री नहीं है, इसका एंगल 118 डिग्री से थोड़ा अधिक है. इस ब्रिज का एंगल लगभग 119 डिग्री है. मैनिट की इस रिपोर्ट पर सरकार ने कोर्ट से जवाब मांगा था. सरकार ने जवाब देने के लिए समय मांगा था, इस पर कोर्ट ने 23 सितंबर तक का समय दिया है.
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क्या है पूरा मामला?
भोपाल के ऐशबाग इलाके में 18 करोड़ की लागत से एक रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण किया गया. ये ब्रिज तब चर्चा का विषय बन गया जब पता चला कि इसका एंगल 90 डिग्री है. सोशल मीडिया पर तेजी से मीम्स शेयर होने लगे. मामले को तूल पकड़ता देख सरकार नेलोक निर्माण विभाग के 8 इंजीनियर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई और दो सीई सहित सात इंजीनियर्स को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. इसके साथ ही निर्माण एजेंसी एवं डिजाइन कंसल्टेंट, दोनों को ब्लैकलिस्ट कर दिया था.
