Dhar Bhojshala Survey: धार भोजशाला का सर्वे कर रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने सोमवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में नई अर्जी दाखिल की है. एएसआई ने सर्वे पूरा करने के लिए अदालत से आठ सप्ताह का वक्त और मांगा है. बता दें कि हाई कोर्ट ने 11 मार्च को ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ संगठन की याचिका पर एएसआई को 6 सप्ताह के भीतर भोजशाला का सर्वे कर उसकी रिपोर्ट पेश करने को कहा था.
जानकारी के मुताबिक, एएसआई ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के इंदौर बेंच के समक्ष एक अर्जी दाखिल कर सर्वे पूरा करने के लिए आठ सप्ताह का और वक्त मांगा है. अर्जी में कहा गया कि विवादित परिसर में संरचनाओं के खुले हिस्सों की प्रकृति को समझने के लिए कुछ और वक्त की आवश्यकता है. हाईकोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी. माना जा रहा है कि इसमें एएसआई की नई अर्जी को लेकर भी सुनवाई हो सकती है.
क्या है धार भोजशाला विवाद?
बताया जाता है कि परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक राजा भोज ने धार में यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी. इसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा. हिंदू समुदाय के अनुसार, मुगल काल में भोजशाला को मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया. जहां हिंदू पक्ष इसके सरस्वती मंदिर होने का दावा करता है. वहीं, मुस्लिम समुदाय यहां कमाल मौला मस्जिद होने का दावा कर रहे हैं.
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फिलहाल यह केंद्र सरकार के अधीन है और इसका संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) करती है. आपको बता दें कि एएसआई ने भोजशाला में हिंदुओं को हर मंगलवार को पूजा करने की इजाजत दी है. वहीं मुस्लिमों को प्रत्येक शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की अनुमति दी गई है.