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Jabalpur के इस गांव में 20 साल से लागू है शराबबंदी, दारू पीने पर लगता है मोटा जुर्माना

Liquor ban has been in effect in Tinheta village of Jabalpur for 20 years

जबलपुर के तिनहेटा गांव में 20 साल से शराबबंदी लागू

Jabalpur News: मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 17 धार्मिक शहरों में पूर्ण शराबबंदी का निर्णय लिया है. इन शहरों में जबलपुर भी शामिल है. लेकिन जिले का एक ऐसा गांव है जहां सालों से शराबबंदी लागू है. गांव में शराबबंदी को लेकर सख्त नियम बनाए गए हैं. अगर गांव का कोई भी व्यक्ति शराब का नशा करते या फिर बेचते हुए पाया जाता है, तो उसे गांव की पंचायत द्वारा जुर्माना भी लगाया जाता है.

जबलपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर इस गांव में गोंड आदिवासियों की बहुलता है. नशे से दूर इस गांव के युवा अब शिक्षा और रोजगार हासिल कर रहे हैं. जहां पिछले 20 वर्षों से खुद ग्रामीणों ने शराबबंदी लागू कर रखी है.

20 हजार रुपये का जुर्माना लगाती है ग्राम पंचायत

सालों पहले तिनहेटा गांव के लोगों ने शराबबंदी का संकल्प लिया. तब से आज तक इस गांव में न तो शराब खरीदी गई, न बेची गई और न ही किसी ने इसे हाथ लगाया. यदि कोई शख्स शराब लेकर जाए या पीकर जाए तो समझो उसकी खैर नहीं क्योंकि ग्राम पंचायत द्वारा शराब के उपयोग पर सीधे 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है. यह सब बकायदा प्रस्ताव पारित कर किया गया था. यानी इस गांव में अपनी ही एक सरकार चलती है जो लोगों की जिंदगी को शराब जैसी बुराई से बचाकर रखे हुए है.

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जुर्माने की राशि शादी और शिक्षा में खर्च की जाती है

बरगी विधानसभा के आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत तिनहेटा के पंचों एवं महिलाओं ने शराब बंदी को लेकर नशामुक्ति के लिए एक समिति का गठन किया. ग्राम पंचायत में शराब बंदी करने का निर्णय लिया गया. यह सब गांव की महिलाओं के संकल्प से हुआ है. महिलाएं आगे आकर खुद शराब पीने वाले व्यक्ति का नाम बताती हैं. इसके साथ ही शराब पीने वाले व्यक्ति से जुर्माने के रूप में जो राशि मिलती है. वह गांव के विकास, गरीब बच्चों की शादी और शिक्षा जैसे कार्यों पर खर्च की जाती है.

पहले गांव में अवैध तरीके से बनाई जा रही थी शराब

गांव की महिला बताती है की एक दौर था जब ग्राम पंचायत के हर मोहल्ले में जगह-जगह अवैध रूप से शराब बनाई जा रही थी. खुलेआम उसकी बिक्री होती थी. शराब के कारण ग्राम पंचायत के युवा और बुजुर्ग शराब के आदी हो रहे थे. चारों ओर अशांति फैल रही थी. शराब की बिक्री के कारण गांव में जनमानस और महिलाओं तथा छोटे बच्चों पर विपरीत असर पड़ रहा था. शराबबंदी का निर्णय लेने के बाद शुरुआती सालों में शराबियों को काफी परेशानी भी हुई क्योंकि शराब बेचने और पीने वाले को सबसे पहले समिति के सामने पेश किया जाता था. फिर समिति के सदस्य पूरी जानकारी के साथ ग्राम पंचायत में मामले को लाते थे.

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