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MP News: मेडिकल कॉलेज में नहीं मिली सीट तो 19 साल के अथर्व ने HC में की पैरवी, चीफ जस्टिस बोले- गलत प्रोफेशन में जा रहे हो

Madhya Pradesh High Court Chief Justice praised the advocacy of 19 year old Atharva

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 19 साल के अथर्व ने की पैरवी, मुख्य न्यायाधीश ने की तारीफ

MP News: 12वीं पास एक छात्र ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) में ऐसी पैरवी की मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश भी खुद को तारीफ करने से नहीं रोक पाए. 19 साल की उम्र में ऐसे कानूनी तर्क दिए कि बड़े-बड़े वकील भी पीछे छूट जाएं. EWS सीटों के लिए NEET परीक्षा पास करने वाले जबलपुर के अथर्व चतुर्वेदी ने अपने कानूनी तर्कों से सबको चौंका दिया है और न्याय जगत में चर्चा का विषय बन गया है.

तुम गलत प्रोफेशन में जा रहे हो- मुख्य न्यायाधीश

19 साल के अथर्व चतुर्वेदी ने 12 की कक्षा पास करके NEET का एग्जाम दिया. लेकिन मेडिकल कॉलेज में सीट नहीं मिल पाई. अथर्व ने हार नहीं मानी और कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया. अथर्व ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की. शासन के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी जिसमें प्रदेश में सत्र 2024-25 के लिए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नियम तय किए गए थे. अथर्व की यह याचिका चर्चा का विषय नहीं है.

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चर्चा का विषय यह है कि 19 साल के इस युवा ने जब हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत की अदालत में कानूनी तर्क दिए तो मुख्य न्यायाधीश भी अथर्व के मुरीद हो गए. फैसला सुनाने से पहले मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार के ने कहा कि तुम गलत प्रोफेशन में जा रहे हो तुम्हें तो वकालत करना चाहिए.

‘सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी’

अथर्व का कहना है कि उसे इस कानूनी लड़ाई में न्याय तो नहीं मिला लेकिन हाई कोर्ट के फैसले ने आने वाले साल में EWS कैटेगरी के छात्रों के लिए बड़ी राहत दी है. लेकिन वह अपनी न्याय की लड़ाई जारी रखेगा. अथर्व सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. जहां वह खुद के लिए मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में एक सीट देने की मांग करेंगे.

हाई कोर्ट में वकील हैं अथर्व के पिता

अथर्व चतुर्वेदी के पिता मनोज चतुर्वेदी हाईकोर्ट में वकालत करते हैं. मनोज का कहना है कि अपने बेटे पर गर्व महसूस हो रहा है कि मुख्य न्यायाधीश ने उसके कानूनी तर्कों और आत्मविश्वास की तारीफ की है. लेकिन न्याय मिलना अभी भी बाकी है. जिसके लिए अब सुप्रीम कोर्ट में अथर्व पैरवी करेगा. वकालत का पेशा तो नहीं अपनाएगा लेकिन डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई करेगा और संघर्ष करेगा.

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया निर्देश

अथर्व की याचिका पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है. अगले शैक्षणिक सत्र से प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में आर्थिक रूप से पिछड़े यानी EWS के लिए सीटें बढ़ाई जाएं. युगलपीठ ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक साल का समय दिया है. अथर्व चतुर्वेदी ने याचिका दायर कर कहा था कि उसने EWS सामान्य वर्ग से नीट परीक्षा दी थी और 720 में से 530 अंक हासिल किए थे.

इसके बावजूद, निजी मेडिकल कॉलेज में कम अंक प्राप्त करने वाले NRI कोटे और शासकीय स्कूल कोटे के अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को सीटें आवंटित की गईं. वहीं उसे सीट नहीं दी गई. याचिका में मध्य प्रदेश शासन के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई, जिसमें प्रदेश में सत्र 2024-25 के लिए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नियम तय किए गए थे.

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शासन ने निजी मेडिकल कॉलेजों में EWS वर्ग के लिए सीटें आरक्षित नहीं की थीं. जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में यह आरक्षण दिया गया था. याचिकाकर्ता की दलील थी कि केन्द्र सरकार ने 2019 में ही इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी थी. लेकिन शासन ने इस पर अमल नहीं किया, जिससे EWS उम्मीदवार निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटें पाने से वंचित रह गए.

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