MP News: देश में आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां जात-पात और सामाजिक बहिष्कार की कुरीतियों को माना जाता है. ऐसे में ही कुछ मध्य प्रदेश में हुआ. रायसेन जिले में एक अनुसूचित जाति (SC) परिवार के घर खानेा खाने का समाज ने बहिष्कार किया था. इस बात की जानकारी जैसे ही स्थानीय विधायक और प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल को पता चली, तो अगले ही वह उस परिवार के घर पहुंचे. यहां उन्होंने उस परिवार के घर में पूड़ी-सब्जी और कई व्यंजनों का लुत्फ उठाया, जिसका वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है.
बहिष्कृत परिवार के घर पहुंचे मंत्री
मामला रायसेन जिले उदयपुरा विधानसभा के गांव पिपरिया पुआंरिया का है. यहां कुछ कुरीतियों के कारण अनुसूचित जाति के एक परिवार के घर खाना खाने वालों का ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार शुरू कर दिया था. जैसे ही इस मामले की जानकारी मध्य प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल को मिली तो वह स्वयं उसी परिवार के घर भोजन करने पहुंच गए.
उठाया पूड़ी-सब्जी और व्यंजनों का लुत्फ
मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने परिवार के घर पहुंचकर यहां भोजन किया. उनका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें वह जमीन पर बिछी दरी पर पालती मारकर पूड़ी-सब्जी समेत कई व्यंजनों का लुत्फ उठाते नजर आए.
आज यह वीडियो बहुत वायरल हो रहा है। कारण @nsp2106 मध्य प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री जी का वाल्मीकि समाज के व्यक्ति संतोष जी यहां खाना खाने जाना।
— Vipendra Manav ® (@VipendraManav) September 22, 2025
हुआ ए था ! इस गांव में कुछ जातंकवादी मानसिकता वाले लोगों ने सन्तोष जी के परिवार का बहिष्कार कर दिया था। ए बात मंत्री जी… pic.twitter.com/3kNuLKuIV4
उन्होंने कहा- ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था- अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति की सबसे पहले चिंता करनी है. इसी भावना को आत्मसात करते हुए आज मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र के गांव पिपरिया पुंआरिया (छातेर) में अनुसूचित जाति के भाई संतोष परोचे के घर पर भोजन किया.’
उन्होंने आगे कहा- ‘कुछ दिनों पहले गांव के इस परिवार के घर पर कुछ लोगों ने भोजन किया था, जिनके खिलाफ सामाजिक बहिष्कार के लिए असामाजिक तरीके से पंचायत करने की जानकारी मुझे मिली थी. मुझे इस घटनाक्रम से बहुत तकलीफ हुई, मन आहत हुआ और मैंने स्वयं तय किया कि संतोष जी के घर पहुंचकर भोजन करुंगा. हमें इस बात का स्मरण रहना चाहिए कि जब हम भेदभाव भुलाकर एक परिवार की तरह जुड़ते हैं, तो समाज की सबसे बड़ी ताकत बन जाते हैं.’
