MP News: मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के दीपांकर सिंह द्वारा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में कुपोषण को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिस पर शुक्रवार को मुख्य न्यायधीश संजीव सचदेवा एवं न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने सुनवाई की. राज्य के सभी जिले के कलेक्टरों को आदेश दिया कि अपने-अपने जिले के कुपोषण की स्थिति की रिपोर्ट 4 हफ्ते के पेश करें. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और मुख्य सचिव से भी जवाब मांगा है.
कोर्ट में याचिकाकर्ता दीपांकर सिंह के वकील द्वारा बताया गया कि शासन-प्रशासन सिर्फ अच्छे आंकड़ें पेश करते हैं, जबकि हकीकत कुछ और ही है. आये दिन बच्चे कमजोर होते जा रहे हैं और महिलाओं को भी विटामिन की कमी हो रही है. इस सच्चाई को सरकार छिपा रही है. सिर्फ अच्छी-अच्छी तस्वीर के माध्यम से आंकड़ें पेश करते हैं.
कुपोषित बच्चों की संख्या में 3% इजाफा
याचिका में बताया गया कि पोषण ट्रैकर 2.0 और हेल्थ सर्वे के मुताबिक, 2025 में कुपोषित बच्चों की संख्या में 3% की बढ़त हुई है. वहीं सरकारी पोषण के योजनाओं में विटामिन और प्रोटीन की काफी कमी है. जिससे बच्चे कमजोर, छोटे, बीमार व कुपोषित हो रहे हैं. इसके अलावा याचिका में बताया गया की जो पोषण आहार बच्चे और महिलाओं के लिए भेजा जाता है, उसके वितरण और ट्रांसपोर्ट में भी काफी घोटाला होता है. वहीं कैग (CAG) की रिपोर्ट में बताया गया कि पोषण आहार के नाम पर साल 2025 में 858 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है, लेकिन घोटाला करने वालों पर अभी तक शासन-प्रशासन द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी है.
याचिका में बताया गया की मध्य प्रदेश में 66 लाख छोटे बच्चे (0-6 साल के) हैं, जिनमें से 10 लाख से ज्यादा कुपोषित हैं. इनमें 1.36 लाख बच्चे गंभीर रूप से कमजोर हैं. वहीं, महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) की दर 57% है, जो की बहुत ज्यादा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कुपोषण के बहुत मामले आ रहे हैं. इस जिले में कुपोषण के मुख्य कारणों में गरीबी, अशिक्षा, खराब स्वास्थ्य सुविधाएं और पौष्टिक आहार की कमी शामिल है. मंडला, डिंडोरी, पन्ना, सतना जैसे जिलों में भी कुपोषण बहुत बड़ी समस्या है.
आंगनबाड़ी केंद्र के किराए पर 1.80 करोड़ खर्च
याचिका में यह भी बताया गया कि जबलपुर में आंगनबाड़ी केंद्रों के किराए के नाम पर 1.80 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए. जबकि वहां बच्चों की उपस्थिति बहुत कम है. एक आंगनबाड़ी केंद्र में 40-50 बच्चों का रजिस्ट्रेशन होता है, लेकिन आते सिर्फ कुछ ही हैं.इसके बावजूद पूरे बच्चों के हिसाब से खाने और सुविधाओं का पैसा लिया जा रहा है. यह सीधा भ्रष्टाचार है, लेकिन सरकार द्वारा कोई भी कार्यवाई नहीं की जा रही है.
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हाई कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी
यह याचिका कोर्ट में तब दायर की गई थी जब रीवा जिले में पोषण आहार को गंदे तरीके से (पैरों से रौंदकर) तैयार करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. वहीं दूसरी तरफ विदिशा जिले में बच्चों की लंबाई ज्यादा दिखाकर झूठी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गई थी. ऐसी गड़बड़ियां बाकी जिलों में भी हो रही हैं.
इसलिए इन सभी हालातों को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने सभी जिलों के कलेक्टरों को पोषण की स्थिति की रिपोर्ट मांगी है, ताकि असली हालत सामने आ सके और बच्चों और महिलाओं को सही पोषण मिल सके.
